नवजात बच्चों को अब किसी भी सूरत में मां के दूध से वंचित नहीं रहना पड़ेगा और बाजारू दूध से अपना पेट नहीं भरना पड़ेगा। श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक में प्रदेश की पहली स्तनपान प्रबंधन यूनिट स्थापित होने जा रही है। इस यूनिट के लिए 30 लाख की मशीनरी खरीदी जा चुकी है, जबकि 45 लाख की मशीनरी खरीदने के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं।
मेडिकल कॉलेज नेरचौक के प्रधानाचार्य डा. डीके वर्मा ने बताया कि स्टेट नोडल अधिकारी डॉ. अनुपम बदन और दो स्टाफ नर्सें राजस्थान से इसकी ट्रेनिंग लेकर वापिस लौट चुके हैं। नवंबर महीने तक इस यूनिट को पूरी तरह से शुरू करने का निर्णय लिया गया है और उस दिशा में कार्य शुरू हो चुका है। इस यूनिट के बन जाने से कोई भी नवजात मां के दूध से वंचित नहीं रह पाएगा और इससे शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी, क्योंकि मां के दूध को सर्वोत्तम आहार माना गया है।
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स्टेट नोडल अधिकारी डॉ. अनुपम बदन ने बताया कि स्तनपान प्रबंधन यूनिट में मां के दूध को एकत्रित करके उसे प्रोसेस किया जाएगा। महिलाएं स्वेच्छा से अपने दूध का दान कर सकेंगी। इस दूध को 6 महीनों तक स्टोर करने का प्रावधान होगा। यदि कोई बच्चा आईसीयू में है और माता उसे स्तनपान नहीं करवा सकती तो उस महिला के दूध को मशीन के माध्यम से निकालकर उस बच्चे को पिलाया जाएगा। जो दूध बच जाएगा उसे माता की मंजूरी से स्टोर करके रखा जाएगा।
यह दूध दूसरे बच्चों को उस महिला की मंजूरी मिलने के बाद ही पिलाया जाएगा और महिला के सभी प्रकार के जरूरी टेस्ट करने के बाद भी दूध पिलाया जा सकेगा। यह यूनिट उन बच्चों के लिए ज्यादा कारगर साबित होगी जिनकी माताएं प्रसव के बाद गंभीर बीमारियों के चलते स्तनपान नहीं करवा सकती। अनाथ बच्चों को भी इस यूनिट के माध्यम से मां का दूध प्राप्त हो पाएगा। भविष्य में जिला के अन्य अस्पतालों में भी इसके केयर सेंटर खोले जाएंगे।