Vijayadashami, Dussehra 2023: सेना का ये जवान बढ़ा रहा है संस्कृति की शान, हर साल छुट्टी लेकर आते हैं रामलीला में अभिनय करने

पूरे देश में दशहरा धूमधाम से मनाया जा रहा है. जगह जगह पर रामलीला प्रस्तुत की जा रही है. सैकड़ों, हजारों या कहीं कहीं तो लाखों की भीड़ रामलीला देखने पहुंच रही है. हर जगह की रामलीला की अपनी खास बात होती है और सबसे खास होते हैं इसके किरदार, जो सालों से अपने व्यस्त जीवन से समय निकाल कर कर साल अपना कर्तव्य पूरा करते हैं.

देश का जवान रामलीला की शान

Kapil Bisht News 18

ऐसी ही एक रामलीला का मंचन उत्तराखंड के नैनीताल और आसपास के इलाकों में भी किया जा रहा है. ठंड भी बढ़ गई है लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग रामलीला देखने पहुंच रहे हैं. हर कोई रामलीला का मंचन करने वाले युवा कलाकारों की सराहना कर रहा है जिससे कि वे और उत्साहित हो रहे हैं. नव सांस्कृतिक समिति शेर का डांडा नैनीताल में भी रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. जहां भारतीय सेना का एक जवान इस रामलीला का आकर्षण बना हुआ है.

14 सालों से कर रहे हैं रामलीला में अभिनय

भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर देश की रक्षा करने वाले कपिल बिष्ट अपने कर्तव्य के साथ साथ अपनी संस्कृति को भी बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं. भारतीय सेना के जवान कपिल बिष्ट खासतौर से छुट्टी लेकर रामलीला में अभिनय करने घर आते हैं. वह रामलीला में रावण का किरदार निभाते हैं. न्यूज 18 से बात करते हुए उन्होंने बटाया कि वह पिछले 14 सालों से लगातार रामलीला में अभिनय कर रहे हैं. इससे पहले वह सीता की सखी, लक्ष्मण, राम, हनुमान, बाली, अहिरावण, मेघनाद समेत कई छोटे बड़े किरदार निभा चुके हैं. लेकिन उनका निभाया हुआ रावण का किरदार प्रमुख है.

रामलीला के लिए हर साल छुट्टी लेकर आटे हैं घर

कपिल बिष्ट बताते हैं कि वह पिछले तीन सालों से भारतीय सेना का हिस्सा हैं. वह 21 कुमाऊं रेजीमेंट के जवान हैं और वर्तमान में अमृतसर बॉर्डर पर तैनात हैं. वो जब से भारतीय सेना में शामिल हुए हैं, तब से ही हर साल रामलीला के मंचन के लिए 30 दिनों की छुट्टी लेकर घर आते हैं और रामलीला में अभिनय करते हैं. कपिल ने आज के युवाओं से अपील की है कि वे रामलीला मंचन में बड़ चढ़कर हिस्सा लें और अपनी संस्कृति की पहचान को और बढ़ाएं. उन्होंने कहा कि रामलीला का मंचन युवाओं में आत्मविश्वास पैदा करता है और बड़े पर्दे पर अभिनय करने के भी गुर सिखाता है. अपनी संस्कृति के संरक्षण के लिए युवाओं को ऐसा जरूर करना चाहिए.