बृजेन्द्र काला उन अभिनेताओं की सूची में आते हैं जो अपने नाम से कम और अपने काम से ज्यादा जाने जाते हैं. बहुत से लोगों को इनका नाम नहीं मालूम होगा लेकिन इनकी सूरत देख कर उन तमाम फिल्मों के नाम जरूर बता देंगे जिनमें इन्होंने अपने अभिनय का जादू चलाया है. वो, सिनेमा जगत में छोटे मोटे किरदार निभाने के लिए जाने जाते थे लेकिन इन्हीं छोटे-मोटे किरदारों से इन्होंने दर्शकों पर ऐसी छाप छोड़ी कि आज लोग इनके अभिनय के दीवाने हो चुके हैं. काला ने बहुत लंबा सफ़र तय किया है तब जा कर इन्हें फ़िल्म जगत में पहचान मिली है. तो आइए जानते हैं इनके संघर्ष के बारे में.
सिनेमा प्रेमियों को बृजेन्द्र काला का शानदार अभिनय इन दिनों विद्या बालन अभिनित फिल्म शेरनी में देखने को मिला था. फिल्म में अपने जोरदार अभिनय के लिए काला ने खूब वाहवाही बटोरी है. इंडियाटाइम्स ने बृजेंद्र के साथ उनकी सिनेमाई यात्रा के बारे में खास बातचीत की. इस दौरान बृजेन्द्र काला ने इंडस्ट्री में अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा,
“वास्तव में मैंने यहां बहुत समय बिताया है. जिन दिनों मैं इंडस्ट्री में आया था तब यहां केवल सिनेमा हुआ करता था. वह ऐसा दौर था जब फिल्म निर्माताओं को गुड लुकिंग हीरो और गुड लुकिंग विलेन ही चाहिए थे. मेरे जैसे अभिनेता जिनके पास आकर्षक व्यक्तित्व नहीं था, उन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था. मैं आज भी इस तरह की मानसिकता को नहीं समझ पाया हूं, जहां सुंदर दिखने को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है.”
बृजेन्द्र आगे बताते हैं कि “मैं अपने सर्वाइवल के लिए केवल अभिनय ही नहीं करता था. इसके साथ ही मैंने लिखना भी शुरू किया. मैंने खुद को इस इंडस्ट्री में बनाए रखने के लिए हर काम किया. मुझे जब भी एक्टिंग में मौका मिलता था तो मैं कोई भी रोल कर लेता था. लेकिन मैंने कभी बेरोजगारी का सामना नहीं किया. मैं एक अभिनेता या लेखक के रूप में लगातार काम करता रहा हूं. मैं लड़ता रहा. हां, एक समय आया जब मुझे काम करना पसंद नहीं था, लेकिन अपनी आजीविका के लिए मुझे करना पड़ा.
बृजेंद्र ने एक दिन फैसला किया कि अब वह धारावाहिकों में और काम नहीं करेंगे. अब से वह केवल उस सिनेमा में ही काम करेंगे जो उनकी एकमात्र सच्ची मोहब्बत है.
“एक दिन मैंने फैसला किया कि मैं धारावाहिकों में काम नहीं करूंगा. इसके बाद मैंने काम से ब्रेक ले लिया और अच्छे काम के लिए इंतजार करने लगा. इसके बाद मिथ्या नामक एक फिल्म में मुझे काम मिला और इस फिल्म ने मेरे काम को नई दिशा दी. फिर मुझे पान सिंह तोमर में काम मिला और उस फिल्म के बाद मुझे अच्छा काम मिलने लगा. जैसे कि आंखों देखी, भूतनाथ रिटर्न्स, पीके, एमएस धोनी आदि जैसी बहुत सी फिल्में.”
इतनी कठिन सिनेमाई यात्रा के बावजूद बृजेन्द्र कहते हैं कि उन्हें कभी कोई अफसोस नहीं रहा.
“नहीं मुझे कोई पछतावा नहीं है और मैंने कभी नहीं सोचा कि मैं यहां क्यों आया. असल में मैंने हमेशा सोचा था कि अगर भगवान न करे मुझे फिल्म इंडस्ट्री में ज्यादा काम नहीं मिलता है और मुझे आजीविका के लिए कुछ और काम करना पड़ता है, तब भी मैं सिनेमा में वापस आऊंगा क्योंकि यह मेरा शाश्वत प्रेम है. ”
बृजेन्द्र कहते हैं कि “कैरेक्टर आर्टिस्ट हमेशा से सिनेमा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं. हम सबने देखा है कि महमूद साहब, जॉनी वॉकर और ऐसे कई अन्य कलाकार अपने दौर में मुख्य अभिनेताओं के साथ लगातार बने रहे थे. आपको खुद को साबित करने के लिए बस एक मौके की जरूरत होती है और मुझे वह मौका मिथ्या और पान सिंह तोमर के साथ मिला. यहीं से लोगों ने वास्तव में मेरे काम को देखा और उसकी सराहना की. इसी के बाद मुझे लगा कि मैंने सफलता को पा लिया.
अपने सिनेमाई अधिकारों के बारे में बृजेंद्र कहते हैं कि “हम जैसे अभिनेताओं को एक पूर्ण भूमिका निभाने का मौका चाहिए जिससे कि हम अपने अभिनय का असल जादू बिखेर सकें. हमारे पुरस्कार अभी बाकी हैं. ऐसे बहुत से कलाकार हैं जो हर रोज संघर्ष करते हैं केवल उस एक प्रशंसा को पाने के लिए. खुद को साबित करने के लिए उन्हें केवल एक अवसर की जरूरत होती है.
आगे उन्होंने कहा, “केवल बड़े अभिनेताओं को अपनी भूमिकाएं चुनने का अधिकार है, हम जैसे अभिनेताओं को उस एक भूमिका में अपनी प्रतिभा दिखानी होती है जो हमें जाती है. मैंने हमेशा महसूस किया कि आपको जो भी किरदार मिलता है उसी में खुद को साबित करें. मौका पे चौका लगाना पड़ता है.”
अपने पछतावों के बारे में बात करते हुए काले कहते हैं कि “मुझे कोई पछतावा नहीं है लेकिन मुझे हमेशा लगता था कि अगर मुझे अपने युवा दिनों में काम मिल जाता तो मैं और बेहतर कर पाता. लेकिन जो है सो ठीक है. आज के समय में मैं अच्छा काम कर रहा हूं. इस इंडस्ट्री में सभी को सफलता नहीं मिलती है. मैंने इस इंडस्ट्री में ऐसा दौर भी देखा है जब मुझे काम पाने के लिए करीब डेढ़ साल तक इंतजार करना पड़ा था. जब मेरे पास कोई काम नहीं था तभी मुझे जब वी मेट मिली.”
अंत में हमने बृजेंद्र से पूछा कि एक अभिनेता के रूप में उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है ? इस सवाल पर उन्होंने तुरंत ही कहा ‘पहचान.’
“एक अभिनेता के रूप में मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लोग मुझे पहचानते हैं, वे मेरे अभिनय की शैली की सराहना करते हैं.”