Victoria’s Secret: ब्रा बेचने वाला ब्रांड जिसकी सफलता की कहानी इसे बनाने वाले की मौत से शुरू हुई

Indiatimes

किसी कंपनी का ब्रांड बन जाना ये दर्शाता है कि ग्राहकों का उस कंपनी पर कितना विश्वास बना हुआ है. वहीं, इस विश्वास को बनाने में एक कंपनी को सालों लग जाते हैं. एक सोच को पहले एक कंपनी और फिर ब्रांड बनाने के पीछे ऐसी कई कहानियां होती हैं जिनके बारे में आम लोग नहीं जानते.

Tragic Story Behind VictoriaTwitter

इंडियाटाइम्स हिंदी आपके लिए एक ऐसे ही चर्चित ब्रांड की कहानी लाया है. ये कहानी एक शख्स की सोच से उपजी, उस शख्स ने इस सोच को सफल कंपनी में बदला लेकिन इसे ब्रांड बनाया किसी और ने. इस पूरे सफर में ऐसे मोड़ भी आए जहां से कुछ की जिंदगियां खत्म हो गईं, तो कुछ ने सफलता की नई कहानी लिखी. कहानी ‘Victoria’s Secret’ को बनाने वाले शख्स की

‘Victoria’s Secret’ एक ऐसा lingerie ब्रांड, जो अब किसी पहचान का मोहताज नहीं है. पहले अमेरिका और अब पूरी दुनिया में इस ब्रांड के स्टोर मौजूद हैं. इस ब्रांड की क्या ख्याति है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके लिए सलेक्ट होने वाली मॉडल्स खुद को भाग्यशाली मानती हैं और उन्हें एंजल्स कहा जाता है. आज की हमारी ब्रांड स्टोरी ‘Victoria’s Secret की शुरुआत, उसके पतन और फिर से उसकी सफलता की है. कैसे इस ब्रांड को बनाने वाले शख्स ने खुद की ही जान ले ली, कैसे इस डूब रहे ब्रांड को ऐसा सहारा मिला कि आज ये दुनिया के सबसे बड़े lingerie ब्रांड्स में शुमार है.

रॉय लार्सन रेमंड: जो 13 साल की उम्र में बना उद्यमी

ये कहानी एक ऐसे आशावादी उद्यमी से शुरू होती है जिसने 13 साल की उम्र में बिजनेस करना सीख लिया. अपनी एक परेशानी से सीख कर जिसने lingerie के बिजनेस में एक क्रांति ला दी, जिसने महिलाओं को एक ऐसी दुनिया दिखाई जहां सब कुछ उनकी पसंद का था, जिस शख्स ने अपने पत्नी और प्रेमिका से प्रेम करने वाले पुरुषों को सहजता का एक रास्ता दिखाया. ये कहानी है रॉय लार्सन रेमंड की, जिन्होंने विक्टोरिया सीक्रेट चेन की स्थापना की.

पहले सफलता फिर असफलता की कहानी लिखने वाला

हम हमेशा सफल लोगों की कहानियां पढ़ना पसंद करते हैं. लेकिन ये कहानी उस शख्स की है जो एक क्रांतिकारी सोच के बावजूद कभी टेड टर्नर, स्टीव जॉब्स या बिल गेट्स नहीं बन सका. ये कहानी उनकी निराश महत्वाकांक्षाओं के बारे में है, उनकी उन कोशिशों के बारे में है जो पहले सफल और बाद में असफल रहीं. रॉय रेमंड बहुत से लोगों की तरह थे जो एक छोटे व्यवसाय का सपना देखते हैं, जो सोचते हैं कि एक अच्छा विचार, कड़ी मेहनत और एक सकारात्मक दृष्टिकोण सफलता पाने के लिए पर्याप्त है. वह जिद्दी किस्म के व्यक्ति थे, जिन्हें चुनौतियां पसंद थीं, उनके इसी स्वभाव के कारण वह सफल भी हुए और असफल भी.

मात्र 13 साल की उम्र में रेमंड उद्यमी बन गए थे. उन्होंने इसी उम्र में अमेरिका के कनेक्टिकट में फेयरफील्ड से अपने पहले व्यवसाय की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने शादी के निमंत्रण कार्ड प्रिंट करने का काम शुरू किया था. वह इसमें पड़ोस के बच्चों को काम पर रखते थे. रेमंड ने 1969 में टफ्ट्स विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया और उसके बाद 1971 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने गिल्ड वाइनरीज़ और रिचर्डसन-मेरेल सहित बड़ी कंपनियों में मार्केटिंग की नौकरी की. हालांकि वह हमेशा अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते थे.

