आवारा कुत्तों से अजब-गजब प्रेम, छोटी सी दुकान में ग्राहक की नो टेंशन…बेजुबान को आश्रय

हिमाचल प्रदेश के नाहन शहर में आवारा कुत्तों (Stray Dogs) से अजब-गजब स्नेह रखने वाला एक शख्स है। आपके जेहन में लाजमी तौर पर एक सवाल कौंध गया होगा। आखिर, अजब- गजब प्यार क्या है? दरअसल, शहर के दिल्ली गेट बस स्टॉप (Delhi Gate Bus Stop) पर एक छोटी सी दुकान है। इसे चलाने वाले को भगत राम जी कहकर संबोधित किया जाता है। दुकान करीब 60 से 70 वर्ग फीट की ब-मुश्किल होगी।

अमूमन आवारा कुत्तों को दुकानदार या कारोबारी बाहर तक नहीं खड़ा होने देते। वही, “भगत राम” छोटी सी दुकान में इस बात की परवाह नहीं करते कि ग्राहक कैसे खड़ा होगा। आवारा कुत्ते आराम से आकर रेफ्रिजरेटर (Refrigerator) के साथ ही जगह बनाकर सो जाते हैं। इस बारे में जब भगत राम से बात की गई तो उनका कहना था कि इतनी ठंड (Cold) हो रही है, ये कहां जाएगा, ग्राहक तो बाहर खड़े होकर भी सामान ले सकता है।

कारोबारी (Businessman) भगत राम की शहर में एक अलग पहचान है। ईमानदार छवि के साथ-साथ वह लोगों की सेवा करने के लिए हमेशा ही तत्पर रहते हैं। क्या, आप यकीन करेंगे कि बेईमान भी चाहे एक साल बाद ही सही उनकी दुकान का उधार चुकाने वापस आ जाता है। दो रुपए से 50 रूपए तक के खरीदारों की भीड़ लगी होती है, लेकिन आवारा कुत्ता आराम से दुकान के भीतर मन माफिक आराम फरमा सकता है। इस जगह पर केवल एक ही कुत्ते के बैठने की जगह है। भूख लगने पर “भगत राम” से इशारों में बिस्कुट भी मांग सकता है।

भगतराम ने एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क से कहा कि जगह अगर ज्यादा होती तो उन्हें अन्य कुत्तों को बैठने पर भी कोई एतराज नहीं था। कोई आवारा कुत्तों या पशुओं को लाठी से खदेड़ने में पल नहीं गवाते है, लेकिन भगतराम एक अलग किस्म की शख्सियत है। ईमानदारी की मिसाल तो है ही साथ ही बेजुबानों से एक अटूट प्रेम भी रखते हैं। भगत राम की एक और खासियत यह भी है कि छोटी सी दुकान में लोगों का सामान रखने में भी संकोच नहीं करते। कई मर्तबा तो हेलमेट (Helmet) के ढेर भी देखे जा सकते हैं तो कई बार दूध की बोतलों (Milk Bottles) से ही दुकान का एक हिस्सा भर जाता है। लेकिन वह न तो सामान रखने के पैसे लेते हैं और न ही उनके चेहरे पर कोई शिकन आता है।

उल्लेखनीय है कि शहर में बेजुबान आवारा कुत्तों के प्रति सेवा भाव रखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अक्सर ही कई लोग आवारा कुत्तों को खाना देते नजर आते हैं। लेकिन बस स्टॉप (Bus Stop) पर स्थित छोटी सी दुकान में एक आवारा कुत्ते को रोजाना ठंड के समय में आश्रय देना एक अलग ही मिसाल है।