हिमालय के उस जादुई हिस्से की कहानी जहां छुपा है अमर होने का राज, हैरान कर देंगे यहां के किस्से

Indiatimes

क्या मृत्यु को टाला जा सकता है? अमरत्व संभव है या ये सिर्फ एक कोरी कल्पना है? ऐसे कई सवाल सदियों से इंसान के दिमाग में घूमते रहे हैं मगर इसका सटीक जवाब किसी को नहीं मिल पाया. हालांकि पौराणिक और लोक कथाओं की मानें तो कई पवित्र आत्माएं अमरत्व प्राप्त करने में कामयाब रही हैं. दूसरी तरफ शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के पास इसका कोई निश्चित उत्तर नहीं है.

ज्ञानगंज को इन नामों से भी जाना जाता है

ऐसे में, अगर आपको ये पता चले कि एक ऐसी जगह है जहां लोग मौत के डर के बिना रहते हैं तो क्या आप यकीन करेंगे? इस बात पर यकीन करने ना करने से पहले आप इस जगह के बारे में जान लीजिए. इसे ज्ञानगंज के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह एक राज्य है जो तिब्बत के हिमालयी क्षेत्र में स्थित है. आपको हिमालय और तिब्बत के आसपास कई किंवदंतियां और कहानियां आसानी से मिल जाएंगी. इनमें से ज्ञानगंज की कहानी सबसे दिलचस्प है. इस जगह को शांगरी-ला, शंभाल और सिद्धाश्रम के नाम से भी जाना जाता है.

लोक व पौराणिक कथाएं समेटे इस क्षेत्र के बारे में प्राचीन ग्रंथों में भी चर्चा की गई है. ग्रंथों के अनुसार, यह उन योगियों, गुरुओं और ऋषियों का निवास स्थान था, जिनके पास असाधारण आध्यात्मिक शक्तियां और ज्ञान था. यह भी माना जाता है कि ये प्रबुद्ध प्राणी किसी तरह अमरत्व प्राप्त करने में सक्षम हैं, और जीवन और मृत्यु के चक्र को धोखा दे चुके हैं.

बौद्ध ग्रंथों और इन किताबों में है इस स्थान का जिक्र

यह स्थान एक प्राचीन साम्राज्य माना जाता है, जिसका उल्लेख कई बौद्ध ग्रंथों में मिलता है. बौद्ध ग्रंथों के अलावा इस स्थान का उल्लेख रामायण और महाभारत जैसे हिंदू ग्रंथों में भी मिलता है. यह जानना दिलचस्प है कि ज्ञानगंज का सटीक स्थान अभी तक खोजा नहीं जा सका है. माना जाता है कि इसे इस तरह से छुपाया गया है कि यह मनुष्यों की पहुंच से दूर रहे.

परमहंस योगानंद ने अपनी किताब ‘एक योगी की आत्मकथा’ में अपने गुरु महावतार बाबाजी के बारे में लिखा है कि वे सदियों पुराने अमर ऋषि हैं. इसमें उन्होंने ज्ञानगंज का उल्लेख करते हुए बताया है कि उनके गुरु इसी स्थान पर रहते हैं. उन्होंने अपनी पुस्तक में विस्तार पूर्वक इस विषय का पूरा विवरण दिया है. अपने गुरु विशुद्धानंद के बारे में बात करते हुए उन्होंने आगे लिखा कि वो सूर्य विज्ञान सीखने के लिए ज्ञानगंज गए थे. इस ज्ञान में उन्हें सूर्य की किरणों से चीज़ो को प्रकट करने और एक चीज़ से दूसरी चीज़ की जगहे बदलने के बारे सिखाया गया था. इसके साथ ही लेखक जेम्स हिल्टन ने भी अपनी किताब ‘Lost Horizon, about the lost kingdom of Shangri-La’ में इस जगह का जिक्र किया है.

इस रहस्यमयी स्थान के बारे में भारतीय साईं काका गुरु जी ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि वो कई बार ज्ञानगंज का दौरा करके आ चुके हैं. उन्होंने यह भी बताया था कि यह जगह पूरी तरह से आधुनिक विज्ञान से भरी पड़ी है. इस जगह पर अलग ही आयाम और उच्च तकनीक के विमान हैं. ये जगह आज के विज्ञान से लाखों साल आगे है. यह लोक इंसान की कल्पना से बहुत ज्यादा विकसित है.