ऐसे हुआ विक्टोरिया सीक्रेट का जन्म

विक्टोरिया सीक्रेट के उदय की कहानी भी बहुत दिलचस्प है. ये विचार रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाली तमाम मुश्किलों में से एक का सामना करते हुए उपजा, जिसने एक बीज की तरह काम किया और आगे चल कर एक घना वृक्ष बन गया. ये 1970 का दशक था. उन दिनों महिलाओं के लिए ब्रा-पैंटी मात्र जरूरत थी, जिस पर इसे बनाने वाले ज्यादा मेहनत नहीं करते थे. आज की तरह ये फैशनेबल या फिर शरीर को आकर्षक दिखाने के लिए नहीं इस्तेमाल होती थी. दूसरी दिक्कत थी इन्हें खरीदना, यदि कोई पुरुष ब्रा खरीदने जाता तो उसे अजीब शक भरी नजरों से देखा जाता था.

रेमंड भी एक दिन अपनी पत्नी गे रेमंड के लिए lingerie खरीदने चले गए. तब उन्हें अहसास हुआ कि वास्तव में ये कितना कठिन काम है. इस दौरान उन्हें स्टोर अटेंडेंट की शक भरी नजरों का सामना भी करना पड़ा. इस माहौल ने उन्हें इतना परेशान कर दिया कि वह बिना कुछ खरीदे खाली हाथ ही वापस लौट आए. इस घटना के बाद वह लगातार सोचते रहे कि कैसे कोई शर्मीला पुरुष अपनी पत्नी के लिए lingerie खरीदते समय खुद को ऐसी शक भरी नजरों से बचा पाता होगा, जो उसे लगातार एक यौन के लिए विचलत शख्स समझ कर घूरती रहें.

इस वजह से पड़ा ‘विक्टोरिया सीक्रेट’ नाम

इन्हीं विचारों ने रेमंड को एक ऐसा स्टोर खोलने का आइडिया दिया जहां पुरुष अपनी पत्नी के लिए lingerie खरीदते हुए असहज ना महसूस करें. 1977 में उन्होंने $40,000 के बैंक लोन और $40,000 अपने माता-पिता से उधार लेकर, सैन फ्रांसिस्को से लगभग 35 मील दक्षिण में, स्टैनफोर्ड शॉपिंग सेंटर में एक छोटा सा बुटीक खोला और इस तरह जन्म हुआ विक्टोरियाज़ सीक्रेट का. Huffington Post पर पब्लिश Naomi Barr की रिपोर्ट के अनुसार, रेमंड ने विक्टोरियन युग से जुड़ी शालीनता और सम्मान को उजागर करने के लिए अपने स्टोर को ‘विक्टोरिया’ नाम दिया, वहीं बाहरी रूप से परिष्कृत, विक्टोरिया के ‘रहस्य’ नीचे छिपे हुए थे. इन दोनों को जोड़ कर Victoria’s Secret नाम दिया गया.

बदल दिए lingerie के मायने

आज भले ही तरह-तरह की ब्रा पहनना या इनकी खरीद और इनके बारे में बात करना सामान्य सी बात हो लेकिन उन दिनों रेमंड का यह विचार बहुत नया था. 1950 और 60 के दशक में अंडरवियर व्यावहारिकता और स्थायित्व के बारे में था. अधिकांश अमेरिकी महिलाओं के लिए, कामुक lingerie हनीमून, दहेज और एनिवर्सरी के लिए संभाल कर रखी जाती थी. अधिकांश महिलाओं के लिए साधारण lingerie ही चलन में थी.

ऐसे में रेमंड की सोच ने अपना कमाल दिखाया और एक साल में ही उनकी कंपनी ने $500,000 यानी आज के हिसाब से 4 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिक्री की. हालांकि, रेमंड और उनकी कंपनी के लिए सफलता का ये सिलसिला दूध के उबाल जैसा साबित हुआ, जो जितनी तेजी में बढ़ा उतनी ही तेजी में नीचे भी आया.

शुरू हुआ पतन का सिलसिला

NYTimes की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विक्टोरिया सीक्रेट के लिए पब्लिक रिलेशन सलाहकार के तौर पर काम करने वाले गैरी पाइक ने बताया था कि, विक्टोरिया सीक्रेट पांच स्टोर और एक सैन फ्रांसिस्को मुख्यालय और गोदाम तक बढ़ गया था. तब मिस्टर रेमंड को बिजनेस के वित्तीय अंत से निपटने में परेशानी होने लगी. आपूर्तिकर्ता अवैतनिक हो गए, गोदाम अक्सर खाली रहने लगे और व्यापार बढ़ाने के लिए निवेशक खोजने के प्रयास व्यर्थ साबित हुए. 1982 में मिस्टर रेमंड को विक्टोरिया सीक्रेट को बेचने के लिए मजबूर भी किया गया.

