कुम्भ में आखिर क्यों मची भगदड़ ? क्या है वास्तविक वजह ? जानिए 

प्रयागराज में लोग आस्था की डुबकी लगा रहे थे तो कुछ लगाने वाले थे।  वहां का नज़ारा बेहद अच्छा था। चारों तरफ  भक्तिमय वातावरण था।  रात को कितना भव्य नज़ारा था आप खुद देखिए। जो भी यहाँ आ रहा था यहाँ की व्यवस्थाओं को देख कर अपने सगे संबंधियों  को भी यहाँ आने की सलाह दे रहा था।  परिणाम स्वरूप यहाँ भक्तों की संख्या बढती जा रही थी।  हरसमाचार चैनल पर घोषणा हो रही थी कि आप की ज़िंदगी में यह अवसर एक बार आया है  आस्था की डुबकी लगा कर अपना जीवन धन्य बनाएं। इस लिए जिसका मन भी नहीं था वह भी प्रयागराज की और प्रस्थान कर रहा था।  भीड लगातार बढती जा रही थी।  अखाडों से  लगातार घोषणा हो रही थी कि  आप डुबकी लगा सकते है। लेकिन लोग  घाट किनारे सुबह होने का इंतज़ार कर रहे थे। वह इस इंतज़ार में थे कि अमावस्या आरम्भ होगी तो वह स्नान करेंगे।  बस यहीं व्यवस्थाओं में चूक हो गई।  वहां सोने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी और न ही कोई वहां ऐसी व्यवस्था थी।   लेकिन अचानक डेढ बजे  भीड बेकाबू हो गई।  जो घाट किनारे लोग सो रहे थे उन पर कुछ लोग गलती से चढ गए और वहां गिरना आरम्भ हुए तो एक के बाद एक गिरते चले गए।  सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे और अचानक शांत माहौल में भगदड मच गई। प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार पुलिस भी इस भगदड में कुछ नहीं कर पाई।  जिन्होंने इस घटना में अपनों को खोया और जो प्रत्यक्ष दर्शी रहे उनके ज़हन में अभी डर भरा है और अपने लोगों का खोने का गम उनकी आँखों में देखा जा रहा है। उन्होंने क्या देखा और कैसे यह घटना घटी ? आइये आप को बतातें है।  आप से निवेदन है कि अगर आप वहां जाने की सोच रहे है तो अपना मन बदलें और जब वहां स्थिति नियंत्रण में हो जाएं तभी वहां जाने का विचार करें।  जो भक्त मौनी अमावस्या पर मौन हुए है उन्हें मौन रह कर श्रद्धांजलि ज़रूर दें।

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