Uttarkashi Tunnel Accident Live: 5 दिन से उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे 40 मज़दूरों को बचाने में क्यों लग रहा है समय?

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए टनल हादसे के छठे दिन भी अभी तक मजदूरों को नहीं निकाला जा सका है. बचाव दल सुरंग ढहने के लगभग बाद 120 घंटे से अधिक समय से मलबे में फंसे 40 निर्माण श्रमिकों को निकालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. सुरंग के भीतर श्रमिकों के लंबे समय तक रहने से उनके स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंताएं हो रही हैं.

उत्तरकाशी टनल हादसा कैसे हुआ?

ये हादसा उस समय हुआ जब बीते रविवार को चारधाम ऑल वेदर सड़क परियोजना के तहत निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की तरफ से मुहाने से 270 मीटर अंदर करीब 30 मीटर का हिस्सा भूस्खलन से ढह गया. जिसके बाद वहां काम कर रहे श्रमिक उसके अंदर फंसे गए. उन्हें निकालने के लिए युद्वस्तर पर बचाव एवं राहत अभियान चलाया जा रहा है.

40 मज़दूरों को बचाने में क्यों लग रहा है समय?

मौक़े पर राहत व बचाव के लिये एसडीआरएफ, एनडीआरफ, आईटीबीपी सहित फायर सर्विस की टीमें मौजूद हैं. विशेषज्ञों के परामर्श पर फंसे हुए मज़दूरों तक पहुंचने के लिए मलबा हटाकर सेटरिंग प्लेट लगा कर उन्हें निकालने के लिए सुरक्षित मार्ग तैयार किये जाने के प्रयास भी किए गए लेकिन सुरंग के ऊपरी भाग से आ रहे मलबे के कारण इस कार्य में बाधा आने लगी.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि, मलबे में एक पाइप डालने के लिए विशेष मशीनें तैनात की गई हैं ताकि फंसे हुए श्रमिकों को इसके माध्यम से निकाला जा सके, उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर मिट्टी की स्थिति के कारण बचाव अभियान अपने आप में एक कठिन चुनौती है. यही एक रास्ता है. वहां की मिट्टी भुरभुरी है. बोरिंग बहुत सावधानी से करनी होगी, नहीं तो बचाव कार्य में लगी मशीनें भी ध्वस्त हो सकती हैं.

उत्तरकाशी के लोगों का दावा क्या है?

 

वहीं, इस हादसे को लेकर ग्रामीणों का मानना है कि ये हादसा स्थानीय देवता बाबा बौखनाग के प्रकोप का नतीजा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ग्रामीणों ने कहा कि, बाबा बौखनाग के क्रोध के कारण सुरंग धसक गई, क्योंकि निर्माण कार्य के कारण उनका मंदिर ध्वस्त कर दिया गया था. लोगों ने कहा कि चारधाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट का काम चल रहा था. इसी में सुरंग बनाई गई थी, जिसका एक हिस्सा ढह गया था. निर्माण कंपनी ने मंदिर को तोड़ दिया था, इसी के कुछ दिनों बाद सुरंग ढहने से 40 मजदूर फंस गए.

सरकार और प्रशासन क्या कर रही है?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिलक्यारा सुरंग हादसे में राहत बचाव कार्यों पर सीएम धामी बारीकी से नजर बनाए हुए हैं. उन्हें रेस्क्यू का मिनट-टू- मिनट अपेडट दिया जा रहा है. सीएम ने मंगलवार को कहा कि पीएम मोदी को भी लगातार राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी दी जा रही है. सीएम ने कहा कि फंसे हुए श्रमिकों की हालत ठीक है. मंगलवार को सीएम धामी ने अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की. जिसमें देहरादून में उत्तरकाशी-यमुनोत्री मार्ग पर स्थित सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 40 श्रमिकों को बचाने के लिए चल रहे राहत बचाव कार्यों की स्थिति की समीक्षा की गई. हादसे की जांच के लिए 6 सदस्यीय समिति गठित की गई है, जिसमें भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग समेत आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारी शामिल हैं.

अमेरिकी ड्रिलिंग मशीन कितनी कारगार?

टनल में फंसे 40 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकलने के लिए दिल्ली से अमेरिकी ऑगर मशीन एयरलिफ्ट कारवाई गई है. इस मशीन द्वारा गुरुवार को ड्रिलिंग शुरू कर दी गई. ड्रिलिंग के बाद स्टील के बड़े व्यास वाले पाइपों से ‘एस्केप टनल’ तैयार की जा रही है. ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम तो शुरू हो गया, लेकिन गुरुवार शाम तक केवल डेढ़ पाइप ही मलबे में डाला जा सका है. एलाइनमेंट का भी विशेष ध्यान रखने के कारण पाइपों की वेल्डिंग में एक से डेढ़ घंटे का समय लग रहा है.

सुरंग में करीब 60 से 70 मीटर तक मलबा फैला हुआ है. इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि रेस्क्यू कार्य में एक से दो दिन का समय और लग सकता है. बताया जा रहा है कि मजदूरों को बचाने में थाईलैंड और नॉर्वे की विशिष्ट बचाव टीमें भी लगी हुई हैं. इनमें 2018 में थाईलैंड की एक गुफा में फंसे बच्चों को सफलतापूर्वक बचाने वाली टीम भी शामिल है.

कैसी है मजदूरों की स्थिति?

बताया जा रहा है कि सुरंग में फंसे श्रमिक सुरक्षित हैं और उन्हें पाइप की मदद से लगातार ऑक्सीजन, पानी, सूखे मेवे सहित अन्य खाद्य सामग्री, बिजली, दवाइयां आदि पहुंचाई जा रही हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस दौरान कुछ श्रमिकों की कुछ सैकेंड के लिए अपने परिजनों से बात भी हुई है.