Pakistan on Jammu Kashmir status: पाकिस्तान के नेताओं ने भारतीय संसद द्वारा आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी करने के बाद काफी भाग-दौड़ की थी। उस पाकिस्तान की सरकार ने दुनिया के अलग-अलग देशों और संस्थाओं से इस पर ध्यान देने को कहा था। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है तो एक बार फिर पाकिस्तान दुनिया से गुहार लगा रहा है और भारत की शिकायत कर रहा है।
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जिलानी ने इन संस्थाओं को लिख पत्रों में इस बात पर जोर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विवादित क्षेत्र की अंतिम स्थिति निर्धारित करने के लिए घरेलू कानून और न्यायिक फैसलों को लागू नहीं किया जा सकता है। जिलानी ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले को अंतरराष्ट्रीय कानून और प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों, विशेष रूप से संकल्प 122 (1957) का उल्लंघन बताया है। उन्होंने कहा है कि भारत के इन कदमों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से जम्मू-कश्मीर के प्रस्तावों में निहित प्रावधानों की अनदेखी नहीं की जा सकती है।
पाक विदेश मंत्री ने कहा- 370 फिर से बहाल हो
पाक विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से जम्मू-कश्मीर विवाद पर अपने प्रस्तावों का पूर्ण कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा है कि वह भारत के 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर की स्थिति में बदलाव के लिए गए फैसले को उलटने के लिए कहे। जिससे वहां पुरानी स्थिति बहाल हो सके। जिलानी ने कहा कि 5 अगस्त 2019 को की गई भारत की कार्रवाई अवैध और एकतरफा है। इन्हीं कार्रवाइयों की श्रृंखला का उद्देश्य जम्मू कश्मीर की जनसांख्यिकीय संरचना और राजनीतिक परिदृश्य को बदलना है। इन गैरकानूनी कदमों का स्पष्ट लक्ष्य कश्मीरियों को अपनी ही भूमि में एक अशक्त समुदाय में परिवर्तित करना है। जिस पर दुनिया को ध्यान देना चाहिए।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने फैसले में कहा है कि 2019 में अनुच्छेद 370 हटाना संवैधानिक रूप से वैध है। इस फैसले से पाकिस्तान नाखुश है। पाकिस्तान के अंतरिम विदेश मंत्री जलिल अब्बास जिलानी ने इससे पहले फैसले को लेकर कहा था कि अंतरराष्ट्रीय कानून भारत के फैसले को मान्यता नहीं देता। ये एक तरफा फैसला है। अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पाकिस्तान के साथ-साथ चीन भी बौखलाया हुआ है। चीन ने भी कहा है कि भारत की ओर से एकतरफा और गैर-कानूनी फैसला है।