बीते कुछ दिनों से सामान्य से अधिक बारिश होने से नदी नाले उफान पर रहे है। गिरि नदी के जल स्तर मेें आशातीत वृद्धि दर्ज हुई है। मरयोग स्थित केंद्रीय जल आयोग द्वारा मापक यंत्र के अनुसार इस वर्ष 11 जुलाई को हुई भारी वर्षा से गिरि नदी का अधिकतर जलस्तर करीब चार मीटर रिकार्ड किया गया है, जोकि इस बरसात के मौसम का सर्वाधिक बढ़ा हुआ जलस्तर माना जा रहा है। इन दिनों गिरि नदी का जल स्तर घटकर करीब अढाई मीटर रह चुका है।
मरयोग स्थित केंद्रीय जल आयोग कार्यालय के प्रभारी प्रमोद कुमार ने बताया कि 20 सितंबर 2008 को गिरी नदी में सबसे ज्यादा बाढ़ आई थी, जिसका जलस्तर बढ़कर सात मीटर हो गया था। इस बार की बरसात में गिरी नदी ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है। वर्ष 2022 बरसात के दौरान गिरि नदी का अधिकतर जलस्तर केवल अढाई मीटर रिकार्ड किया गया था। उन्होंने बताया कि इस वर्ष बाढ़ आने के कारण जल मापने वाले गेज भी नदी में बह गए। जिस कारण पुल के किनारे लगाए गए निशानों से जल स्तर मापा गया है।
गिरि नदी के किनारे रहने वाले अनेक गांव के बुजुर्गो ने बताया कि अतीत में गिरि नदी में बहुत ज्यादा पानी आ जाता है। जिसकी पैमाइश ग्रामीणों द्वारा नदी में पड़ी विशालकाय शिलाओं से की जाती थी। जिसके डूबने पर लोग उन शिलाओं पर बकरे अथवा भेडू की बलि दिया करते थे।
प्रमोद ने बताया कि यशवंतनगर की समुद्र तल से ऊंचाई को मध्यनजर रखते हुए जल आयोग द्वारा जीरो मानक गेज 895 मीटर निर्धारित किया गया है और इस मानक गेज के आधार पर जल स्तर मापा जाता है। अतीत के रिकार्ड का उल्लेख करते हुए उन्होने बताया कि गिरि नदी में 20 सिंतबर 2008 को सबसे ज्यादा बाढ़ 903.80 मीटर रिकार्ड की गई थी। जबकि 5 मई,1995 को सबसे ज्यादा डिस्चार्ज स्तर 1787.59 क्यूसेक रिकार्ड किया गया था।
उन्होने कहा कि गिरि नदी का कैचमेंट एरिया 1349 किलोमीटर है। केंद्रीय जल आयोग द्वारा अब यशवंतनगर के गिरि नदी में स्वचालित सैटेलाईट कैमरा भी स्थापित किया गया है। जिसका कनेक्शन सीधे तौर पर जल आयोग के मंडल एवं उप-मंडल कार्यालय दिल्ली से जुड़ा है। इस स्वचालित कैमरा के माध्यम से नदी के जल स्तर की प्रतिदिन रिपोर्ट दिल्ली जाती है। जहां इसकी विशेषज्ञों द्वारा मॉनिटरिंग की जाती है।