ऐसा नहीं था कि रेमंड ने अपनी व्यावसायिक सोच को केवल विक्टोरिया सीक्रेट तक ही सीमित रही, उन्होंने अन्य बिजनेस में भी भाग्य आजमाया लेकिन उनकी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया. उनके वकील बैरी रेडर का कहना था कि, रेमंड के बैंक में कई मिलियन थे, वह अगर कूपन भी काटते फिर भी खुशी खुशी अपना जीवन बिता सकते थे. लेकिन उनके पास अनेक विचार थे और इन्हीं विचारों ने उन्हें बुरे हालात में डाल दिया.

रेडर का कहना था कि, “रेमंड खुद के बारे में सोचते थे कि वो एक ऐसे इंसान हैं जिसे पता है कि लोग क्या खरीदना चाहते हैं. वह कुछ नया शुरू करने के लिए उत्सुक थे. वह ऐसे व्यक्ति थे जो किसी विचार को लिखने के लिए लगातार नोट्स बनाते थे. वह घर पर अपनी बीनबैग कुर्सी पर बैठते थे, जंक फूड खाते और पूरी रात नए विचारों के बारे में सोचते रहते थे.

अन्य बिजनेस में भी भाग्य आजमाया

इन्हीं विचारों से विक्टोरिया सीक्रेट के बाद रेमंड के दिमाग में माई चाइल्ड्स डेस्टिनी नामक बच्चों का एक उन्नत स्टोर खोलने का आइडिया आया. जहां बच्चों के लिए कंप्यूटर गेम, गुड़िया और महंगे खिलौने बेचे जाते थे. विक्टोरिया सीक्रेट की कमाई से शुरू की गई इनकी ये कंपनी दो साल के कारोबार के बाद 1986 में डूब गई. इसी के साथ एक आशावादी उद्यमी दिवालिया घोषित हो गया. रेमंड ने सैन फ्रांसिस्को में अपना घर और अपनी सभी कारें खो दीं. रेमंड और उनकी पत्नी भी अलग हो गए.

दिवालिया होने के बाद रेमंड ने फिर से खुद को खड़ा करने की कोशिश की. स्थिति ये आ गई कि उन्हें आर्थिक मदद के लिए अपने विचार दूसरों को बेचने पड़े. रेमंड ने क्विनबीज़ नामक बच्चों की किताबों की दुकान शुरू की, जिसे डायने डिज़नी मिलर और उनके पति, वॉल्ट डिज़नी कंपनी के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी, रॉन मिलर से वित्तीय सहायता मिली. लेकिन दो साल से भी कम समय में उनका ये बिजनेस भी डूब गया.

पैगी नाइट से संबंध

कई असफलताओं के बाद रेमंड पैगी नाइट नामक महिला के संपर्क में आए. पैगी ने ऑटोइम्यून रोग के कारण बचपन में अपने बाल खो दिए थे. वह कैलिफ़ोर्निया में एक व्यवसाय चलाती हैं, जो उन महिलाओं के लिए विग बेचती है जिन्होंने कीमोथेरेपी के दौरान अपने बाल खो दिए. 1990 में रेमंड और उनकी पत्नी गे रेमंड का तलाक हो गया. रिपोर्ट्स के अनुसार इसके तुरंत बाद, पैगी नाइट और रेमंड के बीच रोमांस शुरू हुआ. नाइट से प्रभावित हो कर रेमंड ने विक्टोरिया सीक्रेट की तरह एक बुटीक का विस्तार किया, जहां कीमोथेरेपी से गुजरने वाली महिला स्कार्फ, कृत्रिम उपकरण और यहां तक ​​कि lingerie की खरीदारी कर सकती थीं.

रेमंड ने ‘पैगी नाइट इंटरनेशनल’ नामक इस व्यवसाय को देश भर के अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों में बढ़ाने के लिए निवेशकों को खोजने की भरपूर कोशिश की. नाइट का कहना था कि वे इस विचार से इतने प्रेरित थे कि उन्होंने निवेश की तुलना में तेजी से पैसा खर्च करना शुरू कर दिया. इस दौरान उनका रिश्ता कठिन समय से गुजरा. नाइट ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि रेमंड इंतजार करना नहीं जानते थे. वह अपनी अवधारणा में इतना विश्वास करते थे कि अपनी किसी भी सोच को तुरंत पूरा होता देखना चाहते थे.” पैगी के अनुसार उनका  पैगी नाइट इंटरनेशनल को लेकर देखा सपना भी पूरा हो रहा है लेकिन वह इस सफलता को देखने के लिए खुद ज़िंदा नहीं बचे.

