Viagra उन्हीं कुछ एक दवाओं में से है जिसका नाम लोग खुलेआम लेना पसंद नहीं करते. इसका नाम सुनते ही लोग खरीदने वाले को मर्दाना कमजोरी से जोड़ देते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि डॉक्टर द्वारा लिखी जाने वाली ये दवाई विशेष रूप से नपुंसकता का इलाज करने के लिए उपयोग में लाई जाती है. आज इस दवा का मार्केट करोड़ों में है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी खोज सोची समझी नहीं थी.
इत्तेफाक से बनी ये दवा
इत्तेफाकन तैयार हुई इस दवा का मार्केट में राज करना भी एक चमत्कार जैसा था. इसका इस्तेमाल अमेरिका द्वारा तालिबान को मात देने के लिए किया गया था. तो चलिए जानते हैं इस दवा का इतिहास और इसके मार्केट में छा जाने की कहानी के बारे में. ये उस समय की बात जब 40 साल से अधिक आयु के पुरुष अपनी सेक्स लाइफ से हार मान रहे थे, उसी समय 1998 में फायज़र फार्मा कंपनी ऐसे लोगों के लिए वरदान बन कर सामने आई. कंपनी ने इस नीले रंग की छोटी सी गोली उन लाखों उम्रदराज़ पुरुषों के लिए एक हथियार बना दिया जो सेक्स की समस्याओं के आगे हार मानने को तैयार थे.
छाती के दर्द के लिए तैयार हुई थी दवा
हैरान करने वाली बात ये है कि वियाग्रा नामक ये दवा सोच समझ कर नहीं लाई गई थी. इसकी खोज इत्तेफाकन हुई थी. रिपोर्ट्स के अनुसार, 1991 में फायज़र कंपनी, एनजाइना नामक बीमारी के लिए दवा तैयार कर रही थी. इस बीमारी में खून का प्रवाह कम होने की वजह से छाती दर्द शुरू हो जाता है, इसके इलाज के लिए स्लाइडनेफिल सिट्रेट नाम की दवाई की जांच की जा रही थी.
नपुंसकता के लिए साबित हुई रामबाण
दवा ने अपना काम तो नहीं किया लेकिन इस प्रयोग में हिस्सा लेने वाले पुरुषों ने अपनी रिपोर्ट में एक साइड इफेक्ट के बारे में बात की. अमेरिकी रेडियो सर्विस एनपीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि, यह दवाई रक्त धमनियों को आराम तो नहीं दे पा रही है लेकिन इससे पुरुषों के लिंग में इरेक्शन हो रहा है. इसी वजह से इसे कई लोग इस दवा को ‘फाइज़र राइज़र’ भी कहने लगे थे. कंपनी ने पुरुषों से मिली इस जानकारी को गंभीरता से लिया. इसे एक गलती ना मानते हुए,उल्टा इस दिशा में काम किया गया. इसके बाद जो परिणाम सामने आए उससे 1998 में फाइज़र ने सेक्स की दुनिया में क्रांति लाने वाली दवाई बना कर नपुंसकता का राम बाण इलाज निकाल दिया.
छोटी सी दवा ने दी तालिबान को मात
ये हल्की बैंगनी रंग की इस गोली केवल नपुंसकता के खिला हथियार नहीं बनी बल्कि इस हथियार से अमेरिका ने तालिबान को मात दे दी. सोच कर ही इस बात पर हैरानी होती है कि आखिर कैसे ये छोटी सी गोली एक देश को मात दे सकती है. दरअसल, अमेरिका ने आतंकी संगठन तालिबान का खात्मे के लिए वियाग्रा की मदद की है. कई रिपोर्ट्स में बताया गया कि सीआईए ने कई अफगानों को वियाग्रा की रिश्वत दी थी. जिससे खुश होकर उन्होंने आतंकवादियों को पकड़वाने में मदद की.
अमेरिका द्वारा वियाग्रा के ऐसे प्रयोग की खबर का मेडिसिन मार्केट पर एक अलग ही असर दिखा. जिस दवा का दुनिया ने नाम तक नहीं सुना था वो तालिबनियों पर हुए प्रयोग के बाद हर किसी की जुबान पर चढ़ गई. बताया जाता है कि 2001 तक इस दवा ने 1 बिलियन का मार्केट बना लिया था.
बता दें कि वियाग्रा टेबलेट लिंग में खून का दौरा बेहतर बनता है. जिस वजह से वहां तनाव की कमी दूर होती है. वियाग्रा में सिल्डेनाफिल नाम का केमिकल पाया जाता है जो कि लिंग में खून की नसों को रिलेक्स करता है जिससे लिंग में खून आसानी से भर जाता है और तनाव की कमी दूर हो जाती है.