भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विवेक शर्मा ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, बड़ी संख्या में प्रदेश की औद्योगिक इकाइयां पलायन कर रही है। वर्तमान कांग्रेस सरकार जिस प्रकार से कदम उठा रही है। ऐसा लगता है। उद्योगों को पलायन के लिए “फेयरवेल’ दी जा रही है।
उद्योगों को प्रताड़ित करने के लिए सरकार ने बिजली की दरों में 10% से 25% की बढ़ोतरी कर दी है।
गत4/9/23 को आई नोटिफिकेशन के अनुसार एच.टी लाइनों के अधीन आने वाले उपभोक्ताओं को 11% से 19% ड्यूटी कर दी गई है। जब के एक्स्ट्रा हाई टेंशन वायर पर 13% से 19% कर दी गई है
स्वयं आपदा को मुद्दा बना रही सरकार आखिर उद्योगों व व्यवसायियों पर यह आपदा क्यों ला रही है।
घरेलू उपभोक्ताओं पर 3% व कृषि क्षेत्र में कार्यरत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर 3% से 5% की वृद्धि करके अत्यधिक बोझ क्यों डाला जा रहा है। वही सीमेंट व क्रेशर उद्योगों पर 17% से 25% ड्यूटी कर दी गई है। जो आपदा की इस घड़ी में महंगाई को आमंत्रण है।
हद तो तब हो रही है 5 लाख से 20 लाख के मध्य कीमत वाले डीजल जनरेटर जो बिजली न होने की आपातकालीन स्थिति में उपयोग में ले जाते हैं। निजी संस्थाओं द्वारा, होटल, अस्पताल व व्यावसायिक संस्थान कोलड व सी.एस स्टोर पर अब बिजली विभाग अपना मीटर लगाएगा समानता प्रदेश में 6 रुपए 50 पैसे अतिरिक्त कीमत का डीजल खरीद कर उसमें डालने वाले को अब 45 पैसे प्रति यूनिट सरकार को भी देने होंगे अपने खरीदे हुए जनरेटर पर।
पहले से मंदी की मार झेल रहे ऐसे निजी संस्थाओं व उद्योग जगत पर ऐसी फिरौती
कितनी तर्कसंगत है।
जब के हिमाचल में छोटे उद्योगों, होटल व अस्पतालों का बड़ा हिस्सा कार्यरत है जिसमें (medium and small manufacturing industry) एम.एस.एम.ई भी आती है आखिर इन छोटे व मध्यम उद्योगों को सरकार क्यों प्रताड़ित करना चाहती हैं।
गत बजट भाषण का हवाला देते हुए विवेक शर्मा ने कहा।
जब के गत 7 महीने पूर्व सरकार ने अपने बजट भाषण में कहा था कि हम प्रदेश को ग्रीन स्टेट बनाएंगे वह प्रत्येक जिले में दो पंचायत को ग्रीन पंचायत बनाएंगे 250 किलो वाट से 2 मेगावाट तक सोलर यूनिट्स लगाने जा रहे हैं वह निजी क्षेत्र में 40% की सब्सिडी भी दी जाएगी सरकार को यह जनता को बताना चाहिए कितने लोगों को सरकार ने सब्सिडी दी और कितने सोलर यूनिटों को उन्होंने अनुमति दी
यह केवल झूठी गारंटी की तर्ज पर बजट के समय भी हवाई किले बना रहे थे।
सुख की सरकार जिस तरह हर विकासात्मक योजना को फेयरवेल दे रही है। 2024 में जनता भी इसी फेयरवेल की तैयारी कर रही है।