हाथ में फावड़े से लेकर PhD डिग्री तक का सफ़र: दिहाड़ी मज़दूर Sake Bharathi ने हासिल की PhD

शायर शकील आज़मी ने क्या खूब फ़रमाया है. अगर ठान लो तो जीत खुद आपके दरवाज़े पर दस्तक देने आती है. आंध्र प्रदेश की एक महिला ने भी कमर कस लिया कि चाहे जो हो जाए वो अपने नाम के आगे ‘डॉ.’ लगवा के रहेगी. इस महिला ने खेत में फावड़ा चलाया, गोबर के उपले बनाए, दिहाड़ी मज़दूरी कि लेकिन आखिरकार अपने नाम के आगे ‘डॉ.’ लगाने का ख्वाब पूरा कर ही लिया.

दिहाड़ी मज़दूर ने पूरी की PhD

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अगर कोई दिहाड़ी मज़दूर कहे तो दिमाग में न चाहते हुए भी एक छवि बन जाती है. मैले-कुचैले कपड़े पहने हुए मेहनत-मज़दूरी करता एक इंसान. आंध्र प्रदेश की एक महिला, साके भारती (Sake Bharathi) ने साबित कर दिया कि मज़दूरी करते हुए भी इंसान अपने सभी ख्वाब पूरे कर सकता है.

The Times of India के लेख के अनुसार, खेत में मज़ूदरी करने वाली भारती ने देशभर के लोगों के लिए मिसाल पेश की है. आंध्र प्रदेश के ज़िला अनंतपुर के नागुलागुद्दम गांव की साके ने केमिस्ट्री में पीएचडी पूरी कर ली है.

12वीं के बाद हो गई शादी

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भारती बेहद गरीब परिवार से है. बचपन से ही वो अभाव में जीने की आदी है और अभाव में ही पली-बढ़ी. उसने सरकारी संस्थानों से 12वीं तक की पढ़ाई की. तीन बच्चों में सबसे बड़ी होने की वजह से और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से 12वीं के बाद ही मामा से उसकी शादी कर दी गई. भारती की शादी के बाद उसे एक बच्चा भी हुआ लेकिन इस सब के बावजूद उसके सपने नहीं टूटे.

बच्चे को पाला और पढ़ाई भी की

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जिस घर में भारती की शादी हुई उस घर की भी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. भारती एक मां भी बन चुकी थी, ऐसे में पूरे घर और बच्चे को संभालने के साथ पढ़ाई करना भारती के लिए सरल नहीं था. लेकिन उसने हार नहीं मानी. एसएसबीएन डिग्री ऐंड पीजी कॉलेज, अनंतपुर से उसने केमिस्ट्री में ग्रैजुएशन और पोस्ट ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल की. पढ़ाई, घर, बच्चे को संभालन के साथ ही भारती ने खेतों में मज़दूरी भी की ताकि परिवार की आर्थिक स्थिति सुधर सके.

भारती ने बताया कि वो सूरज निकलते ही उठती, घर के काम खत्म करके कॉलेज जाती. गांव से कॉलेज 30 किलोमीटर दूर था. शिक्षकों ने उसे श्री कृष्ण देव राय यूनिवर्सिटी में पीएचडी में दाखिला लेने के लिए प्रोत्साहित किया.

भारती के पति ने दिया साथ

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भारती ने बताया कि उसके पति शिव प्रसाद ने उसका पूरा साथ दिया. आगे की पढ़ाई करने के लिए शिव प्रसाद ने ही उसे प्रोत्साहित किया. ETV Bharat के मुताबिक, शिव प्रसाद ने एक बार गोबर के उपलों के ढेर में एक प्राइवेट इंस्टीट्यूट का विज्ञापन देख लिया था. शिव प्रसाद ने ही भारती का पीएचडी में दाखिला करवाया और पढ़ाई पूरी करवाई.

भारती को केमिस्ट्री में ‘बाइनरी लिक्विड मिक्सचर्स’ में पीएचडी मिली. आगे चलकर भारती कॉलेज प्रोफ़ेसर बनना चाहती हैं. उनका कहना है कि शिक्षा का मूल्य वो अच्छे से समझती हैं. और इसी वजह से आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के बावजूद उन्होंने पढ़ाई पूरी की.

साके भारती की कहानी, हौसले की वो कहानी है जिसे आने वाली पीढ़ियों को भी सुनाई जानी चाहिए.