बिलासपुर में धूमधाम से ईद उल अजहा का त्यौहार मनाया जा रहा है l बिलासपुर के रौड़ा सेक्टर में स्थित जामा मस्जिद में नमाज अदा की गई l हम आपको बताते चलें कि इस दौरा मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक दूसरे के गले मिलकर मुबारकबाद दी l इस अवसर पर बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भाग लिया l इस अवसर पर बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने लिया भाग l
इस दौरान जमा मस्जिद के इमाम मुफ़्ती असरान मज़हरीने बताया कि इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने धू-अल-हिज्जा की 10 तारीख को बकरीद मनाई जाती है। यह तारीख रमजान के पवित्र महीने के खत्म होने के लगभग 70 दिनों के बाद आती है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, कह कि पैगंबर हजरत इब्राहिम से ही कुर्बानी देने की प्रथा शुरू थी। कहा जाता है कि अल्लाह ने एक बार पैगंबर इब्राहिम से कहा था कि वह अपने प्यार और विश्वास को साबित करने के लिए सबसे प्यारी चीज का त्याग करें और इसलिए पैगंबर इब्राहिम ने अपने इकलौते बेटे की कुर्बानी देने का था। इस प्रथा का अनुसरण करते हुए आज भी अल्लाह के हुक्म की ताबील की जाती है l उन्होंने कहा कि
कहा है कि जब पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे को मारने वाले थे। उसी वक्त अल्लाह ने अपने दूत को भेजकर बेटे को एक बकरे से बदल दिया था। तभी से बकरा ईद अल्लाह में पैगंबर इब्राहिम के विश्वास को याद करने के लिए मनाई जाती है।