जहां से कहानी शुरू की वहीं पर कर दी खत्म

रेमंड को जानने वाले लोग उन्हें आशावादी मानते थे. उनके एक करीबी दोस्त जिम मैनिक्स ने कहा था कि “वह हमेशा सोचता था कि अगर ये डील नहीं हुई तो कोई बात नहीं अगली होगी.” लेकिन परिस्थितियों ने ऐसे इंसान को भी अवसाद में डाल दिया. यही अवसाद उन्हें आत्महत्या तक ले आया. एक दिन वह अपनी गाड़ी लेकर गोल्डन गेट ब्रिज पर चले गए. उन्होंने ब्रिज के बीचों बीच अपनी 1993 की टोयोटा कार रोकी और गार्ड रेल पर चढ़ गए. जिस शहर में उन्हें इतनी सफलता मिली थी, वहीं उन्होंने 275 फीट नीचे गहरे पानी में कूदकर अपनी जान दे दी.

आखिर रेमंड ने ऐसा क्यों किया?

46 साल के रेमंड अपने पीछे ये सवाल छोड़ गए कि उन्होंने आखिर ऐसा क्यों किया? उनकी मृत्यु के बाद जो चीजें वे करना चाहते थे, उनकी कार में पाए जाने वाले लंबे नोट में लिखी हुई थीं. इसमें उन लोगों से माफी मांगी गई थी जिन्हें वे प्यार करते थे, लेकिन उन्होंने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया. अन्य नोट में उन्होंने लिखा कि वह अपनी पूर्व पत्नी और बच्चों को छोड़कर बिखरा हुआ महसूस कर रहे थे. उन्होंने इस नोट में ये भी बताया था कि 7 साल की उम्र तक उन्हें आत्महत्या करने के विचार आते थे.

रिपोर्ट्स के अनुसार, अपनी आत्महत्या से पहले के दिनों में रेमंड सैन फ्रांसिस्को के रिचमंड जिले में अपने किराए के घर में अकेले रहते थे. उनके बच्चे अपनी मां के साथ थे. इस दौरान उन्हें देखने वालों ने कहा कि उन्हें उनके व्यवहार के बारे में कुछ भी असामान्य याद नहीं है. वह तनावमुक्त थे, आराम करते थे और भविष्य के बारे में बातें करते थे. उनके 15 वर्षीय बेटे स्कॉट ने कहा था कि उन्हें भी लगा कि सब कुछ ठीक है. गर्मियों के दौरान, उनके पिता अक्सर कहते थे कि “दो साल में उन्हें सभी आवश्यक निवेशक मिल गए, तो सब कुछ बढ़िया हो जाएगा.”

लेकिन मिस्टर रेमंड की 11 वर्षीय बेटी लौरा ने इस संबंध में याद करते हुए कहा था कि उसकी मौत से चार दिन पहले उसने अपने पिता को आखिरी बार कब देखा था, तब वह ठीक महसूस नहीं कर रही थी. वह और स्कॉट अपनी कुछ चीजें लेने के लिए उनके घर गए थे और उन्होंने अपने पिता को टेलीविजन के सामने आलू के चिप्स खाते हुए देखा. उसने कहा, उसके पिता आमतौर पर कुछ करने में व्यस्त रहते थे, इसलिए उन्हें इस तरह से कुछ ना करते देखना अजीब लगा था.

रेमंड के बाद विक्टोरिया सीक्रेट का क्या हुआ?

अमूमन किसी इंसान के साथ उसकी सोच और विचार भी खत्म हो जाते हैं लेकिन रेमंड की सोच उनके साथ खत्म नहीं हुई. उनकी विक्टोरिया सीक्रेट का ख्वाब केवल जिंदा ही नहीं रहा बल्कि उसने सफलता की ऊंचाइयों को भी छू लिया. दरअसल, 1982 विक्टोरिया सीक्रेट की वार्षिक बिक्री $4 मिलियन से अधिक थी. फिर भी रेमंड के फॉर्मूले में कुछ कमी थी. प्रबंधन विशेषज्ञों माइकल जे. सिल्वरस्टीन और नील फिस्के की पुस्तक ट्रेडिंग अप के अनुसार, इसी वजह से विक्टोरियाज़ सीक्रेट दिवालिएपन के करीब था.

