तीन महीने बीतने को आए हैं लेकिन हिमाचल में हाटी समुदाय से जुड़े संशोधित अनुसूचित जनजाति कानून का राज्य सरकार क्रियान्वयन नहीं कर रही है। अब हाटी समुदाय के लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है। लोगों में भारी रोष पनप रहा है। इसी संबंध में हाटी विकास मंच के सदस्यों ने शिमला में जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने मंत्री को पूरे मामले के सभी पहलुओं से अवगत करवाया।
मंत्री ने आश्वासन दिया कि जैसे ही केंद्र सरकार से मांगी गई सूचना की फाइल राज्य में पहुंचेगी, संशोधित एसटी कानून को लागू कर दिया जाएगा। फाइल शिमला पहुंचते ही इसकी अधिसूचना जारी की जाएगी। हाटी विकास मंच ने स्पष्ट तौर पर कहा कि मुद्दे को अटकाने, लटकाने और भटकाने से काम नहीं चलेगा। अगर बेवजह और देरी की तो लोग विरोध स्वरूप सड़कों पर उतरेंगे। इसकी जिम्मेदार राज्य सरकार होगी।
मंत्री ने कहा कि अगर जल्द जनजातीय मामलों के मंत्रालय से स्पष्टीकरण नहीं आया तो वह रिमाइंडर भेजेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ बिंदुओं पर केंद्रीय मंत्रालय से सूचना मांगी गई है। उन्होंने माना कि सूचना आने में देरी हुई है। मंच ने मंत्री को ज्ञापन भी सौंपा। इसमें कहा गया है कि कानून बनते ही उन्होंने सबसे पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की थी। इसके बाद मुख्य सचिव, प्रधान सचिव जनजातीय विकास, सहित कई अधिकारियों से इस मुद्दे को उठाया था। इसी मुद्दे पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान से भी मुलाकात की गई थी।
हाटी विकास मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार से मुलाकातों का दौर अब समाप्त हो गया है। इसके बाद आंदोलन की तैयारी की जाएगी। मंच ने राज्य सरकार से फिर आग्रह किया है कि केंद्रीय कानून को बेवजह न लटकाए अन्यथा इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि हाटी समुदाय के लोगों की विनम्रता को कमजोरी न समझा जाए। उन्होंने कहा कि कानून लागू न होने से छात्रों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। एसटी सर्टिफिकेट न मिलने से छात्रों में रोष बढ़ता जा रहा है।
प्रतिनिधि मंडल में प्रदीप सिंगटा,डॉक्टर रमेश सिंगटा मदन तोमर, सुरेश सिंगटा,खजान ठाकुर, हाटी मुकेश ठाकुर, लाल सिंह शंकवान,कर्म सिंह ठाकुर, प्रदीप चौहान अंजवाल,नितेश पंवार, शोभित सिंगटा, अनिल ठाकुर, अमन शंकवान आदि शामिल रहे।