हिमाचल के फल उत्पादक क्षेत्रों में प्रूनिंग वेस्ट को जलाने पर लगेगा प्रतिबंध
हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादक क्षेत्रों में प्रूनिंग वेस्ट को जलाने पर प्रतिबंध लगेगा। इसके लिए पराली की तर्ज पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गाइड लाइन तैयार करने में जुट गया है। गाइड लाइन को सरकार की मंजूरी मिलने के बाद प्रूनिंग वेस्ट जलाने पर कार्रवाई की…
शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादक क्षेत्रों में प्रूनिंग वेस्ट को जलाने पर प्रतिबंध लगेगा। इसके लिए पराली की तर्ज पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गाइड लाइन तैयार करने में जुट गया है। गाइड लाइन को सरकार की मंजूरी मिलने के बाद प्रूनिंग वेस्ट जलाने पर कार्रवाई की जाएगी। इन दिनों प्रदेश के सेब उत्पादक क्षेत्रों में पौधों की प्रूनिंग का कार्य यानी काट-छांट का काम जोरों पर किया जा रहा है। बागवान इस काट-छांट को बगीचों में ही जला रहे हैं, जिससे जहां प्रदूषण फैल रहा है, वहीं पर्यावरण पर भी असर पड़ रहा है, जिससे वातावरण में गर्मी हो रही है।
हालांकि एसडीएम रोहड़ू ने प्रूनिंग वेस्ट को जलाने पर प्रतिबंध लगाया है लेकिन इसका भी लोगों पर असर नहीं पड़ रहा है। लोग इसके बावजूद भी प्रूनिंग वेस्ट को अपने बगीचों में ही जला रहे हैं। यही हालात पूरे प्रदेश के सेब उत्पादक क्षेत्रों का है। इसके अलावा लोग घास के लिए घासनियों में आग लगा रहे हैं। इससे जहां कई स्थानों पर पूरी पहाड़ी जल कर काली हो गई है, तो वहीं जंगलों में भी इस कारण आग लग रही है। इससे भी जहां पर्यावरण को नुक्सान हो रहा है, वहीं लाखों रुपए की वन संपदा भी तबाह हो रही है। इसे देखते हुए तथा एनजीटी के आदेशों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गाइड लाइन तैयार करने में जुट गया है। गाइडलाइन में जहां प्रूनिंग वेस्ट को जलाने पर प्रतिबंध होगा, वहीं नियमों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान किया गया है। गाइडलाइन तैयार होने के बाद इसे राज्य सरकार का भेजा जाएगा।
बागवान आशुतोष चौहान व लोकेंद्र बिष्ट ने कहा कि सूखे की मार के बीच बगीचे व जंगल जल रहे हैं। लोग जहां घासनियों में आग लगा रहे हैं, वहीं बागवान अपने बगीचों में प्रूनिंग वेस्ट को जला रहे हैं। इससे पर्यावरण पर विपरीत असर पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से इस पर अंकुश लगाने के लिए पंचायतों को अधिकार दिए जाने की मांग की है। साथ ही कहा कि सरकार इसको लेकर कड़े कानून बनाए ताकि इस पर अंकुश लगाया जा सके।