विनोबा भावे (Acharya Vinoba bhave) को महात्मा गांधी का आध्यात्मिक उत्तराधिकारी माना गया. विनोबा का पूरा नाम विनायक नरहरि भावे था. उनके पिता नरहरि भावे की गणित तथा रासायन विज्ञान में गहरी रुचि थी. वह रंगों की खोज करते थे. कुल मिलाकर परिवार सम्पन्न था. विनोबा भी पढ़ने में होशियार थे. इस तरह विनोबा चाहते तो अपना बेहतर भविष्य बना सकते थे.
आचार्य विनोबा भावे कौन थे?
उनके पास अपने कल को संवारने के कई विकल्प तथा संसाधन मौजूद थे, लेकिन विनोबा ने इससे विपरीत दिन हीन किसानों की सेवा करने का मन बनाया. वह पहले महात्मा गांधी और उनके विचारों से जुड़े और फिर देखते ही देखते पूरी तरह से बेसहारा तथा पथ भ्रमित लोगों की सहायता के प्रति समर्पित हो गये.
भूदान आन्दोलन से मिली पहचान
विनोबा को असल पहचान भूदान आंदोलन से मिली. इस आंदोलन का विचार विनोबा के मन में 1951 में तब आया जब वह आंध्र प्रदेश की यात्रा पर थे. इस आंदोलन के तहत तो वो भारत के गांव-गांव में घूम कर भू-सम्पन्न लोगों से उन किसानों के लिए भूमि मांगने लगे जिनके पास अनाज उपजाने के लिए ज़मीन का छोटा सा टुकड़ा भी नहीं था.
डकैतों को कराया था आत्मसमर्पण
विनोबा भावे के बारे में कहा जाता है कि आम लोगों ही नहीं बल्कि डाकुओं तक को उन पर पूरा विश्वास था. तभी तो विनोबा भावे के कहने पर 150 डकैतों ने अपने हथियार डाल कर आत्म समर्पण कर दिया था. 11 सितम्बर 1895 को महाराष्ट्र के गागोदा गांव में जन्में विनोबा भावे ने 15 नवम्बर 1982 को अपनी आखिरी सांस ली थी.
अब नहीं हैं आचार्य विनोबा भावे
आचार्य विनोबा भावे अब हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और एक बड़े गांधीवादी नेता के रूप में उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.