गरीबी से निकालकर कामयाबी हासिल करने की बहुत सी कहानियां हमने सुनी हैं. अपनी मेहनत और लगन के दम पर बहुत से लोगों ने अपनी किस्मत में लिखी गरीबी को मिटा दिया. कोई अधिकारी बना तो किसी ने बिजनेसमैन बन कर पैसे को अपना गुलाम बना लिया. लेकिन इनमें बहुत कम लोग ऐसे देखने को मिलेंगे जिन्होंने कामयाब होने के बाद उन जैसों के बारे में सोचा होगा जो आज उसी गरीबी में जी रहे हैं, जहां कभी ये रहा करते थे.
थान सिंह बने मिसाल
ऐसे ही गिने चुने लोगों में से एक नाम है थान सिंह का. हमने कई ऐसे IAS, IPS ऑफिसर्स की कहानियां सुनीं हैं जो कभी झुग्गी-झोपड़ी में रहते थे, जिनके माता-पिता खेती, मजदूरी और रिक्शा चलाने जैसे काम कर परिवार का पालन-पोषण करते थे. लेकिन ये सब अपनी मेहनत के दम पर कामयाब हुए. थान सिंह भी ऐसी ही शख्सियतों में से एक हैं जिनका बचपन गरीबी में बीता. लेकिन आज वह अपनी मेहनत के दम पर दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल हैं. उनके माता-पिता लोगों के कपड़ों पर इस्त्री कर अपना घर चलाते थे.
जरूरतमंद बच्चों के लिए वरदान है थान सिंह की पाठशाला
थान सिंह के लिए अपनी मेहनत के दम पर गरीबी से निकल कर पुलिस फोर्स ज्वाइन करना जितनी बड़ी बात है उससे भी ज्यादा बड़ा है उनका वो कर्म जिसे वो आज बड़ी शिद्दत से निभा रहे हैं. उन्होंने अपने जीवन में सफलता पाने के बाद ये दृढ़ निश्चय कर लिया कि वह झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों की जिंदगी संवारेंगे. इसके बाद दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल बनने यानी सरकारी नौकरी मिलने के बाद वह अपना मकसद पूरा करने में जुट गए. इसके लिए उन्होंने गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए एक स्कूल की शुरुआत की और इसे ‘थान सिंह की पाठशाला’ नाम दिया.
4 बच्चों से शुरू किया आज हैं 60
थान सिंह के इस नेक काम को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने अपने साप्ताहिक पॉडकास्ट कार्यक्रम ‘किस्सा खाकी का’ के एक एपिसोड में उनकी कहानी सुनाई थी. दिल्ली में लाल किले के पास साईं बाबा का एक छोटा सा मंदिर है, इसी मंदिर के पास थान सिंह ने ‘थान सिंह की पाठशाला’ नाम से विद्या का एक मंदिर बना लिया है. न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में जब थान सिंह ने अपने इस अनोखे स्कूल की शुरुआत की थी तब उनके पास मात्र 4 बच्चे पढ़ने आते थे मगर मौजूदा समय में थान सिंह की पाठशाला में 60 बच्चे पढ़ते हैं.
थान सिंह बच्चों को केवल पढ़ाने का ही काम नहीं करते, बल्कि इसके साथ ही वह उन्हें किताबें, कॉपी व स्टेशनरी का सामान भी उपलब्ध करवाते हैं. थान सिंह की इस नेक सोच और मेहनत की वजह से आज मजदूरी करने वाले से लेकर कचरा बीनने वाले तक 31 बच्चों को दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दाखिला मिल चुका है. अब उनकी इस पाठशाला में ऐसे बच्चे भी पढ़ने आते हैं जो लाल किले से दूर रहते हैं. इतनी दूसर से बच्चों को आने में कोई दिक्कत ना हो इसके लिए थान सिंह ने उनके लिए ई-रिक्शा का प्रतिबंध भी किया हुआ है.