जब पीरियड्स या मासिक धर्म होना बंद हो जाता है तो इसे मेनोपौज़ या रजोनिवृत्ति कहा जाता है। साधारणतः मेनोपौज़ ५० वर्ष के आस पास होती है। जब महिलाएं मेनोपौज़ के करीब होती हैं या जिनका मेनोपौज़ हो चूका है उनमें बहुत से शारीरिक और मानसिक बदलाव देखने को मिलता है। इस समय बॉडी में बहुत से हार्मोनल चेंजेज होते हैं खास कर एस्ट्रोजेन हार्मोन बहुत कम जाता है और इस वजह से काफी सारी स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं ।
रजोनिवृत्ति के सामान्य शारीरिक लक्षण इस प्रकार हैं
- मासिक धर्म में अनियमितता
- हॉट फ्लैशेज यानि ज्यादा गर्मी का अहसास और रात में पसीना आना
- योनि का सूखापन और सेक्स इच्छा में कमी
- हर समय थकान और नींद न आने की समस्या
- मांसपेशियों और जोड़ों में अक्सर दर्द रहना
- अवसाद आदि ।
- हॉट फ्लैशेज : इसमें बॉडी में बहुत ज्यादा गर्मी महसूस होने लगती है जिससे बहुत पसीना आने लगता है । थोड़ी भी गर्मी बर्दास्त नहीं हो पाती और जरुरत से ज्यादा पसीना चैनल शुरू हो जाता है।
- नींद न आना: मेनोपौज़ में देखा गया है कि नींद कि समस्या बहुत आम होती है। या तो समय पर नींद नहीं आती है या आती भी है तो जल्दी ही नींद टूट जाती है। यानि कि ८ घंटे कि नींद पूरी नहीं हो पाती है।
- वेजाइना का सूखापन: मेनोपौज़ में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन कम हो जाता है जिससे योनि में सूखापन हो जाता है और इस एरिया में खुजली और जलन महसूस होने लगती है। ऐसे में सेक्स के समय बहुत दर्द या जलन का भी अनुभव होता है।
- कामेच्छा कि कमी: रजोनिवृत्ति के समय एस्ट्रोजन हॉर्मोन कम हो जाने की वजह से सेक्स के प्रति इच्छा कम होना भी सामान्य बात है जो ज्यादातर महिलाओं में देखा जाता है ।
- अवसाद: इस समय हॉर्मोन में बहुत जयादा बदलाव होते हैं जिस वजह से जल्दी जल्दी मूड बदलने लगता है, चिड़चिड़ापन होने लगता है और कई महिलाओं में एंग्जायटी या डेप्रेशन भी हो जाता है।
- मांसपेशियों और जोड़ों में अक्सर दर्द रहना: एस्ट्रोजेन हॉर्मोन मांसपेशियों और हड्डियों को स्वस्थ बनाये रखता है। पर मेनोपौज़ की स्थिति में इस हॉर्मोन में गिरावट की वजह से हड्डियों में कमजोरी आने लगती है। इसीलिए अक्सर जोड़ों में दर्द रहने लगता है।
- त्वचा और बालों को भी प्रभावित करता है: इसके अलावा मेनोपौज़ त्वचा और बालों को भी प्रभावित करता है। एस्ट्रोजन कम होने से कोलेजन भी कम बनने लगता है जिसे स्किन और बाल बहुत पतले और रूखे हो जाते हैं। बाल रूखे होकर टूटने लगतें हैं।
कुछ महिलाएं मेनोपौज़ के लक्षणों से रहत पाने के लिए तरह तरह के सप्लीमेंट्स लेने लगती हैं। सही मात्रा में सप्लीमेंट्स लेना ठीक होता है पर ज्यादा मात्रा में लेना साइड इफेस्ट्स कर सकता है। इसीलिए हमेशा विषेशज्ञों की सलाह से ही कोई सप्लीमेंट्स लें।
तो चलिए जानते हैं ये 6 नेचुरल रेमेडीज जो मेनोपौज़ के लक्षणों को कम कर सकते हैं
1 ) विटामिन डी
