जिला के सरकाघाट उपमंडल के तहत आने वाले खुडला गांव की 23 वर्षीय नेहा न सिर्फ ट्रक चलाती है बल्कि पिता का कारोबार भी संभाल लिया है। यह युवती आज न सिर्फ क्षेत्र की अन्य युवतियों और महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी है। नेहा ने ग्रेजुएशन करने के बाद एयरहोस्टेस की ट्रेनिंग की और उसके बाद चंडीगढ़ में प्राईवेट जॉब करने लग गई। 2021 में कोरोना के कारण नौकरी छीन गई तो वापिस घर आकर पिता के ट्रक का स्टेयरिंग संभालने की ठानी।
नेहा ने बताया कि उसे बचपन से ही गाड़ी चलाने का शौक था। पिता के पास दो ट्रक हैं तो अकसर ट्रकों में सफर करने का मौका मिलता था। ऐसे में ट्रक का स्टेयरिंग थामने की प्रबल इच्छा हुई और इसे चलाने की ठानी। नेहा वर्ष 2022 से ट्रक चला रही है और एक तरह से अपने पिता के इस कारोबार को संभाल रखा है।
नेहा ठाकुर के अनुसार अभी किसी महिला ट्रक ड्राइवर के लिए उस प्रकार का माहौल नहीं कि वे लांग रूट पर जा सके। इसलिए वे अभी लोकल रूट पर ही ट्रक को ले जाती है। लोकल रूट पर जो भी सामान लाना या ले जाना हो उस वक्त ट्रक का स्टेयरिंग नेहा ही संभालती है। नेहा ने बताया कि महिलाओं को वॉशरूम सहित अन्य कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन वे किसी न किसी तरह से इन चीजों को मैनेज कर लेती है। नेहा ने बाकी युवतियों और महिलाओं को संदेश दिया है कि वे अपने सपनों को पूरा करने में पीछे न रहें। यदि कोई ट्रक चलाना चाहती है तो इसे किसी के पास सीखें और इसमें अपना करियर बनाने की दिशा में आगे बढ़े।
नेहा का एक भाई है जो होटल लाईन में है। नेहा के पिता मनोज कुमार, माता सरोज कुमारी और दादी सत्या देवी ने बताया कि उन्हें इस बात पर गर्व महसूस होता है कि उनकी बेटी आज दूसरों के लिए मिसाल बनी है। नेहा के पिता मनोज कुमार भी 14 वर्ष की आयु में ड्राईवरी सीखने चले गए थे और आज खुद के दो ट्रक रखे हुए हैं। जब भी नेहा ट्रक लेकर कहीं जाती है तो घर की महिलाएं भी उसके साथ जाने का चाव करती हैं।
नेहा न सिर्फ ट्रक चलाती है बल्कि ट्रेक्टर और अन्य गाड़ियों को भी बखूबी संभालती है। नेहा के यूटयूब अकाउंट पर 2 लाख, फेसबुक पर 2 लाख और इंस्टाग्राम पर 3 लाख फालोअर हैं। नेहा को इन सभी फालोअर से काफी हौंसला मिलता है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश क्या देश भर में ट्रक या फिर बस आदि चलाने वाली महिलाओं की संख्या नाममात्र भी नहीं है।