साल 2020 में नगर निगम शिमला द्वारा चलाए गए “ट्रेड ऑफ अडॉप्टेशन प्रोग्राम” के बावजूद भी आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इतने समय में अब तक पूरे शहर में केवल 200 कुत्तों को ही लोगों ने गोद लिया है। जबकि शहर में आवारा कुत्तों की संख्या अब हजारों में पहुंच गई है। नगर निगम की इस योजना में शहरवासी कम रुचि दिखा रहे हैं। वहीं आवारा कुत्तों की बात की जाए तो लगातार शहर में इनका आतंक बढ़ता जा रहा है।
हालत ये है कि मॉल रोड सहित रिज मैदान में ही कुत्ते सरेआम झुंडों में घूमते हुए नजर आते है। इससे लोगों को यहां घूमना तक मुश्किल हो जाता है। इसी तरह से उपनगरों में भी कुत्तों के खौफ से लोग खासे परेशानी में हैं। रात के अंधेरे में अकेले जाने वाले व्यक्ति पर कुत्ते अचानक से हमला बोल देते हैं।
यही नहीं रात को झुंडों में कुत्ते भागदौड़ करते हैं, जिससे लोग डर जाते हैं। कुत्तों से होने वाली परेशानियों को लेकर लोगों की लगातार नगर निगम को शिकायतें मिलती रहती हैं, लेकिन अभी तक इस पर कोई भी उचित कदम नहीं उठाया जा सका है। नगर निगम के मुताबिक शिमला में आवारा कुत्तों की संख्या पांच हजार के करीब है। कुत्तों की नसबंदी किए जाने के बाद भी लगातार शहर में कुत्तों की संख्या बढ़ रही है।
नगर निगम शिमला को स्ट्रे डॉग अभियान के तहत स्कॉच अवार्ड भी मिल चुका है। वहीं शहर वासी जो आवारा कुत्तों को गोद लेते हैं उनके लिए टैक्स और पानी सहित अन्य सेवाओं को फ्री किया गया है। इसके बावजूद भी शहरवासियों की इस प्रोग्राम में कम रुचि दिख रही है।
रोजाना 8 से 10 मामले
यही नहीं शहर में कुत्तों के काटने के मामलों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। शिमला में स्थित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में ही कुत्तों के काटने को रोजाना औसत 8 से 10 मामले आते हैं। कुत्तों के काटने पर लोगों को कोई मुआवजा भी नहीं दिया जाता है। इस कारण इंजेक्शन व दवाइयों पर लोगों को काफी पैसा खर्च हो जाता है।
नगर निगम ने अब तक स्ट्रे डॉग अडॉप्टेशन प्रोग्राम के तहत 200 कुत्तों को अडॉप्ट करवाया है। हालांकि अभी भी आवारा कुत्तों की संख्या ज्यादा है लेकिन नगर निगम की काफी हद तक मुहिम रंग लाई है।