शूलिनी विश्वविद्यालय में चित्रकूट स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स और स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी द्वारा सोलन में “हिमालय में पारंपरिक चिकित्सा के इतिहास की खोज” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें देश के कई राज्यों के विद्वानों ने भाग लिया जो हिमालय में पारंपरिक चिकित्सा विषय पर वर्षों से खोज कर रहे है। इस मौके पर चर्चा की गई की हिमालय जड़ी बूटियों से भरा पड़ा है जिन्हें इतिहास में दवा के तौर पर उपयोग किया जाता था लेकिन आज हिमालय के लोग इन जड़ी बूटियों को भूलते जा रहे। यह हिमालय की अमूल्य विरासत है जिसे संजोने की आवश्यकता है इसे कैसे बचाया जा सकता है इसको लेकर संगोष्ठी में विस्तृत चर्चा की गई
अधिक जानकारी देते हुए शूलिनी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रोहित गोयल ने बताया कि हिमालय में ऐसी कई जड़ी बूटियां है जो दवा के लिए उपयोग में लाई जाती है। जिसका उपयोग कई मल्टी नेशनल कंपनियां अपनी दवाओं में कर रहे है और प्रकृति का जम कर दोहन भी हो रहा है। जिसके चलते कई प्रजातियां ऐसी है जो समाप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है। जिसे बचाने के लिए सरकारी तौर पर भी कार्य किया जा रहा है। वहीँ अब उनका विश्वविद्यालय भी लोगों और विद्यार्थियों को जागरूक कर रहा है कि वह अपनी पारंपरिक चिकित्सा के इतिहास को कैसे बचा सकते है।