मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनो में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौंसलों से ही उड़ान होती है. ये लाइन राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले मुकेश दाधीच पर बिल्कुल फिट बैठती है. चाय बेचकर, गार्ड की नौकरी करते हुए मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई की और अपनी मंजिल तक पहुंचा गए.
घर का ख़र्च चलाने के लिए चाय बेची
मुकेश दाधीच जोधपुर के मदेरणा कॉलोनी में रहते हैं. उनके पिता चाय की छोटी सी टपरी चलाते हैं. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन उनका सपना था कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर उनका नाम रौशन करें. इसी मकसद से उन्हें पढ़ाने की कोशिश करते रहे.
जब मकेश थोड़ा बड़े हुए तो अपने पिता के कामों में उनका हाथ बटाने लगे. फिर चाय की दुकान को खुद संभाल लिया. लेकिन वो इसमें खुश नहीं थे. वो एक अच्छी नौकरी करना चाहते थे. जिसके लिए वह चाय बेचने के साथ मेहनत से पढ़ाई करते रहे.
रात में की गार्ड की नौकरी
मुकेश को चाय बेचते समय भी जो भी खाली वक़्त मिलता उसमें वो किताबें पढ़ते. लेकिन किस्मत उनका साथ नहीं दे रही थी. घर का खर्च और खुद की पढ़ाई के लिए पैसों की कमी पड़ रही थी.
ऐसे में मुकेश दिन भर चाय बेचते और रात के समय नागोरी गेट स्थित सेंट्रल बैंक के एटीएम पर गार्ड की नौकरी करने लगे. नौकरी के दौरान गार्ड रूम में बैठकर वो पढ़ाई करते थे. मुकेश बताते हैं कि दिन-रात काम करने की वजह से उन्हें ठीक से सोने का भी वक़्त नहीं मिल पाता था.
रंग लाई मेहनत, बने PWD में जूनियर इंजीनियर
बावजूद इसके तमाम मुश्किलों का सामना मुकेश अपने बुलंद हौसले के साथ पढ़ाई करते रहे. फिर उनकी मेहनत रंग लाई. उनका सिलेक्शन पीडब्ल्यूडी में जूनियर इंजीनियर के पद पर हुआ है. उनकी सफलता से उनका परिवार बहुत खुश है. मुकेश का कहना है कि कामयाबी पाने के लिए आपको लगातार अभ्यास, निरंतर पढ़ाई और अथक मेहनत की जरूरत होती है. इसका कोई शॉर्टकट नहीं होता है.