चढ़ावा राशि की गिनती मंदिर परिसर में बने एक कमरे में होती है। राशि दो बड़े बॉक्स और सात तिजोरीनुमा छोटे बॉक्स में डबल लॉक में रखी जाती है। इसकी एक चाबी स्टेट बैंक के पास और दूसरी ट्रस्ट के पास रहती है। चढ़ावे में 500, 200 ,100, 20 और 10 रुपये के नोटों के साथ काफी संख्या में सिक्के भी होते हैं।
मंदिर की चढ़ावा राशि की गिनती और इसका लेखा जोखा तैयार करने वाली टीम के प्रभारी सुभाष चंद श्रीवास्तव बताते हैं कि जब मंदिर की व्यवस्था ट्रस्ट को हैंडओवर हुई थी तो चढ़ावा राशि करीब 70 हजार रुपये मासिक ही थी। इसमें दिनों-दिन इजाफा हो रहा है और चढ़ावा राशि की रोजाना गिनती से लेकर खाते में जमा करवाने के लिए अकांउट से जुड़ी 14 बैंक कर्मचारियों और मंदिर ट्रस्ट के प्रतिनिधियो की टीम काम कर रही है। चढ़ावा राशि के लिए रामलला के सामने एक बॉक्स लगा है। इसी रास्ते पर आगे दो दान काउंटर भी हैं, जहां दान राशि की कंप्यूटराइज्ड रसीद मिलती है। दो अन्य दान काउंटर ट्रस्ट कार्यालय और राम जन्मभूमि पथ पर बनाए गए हैं। दान राशि का लेखा जोखा तैयार कर सालाना ऑडिट करवाने वाला अकाउंट सेक्शन भी कार्यरत है, जिसमें सैलरी पर सीए और कर्मचारी रखे गए हैं।
डबल लॉक में रखे जाते हैं दान के बॉक्स
सुभाष चंद और मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र के मुताबिक, चढ़ावा राशि की गिनती मंदिर परिसर में बने एक कमरे में होती है। राशि दो बड़े बॉक्स और सात तिजोरीनुमा छोटे बॉक्स में डबल लॉक में रखी जाती है। इसकी एक चाबी स्टेट बैंक के पास और दूसरी ट्रस्ट के पास रहती है। चढ़ावा राशि इतनी ज्यादा रहती है कि महीने भर इसकी गिनती बैंक कर्मचारियों और ट्रस्ट प्रतिनिधियों के सामने सीसीटीवी की निगरानी में चलती रहती है। गिनती के लिए बैंक के 10 कर्मचारी लगाए गए हैं। गिनती पूरी होने के बाद रकम रोजाना बैंक में जमा की जाती है। चढ़ावे में 500, 200 ,100, 20 और 10 रुपये के नोटों के साथ काफी संख्या में सिक्के भी होते हैं। सबसे ज्यादा संख्या 100 से 10 रुपये के बीच के नोटों की होती है, लेकिन ज्यादा समय सिक्के गिनने में लगता है। इसके अलावा लोग आभूषण और सोने-चांदी के सिक्के भी चढ़ाते हैं।