नुकीले पत्थरों से शेव करने वालों को एक कंपनी ने कैसे सिखाया शेविंग का नया अंदाज़?

बीयर्ड रखना आजकल का फैशन बन चुका है. पर उसके लिए भी आपको समय-समय पर जरूरत होती है बीयर्ड सेटिंग की. क्लीन शेव पसंद करने वालों के लिए तो बीयर्ड सेटिंग या शेविंग रोज का काम है.

शेविंग के लिए भले ही अब कितनी ही आधुनिक मशीनें आ चुकी हों ले​किन शेविंग का सही तरीका पसंद करने वालों का भरोसा आज भी जिलेट पर बना हुआ है. जिलेट वो कंपनी है जिसने उस वक्त दुनिया को सेविंग का नया तरीका दिया जब लोग नुकीले पत्थरों से दाढ़ी के बाल साफ किया करते थे. सोचिए वो तरीका कितना मुश्किल भरा होगा, जब नुकीले पत्थरों को अपने गालों पर चलाना पड़ता होगा!

पर आप ये मत सोचिए कि जब जिलेट ने लोगों को सेविंग का नया अंदाज दिया तो उसे हाथों हाथ लिया गया हो. बल्कि जिस साल कंपनी ने पहली बार मार्केट में जिलेट रेज लॉच की, उस साल मुश्किल से 51 रेजर की ही बिक्री हुई थी. अब जिलेट ने कैसे इस आंकड़े को लाखों-करोड़ों तक पहुंचाया और लोगों को सेविंग का नया तरीका सिखाया, ये जानना दिलचस्प होगा!

पाषाण युग से शुरू हुआ था सफ

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शेविंग के ट्रेंड भले अब शुरू हुआ हो लेकिन दाढ़ी तो आदिमानव भी बनाया करते थे. पुरातन काल पर शोध करने वाले बताते हैं कि पाषाण युग की शुरुआत के साथ ही मानव ने दाढ़ी बनाना और बाल काटना शुरू किया था. इस काम के लिए नुकीले पत्थर इस्तेमाल किए जाते थे. फिर जब लोहे और तांबे का आविष्कार हुआ तो लोहे से बनी रेजर का प्रयोग किया जाने लगा.

लेकिन यह पूरी प्रक्रिया खतरों से भरी थी. क्योंकि अगर शेविंग का काम कोई एक्सपर्ट नहीं कर रहा है तो चोट लगने की पूरी संभावना होती थी. उन्नीसवीं सदी आते-आते शेविंग के लिए ऐसे ब्लेड बनने लगे थे, जो पूरी तरह खुले होते थे. इनको पकड़ने के लिए हैंडल उनके साथ ही जुड़ा होता था. ये तरीका तो पहले से आसान था पर दिक्कत थी कि ब्लेड को बार बार पैना करना होता था. यानि ये काम बस नाई के बस का था.

जिस बारे में कोई सोच नहीं रहा था उस बारे में सबसे पहले किंग कैंप जिलेट को ख्याल आया. उन्होंने शेविंग के तरीके को आसान और सुरक्षित बनाने के बारे में सोचा. चूंकि यह लोगों की रोज की जरूरत वाली चीज थी इसलिए वे जानते थे कि अगर कुछ ऐसा बनता है जो शेविंग के तरीके को आसान करेगा, तो वह हाथों हाथ बिक जाएगा.

कैंप जिलेट का जन्म 5 जनवरी 1855 को हुआ था. 1871 में घर में आग लग जाने के कारण उन्हें शिकागो आना पड़ा. असल में यहीं उन्हें आश्वचर्यजनक आ​इडिया आया. वे लोहे का व्यापार करते थे. एक बार एक कर्मचारी ने उन्हें सलाह दी कि वे एक ऐसी चीज का निर्माण करें, जो एक बार प्रयोग करने के बाद फेंक दी जाए. ऐसी चीज उपभोक्ता को बार-बार हमारे पास आने को मजबूर करेगी.

जब ये विचार दिया जा रहा था तब सोचने के लिए दाढ़ी पर हाथ फेरा गया और बस काम हो गया.

दुनिया को सिखाया शेविंग का तरीका

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कैंप ने बिना देर किए रेजर और ब्लेड का निर्माण शुरू कर दिया. उन्होंने ऐसी शेविंग ब्लेड बनाई जिसे बार—बार पैना करने की जरूरत ना हो. यानि एक ब्लेड बस एक बार इस्तेमाल में आती. चूंकि यह इकलौता प्रोडेक्ट था इसलिए बिजनेस में अच्छे मुनाफे की उम्मीद की गई. पर आपको जानकर आश्वर्य होगा कि 1903 की पहली बिक्री में उनकी कंपनी ने 51 रेजर और 168 ब्लेड बेचे.

