एक फौजी से राजनेता बने सांसद सुरेश कश्यप के जीवन से जुड़े कई रोचक किस्से हैं। एमबीएम न्यूज नेटवर्क (MBM NEWS NETWORK) के कार्यालय में पहुंच कर हल्की-फुल्की बातचीत में सांसद (MP) ने कुछ किस्सों को नेटवर्क के प्रबंध निदेशक शैलेंद्र कालरा से साझा किया। इस दौरान मौजूद पत्नी रजनी कश्यप भी मुस्कुराती नजर आई। करीब डेढ़ घंटे तक सांसद खूब बतियाए।
लंबी बातचीत का सारांश…
हिमाचल प्रदेश की शिमला संसदीय सीट के सांसद सुरेश कश्यप को नहीं लगता…वो सांसद भी हैं, हमेशा ही खुद को आम आदमी महसूस करता हूं। महीने में एक-दो बार नाहन का बाजार पत्नी के साथ घूमना पसंद है।
एक मर्तबा दून विधानसभा क्षेत्र में दौरा कर रहा था। वापस आया तो गाड़ी में एक नए जूतों की जोड़ी पड़ी हुई थी। पीएसओ से पूछा तो बताया…एक कार्यकर्ता ये रख गया है। सोचता रहा कि ऐसा क्यों हुआ होगा। जूते की जोड़ी रखने वाले कार्यकर्ता को संपर्क कर वजह पूछी तो उसने एक तस्वीर भेज दी। तस्वीर को देखकर इल्म हुआ कि जूते में छेद था।
कार्यकर्ता ने कार्यक्रम के दौरान इसे भांप लिया। इसके बाद बाजार से लाकर नए जूते छोड़ गया। तस्वीर भेजते हुए कार्यकर्ता ने ये भी कहा था, अच्छा नहीं लग रहा कि हमारे सांसद का जूता फटा हुआ है।
कांग्रेस की पच्छाद सीट पंरपरागत रही। यहां से गंगूराम मुसाफिर 7 चुनाव जीते। मुझे भी पहली बार हार का सामना करना पड़ा था। फौज की लाइफ से राजनीति में कदम रखना आसान नहीं था। इतना कठिन परिश्रम करना पड़ा, एक मर्तबा सोढा दियाड़ी इलाके में आधी रात को जर्जर झूला पुल से नदी पार करनी पड़ी थी। विरोधी नेता की मुंहबोली बहन ने जागरण का न्यौता दिया था। पत्नी भी साथ थी। तड़के तीन बजे लौटा था। आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं, कैसा वक्त रहा होगा।
फौज में रहा हूं, वैल ड्रैसअप, पॉलिश शूज व डेली शेव दिनचर्या में हैं। फिर भी राजनीति में काफी कुछ अलग हो जाता है। ये तक नहीं ध्यान दे पाता कि जूते टूट चुके हैं।
मानता हूं, सेना का जीवन बिताने के बाद राजनीति आसान कतई नहीं हो सकती। बावजूद इसके जन आकांक्षाओं की कसौटी पर खरा उतरने का प्रयास कर रहा हूं। बेटा, राजनीति में आने का कतई भी इच्छुक नहीं है। कोशिश की है, बेटे को उच्च संस्कार दिए जाएं। ये गर्व महसूस करता हूं, बेटे ने जीवन में कुछ अलग करने का सोचा है। मैंने बेटे को युवा मोर्चा में शामिल होने की पेशकश की थी, वो तैयार ही नहीं था।
चंद सवाल….
सवाल : क्यों देश मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाए?
जवाब : उपलब्धियों की फेहरिस्त तो एक घंटे लगातार बोलने पर भी खत्म नहीं होगी। वो एक फिल्म का डायलॉग है ‘जनता सब जानती है’। 2024 के लोकसभा चुनाव का जब नतीजा जाएगा, तो ये बात सार्थक हो जाएगी….‘जनता सब जानती है’।
सवाल : राजनीति की सफलता में पत्नी का कितना योगदान है?
जवाब : मुस्कुराते हुए पत्नी की तरफ इशारा किया, इनके बिना तो कामयाबी संभव ही नहीं हो सकती। चुनाव के दौरान घंटो पैदल चलने का सामर्थ्य रखती हैं। एक बार भी ये सुनने को नहीं मिला, वो पति के राजनेता होने का प्रभाव दिखाने की कोशिश करती है, ये बात बेटे पर भी खरी उतरती है।
सवाल : हाटी के मुद्दे पर जनता एक मर्तबा विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट दे चुकी है, सीट तब भी नहीं मिली थी।
जवाब : देखिए, उस वक्त कांग्रेस ने अधिसूचना को लेकर संशय पैदा किए थे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू नाहन में आकर लाभ लेना चाहते थे, लेकिन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने केंद्र के स्पष्टीकरण को पहले ही सोशल मीडिया में पोस्ट कर दिया। नतीजन, आनन-फानन में प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया था।
सवाल : फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के टिकट को लेकर क्या कहेंगे?
जवाब : अच्छा है, पार्टी का कुनबा बढ़ेगा। टिकट का फैसला तो आला कमान को करना है।
सवाल : कई मर्तबा आप मीडिया कर्मियों के समक्ष तीखे सवाल पर गुस्सा हो जाते हैं।
जवाब : चेहरे पर लंबी मुस्कान….मैंने हमेशा राजनीति को सिद्धांतों पर किया है। बदले की भावना नहीं रखी। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस।
सवाल : उम्रदराज नेताओं की रिटायरमेंट पर आपकी राय..।
जवाब : मैं कहूं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हमेशा ही ये प्राथमिकता रही है, देश का युवा आगे आना चाहिए। भाजपा लगातार युवाओं को मौका देती है। कांग्रेस की तरह हम नहीं हैं। उम्रदराज नेताओं को भी ढोया जाता है। देश के युवा हमेशा ही एक ऐसे शख्स को चाहते हैं, जिससे वो अपने मन की बात खुलकर कर सकें।