पराशर ऋषि की तपोस्थली भूमि में मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा अतिक्रमण के मामले पर विश्व हिंदू परिषद व देव समाज उग्र हो गया है। मंडी में आयोजित संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान प्रांत अध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद लेखराज राणा ने कहा कि सरकार की खाली पड़ी जमीनों पर प्रदेश में मुस्लिम समुदायों के लोगों द्वारा अवैध तरीके से निर्माण किया जा रहें हैं।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बाहर से आकर मौलवी हिमाचल में रह रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों को भटका रहे हैं, और पूरे प्रदेश में अवैध रूप से मस्जिदों का निर्माण किया जा रहा है। लेखराज राणा ने कहा कि इससे पहले भी प्रदेश में कई मामले सामने आए हैं जिनमें मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा सरकारी जमीन पर पहले अवैध निर्माण किए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि देव पराशर ऋषि की धरती पर सुक्कासर के पास मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा अवैध तरीके से मस्जिद का निर्माण किया जा रहा था, लेकिन जिसे आज स्थानीय प्रशासन के द्वारा हटा दिया गया है।
सुक्कासर के पास यह जमीन कुछ महीनों के लिए इन समुदाय के लोगों को परमिट के आधार पर चरागाह के नाम पर दी गई है। लेकिन इनके द्वारा यहां पर अवैध रूप से मस्जिद व अन्य निर्माण किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस समुदाय के लोगों द्वारा कुछ वर्ष पहले भी यहां पर ऐसी हरकत की गई थी। जिसे भी देव समाज व स्थानीय लोगों के द्वारा बंद करवा दिया गया था। लेखराज राणा ने कहा कि मंडी जिला में भी 5 स्थानों पर अवैध तरीके से मस्जिदों का निर्माण किया गया है। जिसके बाद भी जिला प्रशासन भी मूकदर्शक बना हुआ है।
वहीं, उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के ऊपरी इलाकों में जितने भी चरागाह हैं, वह मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी आवंटित किए जाते हैं। जबकि हिंदू समाज के लोग भी भेड़ बकरियों व अन्य पशु पालते हैं। लेखराज राणा ने कहा कि जानकारी मिली है कि पराशर में चरागाह के परमिट भी इन व्यक्तियों के नाम पर नहीं है जो वहां पर रह रहे हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार के मुखिया सुखविंदर सिंह सुक्खू से बाहरी राज्यों से आ रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ जांच की मांग उठाई है।
इस मौके पर पराशर मंदिर कमेटी प्रधान बलवीर ठाकुर ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोग यहां पर कुछ महीनों के लिए आते हैं। जबकि इन घास के कोठों के निर्माण के लिए भारी संख्या में इमारती लकड़ी का दुरुपयोग हो रहा है। पराशर में चरान के परमिट व घास के कोठों के बारे में पहले भी वन विभाग को अवगत करवाया गया है। लेकिन वन विभाग के अधिकारी इस बारे में कोई सुध नहीं ले रहें हैं। उन्होंने कहा कि पराशर पर्यटन नगरी के रूप में विकसित हुआ है। यहां पर इस तरह की गतिविधियां नहीं होनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जिला प्रशासन इस बारे में कोई सुध नहीं लेता है तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।