बनारस का वो शख़्स जो कई भिखारियों को Entrepreneur बना चुका है, इस Idea से ख़त्म कर रहे हैं भीख की समस्या

Abhijit Sonawane

किसी भिखारी को आप क्या दे सकते हैं?

कुछ पैसे, थोड़ा खाना, अपने पुराने कपड़े और क्या?

पर हमारे बीच एक ऐसा इंसान है जिसने भीख में भिखारियों को बिजनेस का आ​इडिया दिया और ऐसा दिया कि कई भिखारियों को Entrepreneur/ बिज़नेसमैन बना दिया. वो कहते हैं कि डोनेट मत करो बल्कि इंवेस्ट करो.

ये कमाल का आइडिया है बनारस के चंद्र मिश्रा का. वो अपने शहर को भिखारियों से मुक्त करना चाहते हैं. इसके लिए वो ना केवल लोगों को डोनेशन की जगह इंवेस्ट करने के लिए मनाते हैं बल्कि भिखारियों को पैसे का सही इस्तेमाल, बचत और उससे अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद भी करते हैं.

कौन हैं भिखारियों को Entrepreneur बनाने वाले चंद्र मिश्रा?

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चंद्र मिश्रा लंबे समय से समाजसेवा कर रहे हैं. गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देना उनका सबसे पसंदीदा काम है. चंद्र कहते हैं कि मैं सब कर रहा था पर ऐसा लगा कि ये काफी नहीं है. अगर शिक्षा मिले पर रोजगार नहीं तब भी स्थिति वही रहेगी जो आज है. इसलिए जरूरी है कि शिक्षा के साथ रोजगार भी पैदा किया जाए.

कोरोना काल में जब लोगों ने घरों से निकलना बंद कर दिया तब बनारस समेत पूरे देश में गरीबों और भिखारियों की हालात सबसे ज्यादा खराब हुई. क्योंकि आम लोगों के पास तो घर था, उसे राशन से भरने की व्यवस्था भी थी पर भिखारियों का क्या? वो तो रोज मांगते, रोज खाते थे. कोविड के दौरान ये भी बंद हो गया. कई भिखारी तो ऐसे थे, जिन्हें पर्याप्त राशन मिल रहा था पर वो उसका सही ढंग से मैनेज नहीं कर पाए या फिर उनके पास रखने की जगह ही नहीं थी. ऐसे में ये जरूरी हो गया कि कम से कम अपने शहर से भिखारियों को खत्म करना होगा.

इसके लिए उन्हें शहर से बाहर नहीं किया जाना चाहिए बल्कि भिखारियों को शिक्षित करना होगा. चंद्र कहते हैं कि जब कोरोना का कहर शांत हुआ, तब जनवरी 2021 में मैंने भिखारियों को ऑन्त्रप्रेन्योर बनाने के उददेश्य से Beggars Corporation की शुरूआत की. इसका लक्ष्य था कि ​भीख मांगने वालों को रोजगार के लिए प्रशिक्षित करना. साथ ही पैसों का मैनेजमेंट भी समझया जाए.

चंद्र कहते हैं कि शुरूआत में भिखारियों को समझना मुश्किल था, ये काम अभी भी आसान नहीं पर किसी तरह 12 परिवारों के 55 भिखारी मेरी बात को समझने लगे और उन्होंने सबसे पहले पैसों के मैनेजमेंट को सीखा. उन्होंने भीख मांगकर जितना भी पैसा कमाया था, उसका सही इंवेस्टमेंट उनको सिखाया गया. जिसमें बताया कि वे कैसे कमाएं हुए पैसों में जरूरतें पूरी करें और बचत भी करें. फिर उन्हें सरकारी योजनाओं से जोडा ताकि वे राशन, दवा जैसी जरूरतें वहां से पूरी करें और भीख में मिले पैसों से रोजगार शुरू करें. चंद्र और उनकी टीम ने भिखारियों को उनकी स्किल्स के हिसाब से काम सिखाना शुरू किया और 1 साल में ही 55 भिखारी ऑन्त्रप्रेन्योर बन गए.

शिक्षा भी जरूरी

Entrepreneurs becoming beggars of Banarastwimg

जो लोग भिखारी से ऑन्त्रप्रेन्योर बने हैं, वे जूट और कागज के बैग बनाते हैं, डेकोरेशन के आइटम बना रहे हैं, सिलाईं-कढाई कर रहे हैं. उनकी बुनी हुई चीजों की मार्केंटिंग शुरूआत में तो चंद्र की टीम ने की पर बाद में इन नए व्यवसायियों को मार्केंटिग के गुण भी सिखाए. अब ये लोग अपने प्रोडेक्ट स्टॉल लगाकर तो बेच ही रहे हैं साथ ही स्थानीय दुकानदारों, होटल और विदेशों से आने वाले पर्यटकों को भी बेच रहे हैं.

चंद्र कहते हैं कि रोजगार के अलावा, इन भिखारियों की अगली पीढ़ी को भी शिक्षित करना जरूरी है.  इसके लिए उन्होंने एक मॉर्निंग स्कूल ऑफ लाइफ की भी स्थापना की है. जहां सामान्य शिक्षा दी जाती है इसके बाद बच्चों को सरकारी स्कूलों में एडमिशन दिलवाया जाता है. जहां ये मिड डे मील का लाभ ले रहे हैं और शिक्षा भी. चंद्र की टीम इन बच्चों को भी प्रशिक्षण दे रही है ताकि वे नौकरियों के लिए लाइन ना लगाएं बल्कि बिजनेस करें.

एक रिपोर्ट है जो कहती है कि भारत में कुल 4,13,670 भिखारी हैं और उन्हें सालाना 34,242 करोड़ लोग दान करते हैं. दान में अगर 1-1 रुपया भी है तो सोचिए कि यह राशि क्या हो सकती है. चंद्र बस इसी राशि को डोनेशन से हटाकर इंवेस्टमेंट में लेकर जाने की प्लानिंग के साथ चल रहे हैं.. उम्मीद है कि ये कोशिश जल्दी ही रंग भी लाएगी.

105 भिखारियों को नौकरी

Beggars Found Jobsnewsdayexpress

वैसे जब भिखारियों को आत्मनिर्भर बनाने की बात चल ही रही है तो पुणे के डॉक्टर अभिजीत सोनवाणे की कोशिश भी काबिल-ए-तारीफ है. अभिजीत, भिखारियों को समझा-बुझाकर, उन्हें नौकरी दिलाने या फिर सिलाई, चाट की दुकान जैसे छोटे-मोटे व्यवसाय खोलने में मदद करते हैं. इस कोशिश का ही नतीजा है कि 105 भिखारी अब नौकरी करने लगे हैं और करीब 300 से ज्यादा ऐसे हैं जिन्होंने अपना व्यवसाय शुरू कर लिया.

अभिजीत भिखारियों के बच्चों को शिक्षा देते हैं, उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाते हैं और प्रशिक्षण देते हैं. उनकी कोशिश ने पुणे में बहुत से परिवारों की किस्मत बदल दी है.

चंद्र मिश्रा और अभिजीत जैसे लोगा समाज के लिए मिसाल हैं. दान में पैसा या सामान देना आसान हैं पर आत्मनिर्भर बनने का गुण देना सबसे बेहतर विकल्प है. इससे ना केवल भिखारियों का जीवन सुधर सकता है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में दान के पैसे का इंवेस्टमेंट हो सकता है.