देश के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) में तैनात भारतीय सेना (Indian Army) के जवान गवाते अक्षय लक्ष्मण एक ऑपरेशन के दौरान शहीद (Martyr) हो गए। लक्ष्मण भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर का हिस्सा थे। वह देश के पहले अग्निवीर (Agniveer) हैं, जिन्होंने सैन्य ऑपरेशन के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी है।
शहीद अग्निवीर अक्षय लक्ष्मण की पार्थिव शरीर सोमवार को उनके पैतृक गांव महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के पिंपलगांव लाया गया। इस दौरान यहां सैकड़ों की संख्या में लोगों ने अक्षय लक्ष्मण की अंतिम विदाई देने पहुंचे।
सेना ने कहा कि दुख की इस घड़ी में राष्ट्र शोक संतप्त परिवार के साथ मजबूती से खड़ा है। ‘सेना सियाचिन की ऊंचाइयों पर ड्यूटी के दौरान अग्निवीर (ऑपरेटर) अक्षय लक्ष्मण के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करती है।’ उधर, भारतीय सेना ने कहा कि परिवार को अन्य मौद्रिक लाभों के अलावा ₹48 लाख का गैर-अंशदायी बीमा और ₹44 लाख की अनुग्रह राशि मुआवजे के तौर मिलेगी। वहीं शहीद के परिजनों को मृत्यु की तारीख से 4 साल पूरे होने तक शेष कार्यकाल का भी पैसा मिलेगा और यह राशि कुल 13 लाख से अधिक होगी।
गौरतलब है कि इससे पहले पंजाब (Punjab) के रहने वाले अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने 11 अक्तूबर को सुसाइड (suicide) कर लिया था। जिसके चलते सेना ने उन्हें राजकीय सम्मान नहीं दिया। जिस पर काफी विवाद हुआ।
बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई वाला युद्ध क्षेत्र है। ये करीब 20,000 फीट की ऊंचाई पर है। इस वजह से यहां मौसम (weather) बेहद ठंडा रहता है। सियाचिन भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा के पास है। यह भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है, जहां सैनिकों को अत्यधिक ठंड और तेज हवाओं से जूझना पड़ता है।
पिछले साल जून, 2022 में मोदी सरकार (Modi government) ने सेना में भर्ती के लिए “अग्निपथ स्कीम” (Agneepath Scheme) को शुरू किया था। अग्निपथ स्कीम के तहत सेना में भर्ती होने वाले सैनिकों को अग्निवीर कहा जाता है। ये सभी अग्निवीर सेना में चार साल तक अपनी सेवाएं देते हैं। 4 साल के बाद समीक्षा कर सेवाओं को आगे बढ़ाया जाता है। भारतीय सेना में अब सैनिकों की भर्ती अग्निपथ स्कीम के तहत ही होती है।