CAG report on Ayushman Bharat Yojna: संपूर्ण देश में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना 2018 का मध्य प्रदेश के अस्पतालों ने जमकर गलत इस्तेमाल किया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में इस बात की खुलासा हुआ है। यहां मुर्दों का भी इलाज किया गया है।
एक ही रोगी का इलाज कराने के मामले में 213 अस्पताल शामिल
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक ही रोगी का एक ही समय में विभिन्न अस्पतालों में इलाज कराने के मामले में 213 अस्पताल शामिल थे। अस्पतालों को ‘मरने’ वाले 403 रोगियों के लिए 1.1 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया था। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि डिफॉल्टिंग अस्पतालों से होने वाली रिकवरी में एमपी के आंकड़े सबसे खराब हैं। यहां 96 प्रतिशत रिकवरी अभी तक नहीं हो पाई है।
24 सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों से ज्यादा मरीजः कैग
जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र में 20 मार्च 2023 तक 100 बेड थे, लेकिन इसमें 233 मरीजों को दिखाया गया था। कैग की रिपोर्ट में एक सरकारी अस्पताल सहित 24 अस्पतालों के नाम है, जिसमें बेड की संख्या से कहीं ज्यादा मरीजों को दिखाया गया है।
एमपी में 286 करोड़ का भुगतान
एमपी में आयुष्मान भारत के जरिए इलाज के लिए 286 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इसमें बायोमेट्रिक प्रमाण के बिना भुगतान की गई राशि 160 करोड़ रुपये थी, जबकि आधार-प्रमाणित रोगियों के इलाज के लिए 126 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। इस एक ही अस्पताल में भर्ती होने की अवधि के दौरान कई अस्पतालों में एक ही मरीज के भर्ती होने की सबसे अधिक मामले छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश और पंजाब में देखे गए। तीन बड़े राज्य-बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश-जो आयुष्मान लाभार्थी आबादी का 30% हिस्सा हैं, पहली बार योजना को लागू कर रहे हैं। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के तहत स्वास्थ्य सेवाओं की मांग अभी भी बढ़ रही है।