प्रदेश जलशक्ति विभाग द्वारा उपलब्ध करवाया जा रहा पानी पीने के योग्य है या नहीं इसका अब आसानी से पता लगाया जा सकेगा। पेयजल शुद्धता सुनिश्चित करने और लोगों को जागरूक करने के लिए जल शक्ति विभाग मंडल कार्यालय जल्द ही शहरी क्षेत्र में लगभग 25 से 30 लाख रुपये की लागत से रियल टाइम वाटर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित किया जा रहा है। इसमें पानी को मानव रहित सेंसर आधारित टेक्नोलॉजी का उपयोग कर टैस्ट किया जाएगा।
यह बात सुंदरनगर के अधिशासी अभियंता ई. रजत गर्ग ने मीडिया से औपचारिक बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि जल शक्ति मंडल के तहत बरसात के मौसम में पेयजल शुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए पूर्व में ही विशेष अभियान के तहत 470 पानी के टैंकों को साफ किया जा चुका है। इसके अलावा विभाग के कर्मचारियों को समय-समय पर पानी की क्लोरीनेशन करने के भी आदेश दे दिए गए हैं।
ई. रजत गर्ग ने कहा कि वर्तमान में मंडल के तहत 6 करोड़ की लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया गया है। इसके साथ शहर को सप्लाई किए जाने वाले पेयजल की शुद्धता की जांच प्रतिदिन की जाती है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत शहर की विभिन्न जगहों से तीन से पांच पानी के सैंपल इकट्ठा किए जाते हैं। इन सैंपल की मंडल कार्यालय में स्थापित राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (NABL) से मान्यता प्राप्त लैब में जांच की जाती है।
रजत गर्ग ने कहा कि शहर में पेयजल आपूर्ति की शुद्धता को लेकर पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा दो जगह पर वाटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्क्रीन लगाई गई हैं। इन स्क्रीन पर शहर में पेयजल आपूर्ति के किए जाने वाले टैस्ट के रिजल्ट प्रदर्शित किए जाते हैं। इससे लोगों को पीने के पानी की शुद्धता के मानकों और मापदंडों के बारे पता चलता है।