तिब्बत से भी जुड़ी हैं जड़ें

बहुत से लोग ज्ञानगंज को काल्पनिक मानते हैं लेकिन बहुत से ऐसे तथ्य भी हैं जो इस बारे में सोचने पर मजबूर करते हैं. कहा जाता है ज्ञानगंज की जड़ें भारत ही नहीं बल्कि तिब्बत में भी हैं. तिब्बत में इस साम्राज्य को संस्कृत शब्द शम्भाल नाम से पुकारा जाता हैं, जिसका मतलब ‘सुख का स्रोत’ होता है. ये भी कहा जाता है कि यह प्राचीन जगह दुनिया के गुप्त ज्ञान की रक्षा करती है. मान्यता है कि यह अदभुद क्षेत्र एशिया या हिमालय में किसी अज्ञात स्थान पर छिपा हुआ है.

शम्भाल के राजा का जिक्र

तिब्बती बौद्ध पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र करते हुए लिखा गया है कि जब दुनिया विनाश और युद्ध की खाई की ओर बढ़ने लगेगी तब शम्भाल का 25वां शासक नीले ग्रह यानी धरती को एक बेहतर युग की ओर ले जायेगा. ऐसा कहा जाता है कि इस क्षेत्र के लोगों की आयु गति रुक जाती है जिससे वो सदियों तक जीवित रहते हैं. ये भी जाता है कि यहां रहने वाले लोग अमरत्व को प्राप्त कर चुके हैं और वे कभी नहीं मर सकते. भले ही विज्ञान अमरत्व पर कोई निश्चित फैसला ना कर पाया हो लेकिन वैज्ञानिक ये जरूर मानते हैं कि अगर इंसानी शरीर के हिस्से अपना निर्माण सदैव सही ढंग से करते रहें तो इंसान का सदियों तक जीवित रहना संभव है.

सिद्ध योगी ही यहां तक पहुंच सकते हैं

विभिन्न रहस्यमय परंपराओं में यह स्थान अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखता है. ऐसा माना जाता है कि यह एक पवित्र स्थान है, जहां दिव्य ज्ञान संरक्षित है. यदि रिपोर्ट्स की माने तो, दुनिया भर से आध्यात्मिक साधक इस स्थान पर आते हैं, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जो आत्मज्ञान या कालातीत ज्ञान का अनुभव करना या उसकी झलक देखना चाहते हैं.

ऐसा माना जाता है कि केवल कुशल, योगी या बुरे कर्मों से रहित संत ही इस जादुई भूमि तक पहुंच सकते हैं, लेकिन वह भी अपनी भौतिक बाधाओं और आयामों को पार करने के बाद. यदि आप कुछ प्राचीन बौद्ध ग्रंथों की जांच करें, तो आपको इस स्थान तक पहुंचने के लिए कुछ निर्देश मिलने की संभावना है, लेकिन ये निर्देश समझ से बाहर हैं, जिससे यह किंवदंती और भी जुड़ जाती है कि केवल सिद्ध योगी ही इस स्थान तक पहुंच सकते हैं.

हिटलर के साथ भी जुड़ा है नाम

रिपोर्ट्स के अनुसार ज्ञानगंज से हिटलर का नाम भी जुड़ा है. कहा जाता है कि हिटलर ने अपने जीवन के संघर्ष के दौरान शम्भाल के कुछ लोगों से मुलाकात की थी. उसने प्राचीन तकनीकों की जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने खोजकर्ताओं को ज्ञानगंज की ओर भेजा था. हालांकि जटिल रास्तों के कारण लाख कोशिशों के बाद भी वे लोग वहां नहीं पहुंच पाए थे. ऐसा कहा जाता है कि हिटलर ने डार्क आर्ट्स का पीछा किया और उन गुप्त शक्तियों को पाने के लिए हजारों मनुष्यों की बलि देने का फैसला किया लेकिन वह सफल ना हो सका.