जिला बिलासपुर की पचायतघर के पास लिफाफा में बंदकर फेंक दिया मेस का खाना

जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के उपरांत मौके पर पहुंचे एम्स और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी l

बिलासपुर के कोठीपुरा में स्थित एम्स शिक्षण संस्थान व ग्राम पंचायत छडोल में मौके पर पहुंची पर्यावरण प्रदूषण टीम एम्स प्रबंधन अधिकारियों व स्थानीय वीडियो के दृश्य l

बिलासपुर के उपमंडल सदर के छड़ोल पंचायत घर के पास गत दिवस को भारी संख्या में एक लिफाफे फेंके हुए मिले। इसके बाद हमीरपुर संसदीय क्षेत्र हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया विभाग के कोऑर्डिनेटर नरवीर ठाकुर ने इसकी शिकायत उपायुक्त को की। शिकायत मिलने के तुरंत बाद ही उपायुक्त ने प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी को मौके पर जाकर जांच करने के आदेश दिए। उनके साथ इस दौरान एम्स बिलासपुर के उप निदेशक, बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे।

उपायुक्त को दी गई लिखित शिकायत में वर्णित किया था कि बिलासपुर एम्स संस्थान प्रबंधन द्वारा संवेदनशील गीला कचरा, प्लास्टिक बेस्ट और गंदगी से भरे हुए कचरे की गाड़ियां ग्राम पंचायत छड़ोल के पंचायत घर से मात्र दो सौ मीटर के पास खाली की गई हैं। यह कचरा छड़ोल और चेहड़ी गांव के बीच सफेदा मोड़ के पास रात के -अंधेरे में कई दिनों से गाड़ियों के माध्यम से उतारा आ रहा है। इससे क्षेत्र में बीमारियां फैलने का खत्तरा बना है। शिकायत में लिखा था कि कचरा डंप करने के लिए एम्स प्रबंधन और संबंधित बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी द्वारा गीला कचरा प्रबंधन के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। उक्त दोनों गांवों के बीच में वन विभाग की खाली जमीन पर फेंक दिया है जो निंदनीय

बिलासपुर की ग्राम पंचायत छड़ोल के पास फेंका पैकेटों में मेस का खाना।

यह गीला कचरा और प्लास्टिक किसी बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट मशीन द्वारा छोटे- छोटे कतरों में काटा गया है। इस प्रकार की मशीन एम्स संस्थान के अलावा बिलासपुर में किसी और विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। इससे साफ है कि यह कचरा फेंकने के लिए एम्स प्रबंधन और उसके साथ जुड़ी कोई सफाई व्यवस्था वाली कंपनी जिम्मेदार है।

शिकायत मिलने के बाद उपायुक्त ने प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के. क्षेत्रीय अधिकारी को इसके बारे में रिपोर्ट देने के आदेश दिए। वहीं प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, संबंधित विभागों और एम्स के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। मौके पर पहुंचकर जब देखा

मौके पर पहुंची टीम ने जांच के उपरांत पाया कि यह बायोमेडिकल वेस्ट नहीं है। न ही यह पुष्टि हुई कि वह कूड़ा वहां पर किसने फेंका है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी चमन ठाकुर ने बताया कि उन लिफाफों में घरेलू वेस्ट जमा था। मैस का व्यर्थ खाना भरा हुआ था।

यह यहां किसने फेंका इसका कोई पता नहीं है। उनके आग्रह पर मौके पर मौजूद एम्स के कार्यकारी निदेशक ने उस कचरे को वहां से हटाने के लिए हामी भरी है। कचरे को हटाना भी शुरू कर दिया गया है। जो गीला कचरा होगा उसका एम्स में ही निष्पादन कर उसकी खाद बना दी जाएगी। वहीं प्लास्टिक को एसीसी सीमेंट फैक्ट्री भेजा जाएगा l

क्या था मामला –

गौरतलब है शुक्रवार सुबह शिकायत मिली थी कि छड़ोल पंचायत के पास लिफाफों में भरकर बायोमेडिकल वेस्ट फेंका गया है। इसके बाद जिला प्रशासन ने प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों को मौके पर जाकर जांच करने के आदेश दिए। रिपोर्ट आने के बाद जांच की जाएगी कि कचरे के लिफाफे किसने वहां फेंके हैं। जो भी इसके लिए जिम्मेदार होगा उसके खिलाफ जो भी उचित कार्रवाई कहां जिला प्रशासनिक ग्रामीणों को आश्वासन दिया था