किरतपुर-मनाली फोरलेन पर देसी घी के परांठों का लंगर मिटा रहा फंसे ट्रक चालकों की भूख

देवभूमि हिमाचल प्रदेश में बरसे कुदरत के कहर में जहां कुछ लोग आपदा में भी अवसर ढूंढ रहे हैं। वहीं समाज का एक वर्ग ऐसा भी है, जो इस आपदा की घड़ी में प्रभावितों के लिए सहारा बना है।

ऐसा ही एक उदाहरण  मंडी जिला के उपमंडल बल्ह के नागचला में लगे परांठों के लंगर ने पेश किया है। इस लंगर में किरतपुर-मनाली फोरलेन पर नागचला क्षेत्र में फंसे ट्रक चालकों और अन्य प्रभावितों के साथ हर आने-जाने वाले के लिए देसी घी में बने गर्मागर्म परांठे परोसे जाते हैं। यहां पिछले एक महीने से प्रतिदिन 2 क्विंटल आटे और पहाड़ी आलू से परांठे बनाए जा रहे हैं, जो यहां फंसे ट्रक चालकों और अन्य प्रभावितों को राहत दे रहे हैं। अभी तक लंगर में 30 क्विंटल देसी घी और डेढ़ क्विंटल अचार लग चुका है। प्रतिदिन लगभग 3 हजार के करीब लोगों को परांठे खिलाकर स्थानीय लोगों द्वारा अपना सामाजिक दायित्व निभाया जा रहा है।

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बता दें कि हाल ही में क्षेत्र में भारी बारिश के कारण बंद हुए रास्तों के कारण करीब तीन सौ ट्रक नागचला फोरलेन में रुके हुए हैं। ट्रक चालकों के लिए ट्रक ही उनके घर बने हैं तो खाने का इंतजाम स्थानीय लोगों के विभिन्न संगठनों के लंगर से हो रहा है। नागचला में जारी यह लंगर सावन माह के उपलक्ष्य में हर वर्ष लगाया जाता है और 40 दिन तक चलता है।

आयोजकों का कहना है कि स्थानीय जनता के सहयोग से यह लंगर चल रहा है। शुद्ध देशी घी से तैयार परांठों के लिए लोग दूर-दूर से प्रसाद ग्रहण करने आते हैं। इस बार भंडारा सफल रहा है और ट्रक चालक इसके लिए लोगों का आभार जता रहे हैं। भंडारा संचालकों का कहना है कि नागचला शिव मंदिर के बाबा शंभू भारती ने 2017 में इस भंडारे की शुरुआत की थी। अब बाबा शंभू भारती जीवित नहीं रहे है तो स्थानीय लोग मिलकर इसको आगे बढ़ा रहे हैं।