भारतीय सिनेमा के कतई टैलेंटेड कलाकारों में से एक हैं सुनील शेट्टी. चाहे वो फ़िल्म बॉर्डर का भैरव सिंह हो, धड़कन का देव हो या फिर हेरा फेरी का श्याम. सुनील शेट्टी को हर किरदार में पसंद किया गया. क्या आप जानते हैं कि सुनील शेट्टी रील नहीं रियल लाइफ़ हीरो भी हैं?
वेश्यावृत्ति के दलदल में फंसी थी 128 लड़कियां
बात है सन 1996 की. सुनील शेट्टी को बॉलीवुड में कदम रखे कुछ चार साल हुए थे. 1992 में आई थी उनकी पहली हिन्दी फ़िल्म, बलवान. 1994 में फ़िल्म मोहरा के ज़रिए उन्होंने दर्शकों के दिलों में पर्मनेंट जगह बना ली थी.
1996 में नेपाल से तकरीबन 128 लड़कियां नेपाल से मुंबई के कमाठीपुरा लाई गई. ये लड़कियां वेश्यावृत्ति के दलदल में फंसने वाली थी. गौरतलब है कि पुलिस और NGO की मदद से इन लड़कियों को बचा लिया गया.
सुनील शेट्टी ने की मदद
लड़कियों को तो बचा लिया गया लेकिन नेपाल सरकार उन लड़कियों को वापस लेने के लिए राज़ी नहीं थी. नेपाल सरकार ने कहा कि लड़कियों के पास न तो नागरिकता कार्ड है और न ही जन्म प्रमाण पत्र और इसी वजह से उन्होंने लड़कियों को घर लाने की व्यवस्था करने से इंकार कर दिया. जब ये बात सुनील शेट्टी को पता चली तब उन्होंने तुरंत लड़कियों की मदद करने का निर्णय लिया. उन्होंने सभी लड़कियों का काठमांडू तक का फ़्लाइट का खर्च उठाया.
Bollywood Hungama से बात-चीत के दौरान सुनील शेट्टी ने बताया कि ये घटना मीडिया में नहीं आई. उस दौरान सभी को उन लड़कियों की सुरक्षा की चिंता थी. सुनील शेट्टी की दरियादिली इतनी है कि उन्होंने इस पूरे वाकये का पूरा क्रेडिट लेने से भी इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में बहुत से लोगों की मेहनत लगी थी.
एक महिला ने सुनाई आपबीती
वेश्यावृत्ति से बचाई गई लड़कियों को सुनील शेट्टी का नाम याद रहा क्योंकि वो एक बॉलीवुड कलाकार हैं. शक्ति समूह नामक संस्था की फ़ाउंडर चारीमाया तमांग ने इस घटना का ज़िक्र एक इंटरव्यू में किया. Vice के अनुसार चारीमाया ने कहा, ‘5 फरवरी, 1996 को कमाठीपुरा का पूरा इलाका पुलिस और समाजिक कार्यकर्ताओं ने घेर लिया. उन्होंने हमें वहां से निकाला. रेस्क्यू के बाद हमारे सरकार ने हमें वापस घर पहुंचाने से मना कर दिया. सुनील शेट्टी ने हमारी मदद की.’
आज चारीमाया तमांग और अन्य महिलाएं शक्ति समूह में एकसाथ काम करती हैं. ये संस्था सेक्स ट्रैफ़िकर्स को बचाने और उनके पुनर्वास पर काम करती है.