ऐसा इसलिए भी था कि लोग शेविंग के नए तरीके को ठीक से समझ नहीं पा रहे थे. इसलिए कंपनी ने सबसे पहले लोगों को घर पर शेविंग करने का तरीका सुझाया. उन्हें सिखाया कि कैसे आसान तरीके से शेविंग की जा सकती है. इसके बाद 1904 के अंत तक कंपनी ने करीब 90 हजार रेजर और 1 करोड़ 24 लाख ब्लेड का उत्पादन किया. बाजार में उनके उत्पाद खूब पसंद किए गए.

लोगों ने अब घर पर शेविंग करना सीख लिया था. चूंकि काम्पटीशन में कोई और नहीं था इसलिए हर घर में जिलेट की डिमांड बढ़ने लगी. जिलेट ने अपनी कंपनी को पेटेंट करवाया और उसका नाम चल निकला. हालांकि कुछ ही समय में जिलेट की देखा देखी कई और कंपनियां मार्केट में उतर आईं. जिलेट ने अपनी मार्केटिंग कार्यनीति में परिवर्तन किया और ब्लेड को सस्ता करके रेजर को महंगा कर दिया.

हालांकि, जिलेट का नाम दुनिया की जुबान पर था इसलिए लोगों ने महंगे रेजर भी खूब खरीदे.

मार्केट में आए वैयराइटी रेजर

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1921 में जिलेट का पेटेंट ख़त्म हो गया. इसके बाद कंपनी ने वापिस रेजर के दाम कम कर दिए. अब मुनाफा कमाने के लिए कंपनी ने रेजर के स्टाइल में परिवर्तन लाने शुरू किए. उस समय मार्केट में सिरिक, विलकिंसन, निंजा, लेंसर और टोपाज जैसे ब्रांड आ चुके थे. खुद को मार्केट में टिकाए रहने के लिए 1925 में जिलेट ने सेफ्टी रेजर निकाला. इसमें त्वचा को कटने से बचाने के लिए कुछ उपाय किए गए थे.

इसमें अब आप ब्लेड का एंगल सेट कर सकते थे. इसके साथ ही रेजर पर अच्छी पकड़ बनाने के लिए भी परिवर्तन किए गए. ब्लेड को लगाना और हटाना भी आसान किया गया. 1957 में कंपनी ने फिर रेजर का स्टाइल बदल दिया. रेजर के हैंडल में एक एडजस्टमेंट डायल फिट किया. इसका सीधा संबंध ब्लेड से था. इसमें तीन पैमाने थे. लोग अपनी जरूरत के हिसाब से हैंडल में लगे डायल को सेट करके शेव कर सकते थे.

इसके साथ ही इसमें ब्लेड एंगल को सेट करने का विकल्प भी था. 1965 में जिलेट ने टेकमैटिक रेजर निकाला. यह सिंगल ब्लेड का रेजर था. इसमें ब्लेड को बार-बार हटाने और लगाने की जरूरत नहीं थी. इस एक ब्लेड से कम से कम पांच बार शेव किया जा सकता था. यही नहीं ऐसा कहा जाता है कि एक समय में अंतरिक्ष यात्री इसी रेजर का इस्तेमाल करते थे. 1971 में जिलेट ने दुनिया का पहला दो ब्लेड वाला रेजर निकाला.

इसका नाम था ट्रैक टू. 1977 में जिलेट ने ऐट्रा नाम से एक नया रेजर लांच किया. इसकी विशेषता यह थी कि यह चेहरे के कर्व्स पर आसानी से एडजस्ट हो जाता था. चेहरे के साथ-साथ इससे सर की शेविंग करने में भी आसानी होती थी. 1985 में इसका एडवांस वर्जन ऐट्रा प्लस लांच किया गया. इसके बाद हर 4 से 5 साल में कंपनी नए तरह का रेजर लॉच करती और कॉम्पटीशन के मामले में सबको मात देती रही.

2014 में एक कदम और आगे बढ़ते हुए जिलेट ने फ्लेक्सवाल तकनीक पर आधारित नया शेविंग रेजर लांच किया. इसमें ब्लेड और हैंडल के जुड़ने की जगह पर एक छोटी सी बाल का प्रयोग किया गया. इसके प्रयोग से ब्लेड की फ्लेक्सिबिलिटी बहुत बढ़ गई. कुल मिलाकर जिलेट ने लोगों को ना केवल पहली बार शेविंग का तरीका दिया बल्कि हर साल उसे आसान और आसान बनाती गई.

तभी तो महज चंद रूपयों से तैयारी हुई ये कंपनी आज दुनिया की नम्बर वन शेविंग किट निर्माता कंपनी बनी है.