Vinod Khanna: पिता से झगड़कर विलेन बनने पहुंचे थे, लेकिन बन गए हिंदी फिल्मों के सबसे पॉपुलर हीरो

Indiatimes

बॉलीवुड का एक ऐसा एक्टर जिसने तीन जिंदगी जी. कभी सफल एक्टर रहते हुए दुनिया से मोह भंग हो गया. तब आश्रम में सन्यासियों की जिंदगी गुजारने लगे, राजनीति में भी अपनी एक अलग छाप छोड़ी. हम बात कर रहे हैं सुपरहिट फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ के एक्टर विनोद खन्ना की, जिन्होंने सिनेमा में बतौर विलेन शुरुआत की थी.

हिंदी फिल्मों के पॉपुलर हीरो Vinod Khanna की कहानी

Actor Vinod Khanna Rediff

6 अक्टूबर 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में पैदा हुए विनोद कुमार एक बिजनेस फैमिली से ताल्लुक रखते थे. पिता चाहते थे बेटा खुद का बिजनेस संभाले. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. एक पार्टी में बॉलीवुड के सुपरस्टार सुनील दत्त से उनकी मुलाकात हुई. उन्होंने उन्हें फिल्मों में काम करने की सलाह दी. यहीं से उनकी जिंदगी में नया मोड़ आया.

सुनील दत्त अपने भाई को बतौर हीरो लांच कर रहे थे. उन्हें खलनायक की तलाश थी. उनकी खोज विनोद खन्ना पर आकर रुकी. नए चेहरे के तौर पर उन्होंने विनोद खन्ना को फिल्म का ऑफर दिया. लेकिन उनके सामने प्रॉब्लम थी अपने परिवार को मनाने की.

पिता से झगड़कर विलेन बनने पहुंच गए थे विनोद खन्ना

Actor Vinod Khanna first Film Man ka Meet IMDb

विनोद के पिता को मंजूर नहीं था कि बेटा फिल्मों में काम करे. मगर, उनकी मां उनके कहने पर मान गईं. उन्होंने विनोद के पिता से कहा कि अगर बेटा फिल्मों में सफल नहीं होता है तो वापस कारोबार संभालेगा. इस शर्त के साथ विनोद को अपने पिता से भी मंजूरी मिल गई और इस तरह बॉलीवुड को एक नया अभिनेता मिल गया.

एक्टर और प्रोड्यूसर सुनील दत्त ने विनोद खन्ना को बतौर विलेन फिल्म मन का मीत (1969) में काम करने का मौक़ा दिया. इसके बाद विनोद खन्ना सच्चा झूठा, पूरब पश्चिम, मेरा गांव मेरा देश जैसी सुपरहिट फिल्मों में अपनी जबदस्त एक्टिंग से सिनेमा प्रेमियों के चहेते स्टार बन गए.

सिनेमा प्रेमियों के चहेते स्टार कैसे बने विनोद खन्ना?

साल 1971 में गीतांजलि से शादी कर ली. जिनसे दो बच्चे अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना हुए. शादी के बाद विनोद खन्ना ने कई मल्टीस्टारर और लीड एक्टर के तौर पर शानदार काम किया और अपनी एक अलग छाप छोड़ी. जैसे फिल्म हेरा फेरी (1976), खून पसीना (1977) और मुकद्दर का सिंकंदर (1978).

बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी दर्शकों द्वारा खूब पसंद की गई. विनोद एक सफल एक्टर बन चुके थे. वे हिंदी सिनेमा जगत के महंगे अभिनेता के तौर पर जाने जाते थे. लंबी कद काठी वाले इस एक्टर के काफी चाहने वाले थे. लेकिन विनोद ने उस वक़्त अपने फैंस को निराश कर दिया जब वह फिल्मों में काम करना छोड़ संन्यासी बन गए.

बॉलीवुड छोड़कर ओशो के आश्रम में ले ली पनाह

Actor Vinod Khanna DC

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1975 के आसपास विनोद खन्ना से ओशो से मिलना जुलना शुरू हुआ. वे उनसे काफी प्रभावित हुए थे. उनका दुनिया से मोह भंग हो चुका था. उन्होंने अचानक फिल्मों में काम छोड़ने का फैसला ले लिया. जिससे बॉलीवुड में हंगामा मच गया. हर कोई हैरान था.

विनोद फ़िल्मी दुनिया छोड़ ओशो के आश्रम चले गए. वहीं रहने लगे. ओशो ने उन्हें स्वामी विनोद भारती नाम दिया था. वे आश्रम में एक माली का काम करते थे. बगीचे में मौजूद पेड़-पौधे को पानी देते, उनकी छंटाई करते थे. आश्रम में विनोद ने टॉयलेट तक का साफ किया. बर्तन मांजे, साफ सफाई की. हालांकि, उनके वहां भी काफी चाहने वाले थे. उन्हें प्यार से वहां सेक्सी संन्यासी कहा जाता था. उनकी शादीशुदा जिंदगी पर भी इसका काफी असर हुआ. साल 1985 में उनका गीतांजलि से डिवोर्स हो गया.

बॉलीवुड का एक ऐसा एक्टर जिसने तीन जिंदगी जी

Actor Vinod Khanna Actor Vinod Khanna

संन्यासी बनने के बाद विनोद खन्ना ग्लैमर्स की दुनिया से ज्यादा समय तक दूर नहीं रह सके. उन्होंने साल 1987 में दोबारा कमबैक किया. फिल्म इंसाफ से शानदार वापसी की. इसके बाद दयावान, चांदनी और बंटवारा जैसी फिल्मों में काम किया. साल 1990 में कविता से दोबारा शादी की. जिनसे उनको दो बेटियां साक्षी और श्रद्धा हुईं. कविता ने उनका अंत तक साथ निभाया.

विनोद दो जिंदगी जी चुके थे. एक सफल अभिनेता के तौर पर उन्होंने जो पहचान बनाई वो बेमिसाल है. वहीं कुछ वर्षों तक संन्यासी का भी जीवन जिया था. अभी उनकी जिंदगी शायद मुकम्मल नहीं हुई थी. कुछ और भी बाकी था करने को, वो थी सियासत में इंट्री.

बीजेपी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा जीते भी

Vinod khanna with wife Kavita Khanna Bollywood Life

साल 1997 में गुरदासपुर से बीजेपी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा. जीत भी गए. साल 1999 में दोबारा जीत हासिल की. अटल बिहारी सरकार में उन्हें संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय विभाग सौंप दिया गया. इसके बाद विदेश मंत्रालय में बतौर राज्य मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली. उन्होंने राजनीति में भी अपनी एक अलग छाप छोड़ी. राजनीति में रहते हुए उन्होंने फिल्मों में काम करना नहीं छोड़ा. सांसद रहते हुए दीवानापन, क्रांति और लीला जैसी फिल्मों में काम किया.

अपने जीवन के आखिरी पड़ाव में वांटेड जैसी सुपरहिट फिल्मों का भी हिस्सा बने. साल 2017 में कैसंर की वजह से उनका निधन हो गया. आज विनोद खन्ना भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन हिंदी सिनेमा जगत में उनके शानदार अभिनय को कभी नहीं भुलाया जा सकता. उन्होंने बॉलीवुड और राजनीति में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है.