हिमाचल प्रदेश की नौकरशाही दिव्यांगों के लिए बने कानून तथा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों तक की धज्जियां उड़ा रही है। ऐसा तब हो रहा है जब स्वयं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दिव्यांगजनों एवं अन्य कमजोर वर्गों के प्रति अत्यंत संवेदनशील हैं।
दिव्यांगों के लिए कार्य कर रही संस्था उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष और राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के पूर्व सदस्य प्रो. अजय श्रीवास्तव ने अंतरराष्ट्रीय विकलांग जन दिवस की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री को भेजे एक पत्र में नौकरशाही के विरुद्ध गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है की सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग खुद दिव्यांगजनों के साथ अन्याय कर रहा है।
प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि उनकी जनहित याचिका पर 4 जून 2015 को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट की खंडपीठ ने दिव्यांग विद्यार्थियों की शिक्षा को विश्वविद्यालय स्तर पर बिल्कुल मुफ्त उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद मेडिकल कॉलेजों, नर्सिंग कॉलेजों, इंजीनियरिंग कॉलेजों, पॉलिटेक्निक संस्थानों और आईटीआई आदि में हाईकोर्ट के आदेशों को लागू नहीं किया गया। इस बारे में उन्होंने मुख्य सचिव 18 अक्टूबर को भी पत्र लिखा था, लेकिन उसके बावजूद भी कुछ नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि विकलांग जन अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत दिव्यांगजनों से जुड़े विषयों पर नीति तैयार करने के लिए राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड का गठन किया जाना अनिवार्य है। हर 6 महीने के भीतर इसकी कम से कम एक मीटिंग होनी चाहिए। भाजपा सरकार ने वर्ष 2018 में यह बोर्ड गठित किया था। लेकिन वर्ष 2022 में सरकार की विदाई तक सिर्फ एक मीटिंग आयोजित की गई। सलाहकार बोर्ड की मियाद खत्म हुए भी काफी समय बीत गया है। लेकिन नई सरकार बनने के एक साल बाद भी बोर्ड का गठन नहीं किया गया।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग सुप्रीम कोर्ट तक के आदेशों पर गंभीर नहीं है। सीमा गिरिजा बनाम भारत सरकार एवं अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ की बेंच ने अन्य राज्यों के साथ ही हिमाचल प्रदेश सरकार को भी आदेश दिया था की कुछ मुद्दों को 31 अगस्त तक लागू कर दिया जाए।
इनमें स्वतंत्र विकलांगता आयुक्त की नियुक्ति, राज्य विकलांगता फंड बनाना, अत्यंत गंभीर विकलांगता वाले लोगों की दिव्यांगता के आकलन के लिए बोर्ड का गठन और राज्य सलाहकार बोर्ड का गठन आदि मामले शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट की दी गई 31 अगस्त तक की मियाद निकल चुकी है और अफसरशाही की मेजों पर फाइलें इधर से उधर घूम रही है। प्रो. अजय श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह दिव्यांगों के प्रति अपनी संवेदनशीलता के अनुरूप नौकरशाही पर लगाम लगाएं और इस वर्ग के लिए न्याय सुनिश्चित करें।