सेंचुरियन में आज से खेले जा रहे दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ पहले टेस्ट मैच में कैसी है भारतीय टीम की तैयारी

सेंचुरियन में दक्षिण अफ़्रीका-भारत का पहला टेस्ट आज से, क्या इतिहास बना पाएगी टीम इंडिया

विश्व कप क्रिकेट के फाइनल में मिली हार के बाद रोहित शर्मा (दाएं) और विराट कोहली
विश्व कप क्रिकेट के फाइनल में मिली हार के बाद रोहित शर्मा (दाएं) और विराट कोहली

  • Author,विमल कुमार
  • पदनाम,साउथ अफ्रीका के सेंचुरियन शहर से

वर्ल्ड कप की मायूसी को भूलकर टीम इंडिया मिशन साउथ अफ्रीका फतह करने के लिए पूरे दिल से जुट चुकी है.

इस बात का अहसास मुझे पहले दिन ही हुआ जब प्रिटोरिया में कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा के साथ पूरी टीम की मुलाक़ात हुई.

टीम का मूड और माहौल ठीक वैसा ही दिखा, जिसकी झलक आप सभी ने वर्ल्ड कप के दौरान देखा. ये आसान नहीं होता है कि आप इतनी आसानी से उतने बड़े दर्द को भूल जाएं.

वर्ल्ड कप फ़ाइनल में मिली हार की टीस

भारतीय टीम के केवल विराट कोहली का ही दक्षिण अफ्रीका में औसत 50 से अधिक का है

इमेज कैप्शन,भारतीय टीम के केवल विराट कोहली का ही दक्षिण अफ्रीका में औसत 50 से अधिक का है

मैनें द्रविड़ से यही सवाल पूछा कि कितना मुश्किल है वर्ल्ड कप की निराशा को इतनी जल्दी भुलाकर एक और फ़ाइनल फंट्रियर पर जीत हासिल करने की चुनौती.

कोच का जवाब था ये आसान तो नहीं होता लेकिन एक क्रिकेटर के तौर ये आपके स्वभाव का हिस्सा हो जाता है कि आप पुरानी नाकामी को जल्द से जल्द भूलाएं और आगे की चुनौती पर ध्यान दें.

  • राहुल द्रविड़
  • इंडिया अलायंस
  • भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी

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आप बल्लेबाज़ के तौर पर पिछली पारी को भूलतें है, खिलाड़ी के तौर पर पिछली सिरीज़ को क्योंकि अगर ज़्यादा दिन तक आप नाकामी के बारें में सोचते रहें तो इसका असर आपके वर्तमान पर पड़ सकता है.

अच्छी बात यह है कि इस टीम के कप्तान बिंदास शख्सियत वाले रोहित शर्मा हैं, जिन्होंने युवा खिलाड़ियों और अनुभवी खिलाड़ियों के साथ मिलकर ड्रेसिंग रूम का माहौल ऐसा बना रखा है, जहाँ पर तनाव की जगह नहीं है.

लेकिन रोहित और द्रविड़ दोनों जानते हैं कि अगर साउथ अफ्रीका में 32 साल में पहली बार अगर उनकी टीम सिरीज़ नहीं जीत पाई तो उन पर दबाव काफ़ी बढ़ेगा. शायद इसका असर उनके कार्यकाल पर भी पड़े.

क़रीब दो साल के भीतर द्रविड़-रोहित की जोड़ी एक बार टी-20 वर्ल्ड कप के सेमीफ़ाइनल में पहुँची, वन-डे वर्ल्ड कप जीतने के बेहद क़रीब पहुंची और वर्ल्ड टेस्ट चैंपिनशिप के फ़ाइनल में भी पहुंची.

शायद इसलिए रोहित शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेरे सवाल के जवाब में कहा कि यार कुछ तो जीतना पड़ेगा क्योंकि हम लोगों ने इतनी मेहनत की है.

लेकिन, साउथ अफ्रीका में टीम इंडिया का इतिहास बताता है कि जीत सिर्फ़ मेहनत से नहीं मिलती है. एक नहीं दो मौक़ों पर टीम इंडिया ने इस मुल्क में 1-0 की बढ़त ली लेकिन उसे वो बरकरार नहीं रख पाए. सिर्फ महेंद्र सिंह धोनी की टीम 2010-11 में पहला टेस्ट हारने के बावजूद सीरीज बराबर करके लौटी थी.

रोहित और राहुल को इस बात का अहसास होगा कि यहाँ 1-1 की बराबरी वाला नतीजे को नाकामी के तौर पर ही देखा जाएगा.

टीम इंडिया का दक्षिण अफ्रीका दौरा

सेंचुरियन के इसी मैदान पर होना है मैच

इमेज स्रोत,@BCCI/X

दक्षिण अफ्रीका टीम के कप्तान टेंबा बवूमा
 

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टीम इंडिया साउथ अफ्रीका के ख़िलाफ़ बेहद अहम टेस्ट सिरीज़ की तैयारी के लिए क़रीब 10 दिन पहले ही आ चुकी थी, क्योंकि उन्हें इस बात का अहसास था कि शायद बारिश के चलते टेस्ट से ठीक पहले उन्हें पर्याप्त तैयारी का मौक़ा ना मिले.

