देश के सबसे प्रभावशाली स्वतंत्रता सेनानियों में से एक, विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें वीर सावरकर के नाम से जाना जाता है, एक वकील, कार्यकर्ता, लेखक और राजनीतिज्ञ थे. उनके जीवन पर आधारित फिल्म का पहला टीजर 28 मई को उनकी 140वीं जयंती पर जारी किया गया. इस फिल्म में रणदीप हुड्डा मुख्य भूमिका में हैं. उन्होंने उत्कर्ष नैथानी के साथ पटकथा लिखने के साथ-साथ फिल्म का निर्देशन भी किया है.
Swatantrya Veer Savarkar के Teaser में सावरकर के किरदार में रणदीप कहते हैं, ”गांधी जी बुरे नहीं थे…लेकिन अगर वो अपनी अहिंसावादी सोच पर अड़े नहीं रहते तो भारत 33 साल पहले ही आजाद हो जाता”
कौन हैं विनायक दामोदर सावरकर उर्फ वीर सावरकर?
रणदीप हुड्डा का कहना है कि वह सबसे गलत समझे जाने वाले अनसंग हीरो थे. उन्होंने कहा, “ऐसे कई नायक हैं जिन्होंने हमें आजादी दिलाने में अपनी भूमिका निभाई है. हालांकि, हर किसी को उनका हक नहीं मिला है. विनायक दामोदर सावरकर इन गुमनाम नायकों में सबसे ज्यादा गलत समझे गए. उनकी कहानी बताई जानी चाहिए”
‘द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस’ नामक किताब के लेखक
सावरकर, जैसा कि टीज़र में दिखाया गया है, का मानना था कि अगर लोगों ने सशस्त्र क्रांति के रास्ते का अनुसरण किया होता तो भारत का स्वतंत्रता संग्राम छोटा हो जाएगा. उन्होंने भारत में ब्रिटिश सेना के खिलाफ 1857 के विद्रोह के बारे में ‘द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस’ किताब लिखी जिसे अत्यधिक भड़काऊ के रूप में देखा गया था, और इसके प्रकाशन से पहले ही ब्रिटिश भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया था.
वीर सावरकर को हिंदुत्व के पिता के रूप में भी जाना जाता है
विनायक दामोदर सावरकर को हिंदुत्व के पिता के रूप में भी जाना जाता है. वो अखिल भारत हिंदू महासभा का हिस्सा भी रहे. उन्होंने ने ही राष्ट्रध्वज तिरंगे के बीच में धर्म चक्र लगाने का सुझाव सर्वप्रथम दिया था जिसे राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने माना था. यही नहीं वे पहले स्नातक थे जिनकी स्नातक की उपाधि को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण अंग्रेज सरकार ने वापस ले ली थी.
कुख्यात सेलुलर जेल में 50 साल की कैद की सजा
विनायक दामोदर सावरकर को 1909 के मॉर्ले-मिंटो सुधारों के विरोध में गिरफ्तार किया गया था और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में कुख्यात सेलुलर जेल (जिसे काला पानी भी कहा जाता है) में 50 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी. 1924 में उन्हें रिहा कर दिया गया. वीर सावरकर ऐसे पहले राजनीतिक बंदी थे जिन्हें विदेशी (फ्रांस) भूमि पर बंदी बनाने के कारण हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामला पहुंचा.
देशद्रोही और ब्रिटिश राज का गुलाम थे वीर सावरकर?
सावरकर ने 1921 में अंग्रेजों द्वारा “क्षमा” किए जाने के लिए हस्ताक्षर किए थे. उन्होंने अपनी रिहाई पर राजनीति और क्रांतिकारी गतिविधियों से दूर रहने का वादा किया था. उनकी दया याचिकाओं के कारण कुछ लोग उन्हें देशद्रोही और ब्रिटिश राज का गुलाम कहते हैं. दूसरी ओर, दूसरों का कहना है कि उन्होंने अपनी रिहाई की नहीं बल्कि अन्य राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग की थी.
सावरकर ने “माई ट्रांसपोर्टेशन फॉर लाइफ” में लिखा है: “मुझे रिहा करो, मैंने कहा, भारत को औपनिवेशिक स्वशासन से लैस करो, और अपने लोगों की वफादारी और प्यार जीतो. यह सरकार को हर उस सहयोग का आश्वासन देगा जिसकी उसे जरूरत है. यदि सरकार को संदेह है, तो मैंने निष्कर्ष में लिखा, पत्र लिखने में मेरा मकसद, मैंने व्यक्तिगत रूप से खुद के लिए बिना किसी रिहाई के यह करने की पेशकश की. अंडमान में मुझे अपने ही सेल में अकेला छोड़कर सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा कर दें. मैं उनकी आजादी में इस तरह खुशी मनाऊंगा जैसे कि यह मेरी अपनी हो.”
महात्मा गांधी की हत्या के षड्यंत्र में शामिल थे सावरकर?
साल 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के छठवें दिन विनायक दामोदर सावरकर को गांधी की हत्या के षड्यंत्र में शामिल होने के लिए मुंबई से गिरफ़्तार कर लिया गया था. हांलाकि सबूतों के अभाव में उन्हें फ़रवरी 1949 में बरी कर दिया गया था. साल 2000 में वाजपेयी सरकार ने तत्कालीन राष्ट्पति केआर नारायणन के पास सावरकर को ‘भारत रत्न’ देने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया था. सावरकर अब हमारे बीच में नहीं हैं. 26 फरवरी 1966 को उनका निधन हो गया था, लेकिन उनकी जिंदगी से जुड़े कई ऐसे सवाल है, जिन्हें लोग जानना चाहते हैं. उम्मीद है रणदीप हुड्डा की फिल्म जवाब देगी.
‘स्वतंत्र वीर सावरकर’ के लिए रणदीप ने घटाया 26 किलो वजन
वीर सावरकर का किरदार निभाने के लिए रणदीप हुड्डा ने बहुत मेहनत की है.हर कोई उनके कमाल के बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन की बात कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो एक्टर ने इस फिल्म के लिए 26 किलो वजन कम किया है. फिल्म के प्रोड्यूसर आनंद पंडित ने खुद एक इंटरव्यू में बताया कि रणदीप ने 4 महीने तक सिर्फ एक खजूर और एक गिलास दूध ही पिया ताकि वो अपने कैरेक्टर के साथ जस्टिस कर पाएं.
‘स्वतंत्र वीर सावरकर’ के टीज़र के बाद अब फिल्म का इंतजार है
इतना ही नहीं उन्होंने बाल भी अपने उसी जगह से हटाए जहां पर वीर सावरकर के नहीं थे. खास बात यह कि रणदीप ने इस फिल्म में कोई प्रोस्थेटिक यूज नहीं किया. फिल्म पर काम करने से पहले रणदीप ने वीर सावरकर के पोते से मुलाकात की थी. उसके बाद शूटिंग का काम शुरू हुआ. ‘स्वतंत्र वीर सावरकर’ फिल्म के टीज़र के बाद अब फैंस को रणदीप की फिल्म का इंतजार है.