कड़कड़ाती ठंड में बिना कपड़ों के खुद को कैसे जीवित रखते हैं नागा साधु?

नागा साधु का जीवन बहुत ही रहस्यमयी होता है और उनके जीवन के बारे में जानने की उत्सुकता सबको रहती है लेकिन आजकल अगर आप नागा साधु के को अगर कहीं देखते होंगे, तो सबसे पहले मन में यह सवाल आता होगा की इतने ठंड में ये नागा साधु बिना कपड़ों के या कोई भी साधु काम कपड़ों में कैसे जीवित रह लेते हैं? तो, चलिए जानते हैं इसका जवाब..

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कड़कड़ाती ठंड में बिना कपड़ों के खुद को कैसे जीवित रखते हैं नागा साधु?

कड़कड़ाती ठंड में बिना कपड़ों के खुद को कैसे जीवित रखते हैं नागा साधु?

नागा साधु का जीवन बहुत ही संघर्षों भरा रहता है और उन्हें एक पर्पकवा नागा साधु बनने में की साल लग जाते हैं। चूंकि उनके इस सफर में संसार से उनका कोई लेना-देना नहीं होता, इसलिए वो सारे सांसारिक सुविधाओं को भी त्याग देते हैं, जिसमें से वस्त्र भी आते हैं। नागा साधु के अतिरिक्त की अन्य सिद्ध पुरुष या साधु भी ठंड में काम कपड़ों में ही रहते हैं।

नागा का अर्थ ‘नग्न’ होता है। नागा साधु आजीवन नग्न अवस्था में ही जीते हैं और साधना करते हैं। दरअसल, नागा साधु बनने की प्रक्रिया में लगभग 12 साल का समय लगता है, जिसमें 6 साल तक तो नागा पंथ में शामिल होने के दौरान वो लंगोट पहनते हैं लेकिन जब कुंभ के मेले में नागा साधु का झुंड इकट्ठा होता है, तो इसके बाद वो लंगोट का भी त्याग कर देते हैं। नागा साधुओं को सबसे पहले ब्रह्मचार्य की शिक्षा दी जाती है और फिर महापुरुष की दीक्षा| इसके बाद यह यज्ञोपवीत होता है, जिसमें वह अपने परिवार और खुद का खुद से ही पिंडदान करते हैं।

नागा साधुओं को क्यों नहीं लगती ठंड?
अब चूंकि उन्होंने वस्त्र का त्याग कर दिया है, तो वो हर मौसम में बिना कपड़ों के रहते हैं, चाहे कड़कड़ाती ठंड क्यों नया हो या चाहे वो हिमायल पर क्यों नया हो। माइनस डिग्री तापमान में भी वो खुद को जीवित रख पाते हैं। इसके पीछे कुछ रहस्य है जो जानते हैं..

दरअसल, साधु या नागा साधु की तरह की साधना और योग जानते हैं और उसका अभ्यास करते हैं, जो उनके शरीर को ठंडी में गरम और गर्मी में ठंडा रखता है, जैसे कि प्राणायाम। प्राणायाम आपके शरीर को बेहद गर्म रखने में प्रभावी है। इसके अतिरिक्त वो भोजन में कुछ ऐसी चीजें खाते हैं जो उनके शरीर को बेहद गरम रखता है। आपने देखा होगा कि वे अपने पूरे शरीर पर भस्म या राख लपेटकर घूमते हैं। ये भस्म और राख एक तरह से उनके लिए इंसुलेटर का काम करता है, जो उन्हें मौसम के अनुसार ठंडा और गर्म रखता है। बहुत हद तक उनकी दिनचर्या, उनका अभ्यास, कठिन परिस्थितियों में रहने की आदत और मानसिकता भी उन्हें इस कड़कड़ाती ठंड से निपटने में मदद करती है।