लेस्ली वेक्सनर ने दी इसे नई पहचान

इसी बीच रेमंड और विक्टोरिया सीक्रेट की कहानी में लेस्ली वेक्सनर की एंट्री हुई, जो लिमिटेड के संस्थापक थे. यह वही शख्स था जिसने बड़े पैमाने पर बाजार में स्पोर्ट्सवियर की शुरुआत की थी. 1963 में उन्होंने केवल स्पोर्ट्सवेयर के लिए एक स्टोर खोला. वेक्सनर की दूरदर्शिता रंग लाई. उस वर्ष प्रकाशित फोर्ब्स प्रोफाइल के अनुसार, 1970 तक लिमिटेड के 11 स्टोर थे, जो 1977 तक 188 तक पहुंच गए. उस समय 40 वर्षीय वेक्सनर की संपत्ति $50 मिलियन थी.

एक स्टोर को बनाया दुनिया भर का फेमस ब्रांड

1980 के दशक के प्रारंभ तक, वेक्सनर नए ब्रांडों में निवेश करना चाह रहे थे. सैन फ्रांसिस्को में अपने लिए अवसर खोजते हुए उन्होंने विक्टोरिया सीक्रेट के बारे में जाना. वेक्सनर ने 2010 में न्यूजवीक को बताया था कि, “यह एक छोटी सी दुकान थी, और यह विक्टोरियन थी- अंग्रेजी विक्टोरियन नहीं, बल्कि लाल मखमली सोफे वाली विक्टोरियन.” वेक्सनर ने जल्दी ही देख लिया कि विक्टोरिया सीक्रेट बिजनेस मॉडल में क्या गलत था. रेमंड का ये स्टोर पुरुषों से अपील कर रहा था, जबकि महिलाओं को बड़ी संख्या में आकर्षित करने में विफल रहा था. ट्रेडिंग अप के अनुसार, वेक्सनर ने अनुमान लगाया कि महिलाएं विक्टोरिया सीक्रेट में उतनी ही असहज थीं जितनी कि रेमंड उस फ्लोरेसेंट-लाइट डिपार्टमेंटल स्टोर में हुए थे.

कमियों के बावजूद वेक्सनर ने कंपनी की क्षमता देखी और 1982 में उन्होंने स्टोर और कैटलॉग लगभग $1 मिलियन (आज के समय में $4 मिलियन) में खरीद लिया. , सिल्वरस्टीन और फिस्के ने लिखा था कि उनका पहला कदम यूरोपीय lingerie बुटीक का अध्ययन करना था, जिसके बाद महिला ग्राहकों ने lingerie को रोजमर्रा की आवश्यकता के रूप में देखा. वेक्सनर घर लौटकर आश्वस्त हो गए कि यदि अमेरिकी महिलाओं को ये अहसास हो जाए कि उनकी भी उनके यूरोपीय समकक्षों की तरह ही सेक्सी और सस्ती lingerie तक पहुंच है, तो वे भी इसे हर दिन पहनना चाहेंगी.

वेक्सनर ने अंततः कंपनी के लिए वह बनाने का फैसला किया जो राल्फ लॉरेन ने उनसे पहले दशक में महारत हासिल की थी. ये थी एक ब्रिटिश-प्रेरित आकांक्षात्मक दुनिया जिसमें अमेरिकी उपभोक्ता प्रवेश करने के लिए संघर्ष करेंगे. सामान्य दुकानों में गहरे लाल रंग की lingerie का दौर जा रहा था. अब, सोने का पानी चढ़ा हुआ जुड़नार, पुष्प प्रिंट, लैसी ब्रा और पैंटी भड़कीले रंग की रोशनी के नीचे बड़े करीने से लटकी हुई मिलने लगी थीं. इसके साथ ही मिरेकल ब्रा जैसे नए उत्पाद शीर्ष विक्रेता बन गए.

सफलता की ऊंचाइयों को छू लिया

महिलाएं खरीदारी कर रही थीं, जबकि पुरुष कैटलॉग को देखना जारी रखते थे. वेक्सनर की योजना काम कर रही थी. ट्रेडिंग अप के अनुसार, 1995 तक विक्टोरिया सीक्रेट 1.9 बिलियन डॉलर की कंपनी बन गई थी, जिसके राष्ट्रीय स्तर पर 670 स्टोर थे. YouGov BrandIndex के अनुसार, लगभग 5 बिलियन डॉलर की शुद्ध आय के साथ उन्होंने कंपनी की छवि को परिष्कृत और ट्वीक करना जारी रखा.  विक्टोरिया सीक्रेट आज दुनिया के सबसे लोकप्रिय lingerie ब्रांड्स में से एक है.