रविवार को टीम इंडिया ने क़रीब तीन घंटे का ज़बरदस्त अभ्यास किया और सोमवार का दिन वैकल्पिक अभ्यास सत्र था जो आख़िर में बारिश के चलते धुल गया.

रोहित शर्मा और उनके तमाम साथियों को शायद सोमवार का नेट-प्रैक्टिस सेशन रद्द होने से बहुत परेशानी नहीं हुई हो, लेकिन एक खिलाड़ी जिसे मायूसी निश्चित तौर पर हुई होगी तो वो विराट कोहली होंगे.

कोहली रविवार को टीम इंडिया के साथ क़रीब पाँच दिन के ब्रेक के बाद जुड़े थे. एक अहम टेस्ट से ठीक एक दिन पहले और बल्लेबाज़ी का अभ्यास चाहते होंगे.

लेकिन, अगर एक बल्लेबाज़ जिसे ना साउथ अफ्रीकी कंडीशस से परेशानी है और ना ही किसी तरह का खौफ़ तो वो कोहली ही हैं, क्योंकि वो भारतीय इतिहास के इकौलते ऐसे खिलाड़ी हैं, जिसका अफ्रीकी ज़मीं पर टेस्ट औसत 51 से भी ज़्यादा का है.

इत्तेफाक से भारतीय क्रिकेट के दो सबसे बड़े दिगग्ज सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ का भी औसत साउथ अफ्रीका में उनके करियर औसत से करीब 10 फ़ीसदी गिर जाता है.

बहरहाल, बात सिर्फ़ तेंदुलकर और द्रविड़ की नहीं बल्कि दुनिया के हर बल्लेबाज़ यहां तक कि ख़ुद मेज़बान टीम के बल्लेबाज़ों को भी होती है, जिनके लिए अफ़्रीका की पिचें बल्लेबाज़ी के लिए सबसे मुश्किल इम्तेहान साबित होती हैं.

मौजूदा अफ्रीकी टीम में 50 की औसत वाले खिलाड़ी तो दूर की बात बड़ी मुश्किल से 40 की औसत वाले बल्लेबाज़ मिलेंगे. शायद यही वजह है कि मेज़बान टीम के कप्तान बवूमा को भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण का खौफ सता रहा है.

उन्होंने साफ़ कहा है कि तेज़ और उछाल वाली पिचों का लाभ उनकी टीम मिलता, लेकिन भारत के पास भी ऐसे गेंदबाज़ हैं जो पासा पलट देते हैं.

अगर बवूमा और उनकी टीम किसी तरह की पसंदीदा पिच की डिमांड नहीं कर सकती तो दूसरी समस्या भारत के लिए ये भी है कि वो सेंचुरियन की पिच को ध्यान में रखते हुए किस तरह की प्लेइंग इलवेन का चयन करें.

किसे मिलेगा खेलने का मौक़ा

सेंचुरियन में अभ्यास करते भारतीय खिलाड़ी
सेंचुरियन में अभ्यास करते भारतीय खिलाड़ी

रोहित शर्मा, यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल, कोहली, श्रेयस अय्यर, केएल राहुल और रविंद्र जडेजा का चयन एकदम से पक्का है.

यही बात जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज के चयन के साथ है. यानी 11 में से 9 का चयन तो की समस्या नहीं है, लेकिन बचे हुए दो स्थानों के लिए कप्तान और कोच को परेशानी ही रही है.

क्या आठवें नंबर पर ऑलराउंडर के तौर पर दिग्गज रविचंद्रन अश्विन को शामिल किया जाए या फिर शार्दुल ठाकुर को जो पिछली बार अफ्रीका दौरे पर सिर्फ गेंदबाज़ के तौर पर मोहम्मद शमी के बाद सबसे कामयब थे.

तीसरे सीमर के तौर पर मुकेश कुमार को मौक़ा दिया जाय जो कैरेबियाई ज़मीं पर हुई पिछली टेस्ट सीरीज़ का हिस्सा थे या फिर प्रसिद्ध कृष्णा को पहला टेस्ट खेलने का मौक़ा दिया जाय.

ये आसान सवाल नहीं हैं. लेकिन रविवार को नेट प्रैक्टिस देखते हुए ये आभास हो रहा है कि शायद मुकेश कुमार को वरीयता दी जाए.

कुल मिलाकर देखा जाए तो अगले 13 दिन के भीतर टीम इंडिया को दो टेस्ट मैच जीतने हैं.

सेंचुरियन में पहले दो दिन बारिश का प्रकोप रहेगा लेकिन टीम इंडिया का हसरत यही है कि किसी भी हाल में इतिहास रचने के उनके मंसूबों पर इस बार पानी ना फिरे.