हिमाचल में चादर के ढारे में 17 साल से परिवार सहित नारकीय जीवन यापन कर रही भागमती

छः साल से बीपीएल (BPL) में होने के बावजूद भी भागमती को अपना मकान बनाने के लिए सरकार से आज तक कोई सहायता नहीं मिली। भारी बारिश, तूफान हो अथवा कंपकंपाती ठंड में भागमती लोहे की चादरों से बने ढारे में नारकीय जीवन यापन करने को मजबूर है। सरकार के गरीबों को आवास योजना प्रदान करने के दावे धरातल पर खोखले साबित हो रहे हैं।

भागमती के अनुसार वर्ष 2018 में पीरन पंचायत में उनके परिवार को बीपीएल सूची में डाला गया था। इसके उपरांत वह लगातार स्थानीय पंचायत और उच्चाधिकारियों के आगे मकान की योजना के लिए गिड़गिड़ाती रही, परंतु किसी भी स्तर पर उनकी आजतक सुनवाई नहीं हुई।

व्यथा सुनाते हुए भागमती ने बताया  कि उनके ढारे में दरवाजा न होने के कारण बरसात में कई बार विषैले सांप व बिच्छू रात को प्रवेश करते हैं, जिसके चलते उनका परिवार भयावह स्थिति में जीवन यापन कर रहा है। बारिश का सारा पानी ढारे के अंदर आ जाता है, जिस कारण खाना बनाना व सोना मुश्किल हो जाता है। सर्दियों में बच्चों के साथ ठिठुरती ठंड में रातें बितानी कठिन हो जाती है। उन्होंने बताया कि मेहनत मजदूरी करके मकान बनाना आरंभ किया था, वह भी धन के अभाव में अधूरा पड़ा है।

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क्लस्टर लेवल महिला संगठन क्योंथल की प्रधान गीता ठाकुर ने कहा कि साधन सम्पन्न परिवार बीपीएल को पूरा फायदा उठा रहे हैं, जबकि गरीब व्यक्ति आज भी समाज के अंतिम छोर में अपनी बारी का इंतजार कर रहा है। उन्होंने सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू और ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह से आग्रह किया है कि इस पात्र परिवार के साथ हो रहे पक्षपात की जांच की जाए तथा भागमती को मकान बनाने हेतु सहायता प्रदान की जाए।

किसान सभा के राज्य अध्यक्ष डॉ. कुलदीप तंवर ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी यदि किसी परिवार को ढारे में जीवन यापन करना पड़े तो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होने भागमती को मकान की स्कीम देने की सरकार से मांग की है। पीरन पंचायत के सचिव राजीव ठाकुर ने बताया कि ग्राम पंचायत द्वारा भागमती का नाम मकान योजना के लिए विभाग के उच्चाधिकारियों  को भेजा गया है।