विटामिन डी महिलाओं में हॉर्मोन को संतुलित रखने के लिए बहुत जरुरी है। क्यों की विटामिन डी की कमी से डिप्रेशन या अवसाद की समस्या होने की सम्भावना तो होती ही हैं साथ ही मेनोपौज़ में जो एस्ट्रोजन हॉर्मोन में कमी आने से हड्डियों में भी कमजोरी आने लगती है। इसीलिए मेनोपौज़ में विटामिन डी बहुत ही जरुरी होता है। क्यों की विटामिन डी की कमी होने से बॉडी में कैल्शियम अवशोषित नहीं हो पाता है। और बॉडी में कैल्शियम अवशोषित नहीं होगा तो हड्डियां कमजोर होकर टूट भी सकती हैं। विटामिन डी सूर्य की रौशनी से भी प्राप्त किया जा सकता है या फिर इसके लिए सप्लीमेंट्स भी लिया जा सकता है। आप चाहे तो रोज ३० मिनट धुप में बिता सकते हैं। इससे प्राकृतिक रूप से विटामिन डी मिल जाता है।
2 ) कैल्सियम
मेनोपौज़ में एस्ट्रोजन हॉर्मोन का स्तर धीरे धीरे कम होने लगता जिसके वजह से कैल्सियम की कमी होने लगती है और हड्डियों में कमजोरी या दर्द रहने लगता है साथ ही इससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बढ़ सकता है। इसलिए कैल्सियम वाली चीज लेने से इसकी कमी पूरी हो जाती है। आप इसे प्राकृतिक रूप में खाद्य पदार्थों से ले सकते हैं या इसके लिए सप्लीमेंट्स बी ले सकते हैं। यह आपके हडियों को कमजोर होने से रोकता है और आपकी सेहत ठीक रखता है। जैसे डेरी प्रोडक्ट्स योगर्ट , मिल्क ,और चीज़, बिन्स, पालक और नट्स आदि ।
3 ) फायटोस्ट्रोजेन रिच डाइट लें
चुकी मेनोपौज़ में एस्ट्रोजेन हार्मोन की कमी हो जाती है जिससे काफी साड़ी हेल्थ प्रॉब्लम आ जाती हैं तो ऐसे में फायटोस्ट्रोजेन से युक्त आहार इस हार्मोन की कमी को पूरा करता है और इसकी कमी से होने वाली समस्या को दूर रखता है । जैसे की अलसी, सन फ्लावर सीड, सोयाबीन और तिल आदि फायटोस्ट्रोजेन से रिच होता है। इसीलिए इसका सेवन जरूर करें।
4 ) हरे साग सब्जियों का भरपूर इस्तेमाल करें
इससे मेनोपौज़ के कारन होने वाली सभी समस्यायों में राहत मिलती है। ओवर आल हेल्थ को सही रखने में यह मदद करता है।
5 ) सही वजन को मेंटेन करें
ज्यादा वजन खासकर कमर और पेट के आसपास ज्यादा मोटापा होने से डायबिटिज और हार्ट डिसीज के खतरे को बढ़ा सकता है। इसीलिए अपने वजन को मेंटेन रखें इसे ज्यादा बढ़ने न दें। इससे मेनोपौज़ के सिम्टम्स में कमी आती है और एक हेल्थी लाइफ जीने में मदद होती है ।
6 ) नियमित रूप से व्यायाम और योग जरूर करें
मेनोपोज़ में नींद की कमी अक्सर देखी जाती है। यह आपकी नींद की गुणवत्ता को सुधारती है जो अच्छी सेहत बनाये रखने के लिए बहुत ही जरुरी है। व्यायाम से मानसिक स्वास्थ्य पर भी बहुत ही अच्छा असर पड़ता है। इससे मेनोपौज़ में जो अवसाद और एंग्जायटी हो जाता है उसमें भी धीरे धीरे सुधार होने लगता है। और सारा दिन एनर्जेटिक महसूस होता है।
इसके बारे में और ज्यादा जानकारी के लिए इस लेख को भी पढ़ सकते हैं।
https://www.healthline.com/nutrition/11-natural-menopause-tips
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें .
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