नई दिल्ली – ओलंपिक मेडलिस्ट महिला पहलवान साक्षी मलिक ने गुरुवार को कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर किया। उन्होंने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोते-रोते यह फैसला किया। साक्षी ने कहा कि वह कुश्ती को त्याग रही हैं। यह घोषणा उन्होंने संजय सिंह ‘बबलू’ के रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष (डब्ल्यूएफआई) पद का चुनाव जीतने के थोड़ी देर बाद ही कर दी।
ओलंपिक गेम्स में मेडल जीतने वालीं भारत की एकमात्र महिला साक्षी मलिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हमने लड़ाई लड़ी, पूरे दिल से लड़ी, लेकिन अगर डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष बृजभूषण सिंह जैसा ही आदमी रहता है, जो उनका सहयोगी है, बिजनेस पार्टनर है, वह अगर फेडरेशन में रहेगा तो मैं अपनी कुश्ती को त्यागती हूं। मैं कभी भी आपको वहां (रेसलिंग रिंग) नहीं दिखूंगी। उन्होंने अपने जूते उतारकर सामने रख दिए और रोने लगीं। 31 साल की साक्षी ने साथ ही कहा कि हम 40 दिन सडक़ों पर सोए, प्रदर्शन किया। देश के कोने-कोने से लोग हमें सपोर्ट करने आए। दूर-दूर से आए, बूढ़ी महिलाएं भी आर्इं। ऐसे भी लोग आए, जिनके पास खाने तक के पैसे नहीं थे। फिर भी हमें समर्थन दिया। हम नहीं जीत पाए, लेकिन आप लोगों का बहुत बहुत धन्यवाद।
गृह मंत्री से मिले खेल मंत्री से मिले
मैं कुश्ती त्याग रही हूं…
देश की दिग्गज महिला रेसलर विनेश फोगाट भी साक्षी के साथ मौजूद थी। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने हर तरीके से कोशिश की थी। हम गृह मंत्री से मिले और उन्होंने हमसे 30-40 दिन मांगे थे। आज जो संजय सिंह अध्यक्ष बना, वह बृजभूषण का राइट हैंड है। हमें नहीं पता कि न्याय कैसे मिलता है। हमने हर किसी को अपनी बात बताई। हमने खेल मंत्री को हर एक बात बताई। महिला का शोषण करने वाले को सीट पर बिठाया जा रहा है। दो-चार पीढिय़ां तैयार रहें शोषण के लिए। भगत सिंह ने जब फांसी लगाई थी, तब भी देश आजाद नहीं हुआ था। आजाद होने में समय लगा था। हम किसके सामने जाकर अपना दुख बताएं. अब भी हम लड़ाई लड़ रहे हैं।