हिमाचल के सरकारी अस्पतालों में ‘क्रसना लैब’ का बंद होना दुर्भाग्यपूर्ण : प्रेम ठाकुर

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में क्रसना लैब का बंद होना दुर्भाग्यपूर्ण है। लैब बंद होने से प्रतिदिन हजारों की संख्या में रोगियों को निजी लैब में जाकर मोटी रकम अदा करनी पड़ रही है और प्रदेश सरकार इस बात से बेखबर है।

भाजपा जिला अध्यक्ष प्रेम ठाकुर ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने प्रदेश के 650 सरकारी अस्पतालों में क्रसना लैब की निःशुल्क उपलब्ध करवाई गई, जिससे राज्य के लोगों को बहुत लाभ मिल रहा था। राज्य सरकार पर क्रसना लैब की करीब 50 करोड़ की देनदारी बकाया है, जिसे अदा न करने की वजह से क्रसना लैब को बंद करने पर मजबूर होना पड़ा है।

प्रेम ठाकुर ने बताया कि प्रदेश सरकार नेशनल हैल्थ मिशन के साथ इस ज्वलंत मुद्दे को उठाने में असफल रही है, जिसके चलते नेशनल हैल्थ मिशन द्वारा बजट ने जारी करने पर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में क्रसना लैब के माध्यम से उपलब्ध करवाई जा रही निःशुल्क लैब सुविधा पर गहरा संकट छा गया है, जिससे विशेषकर गरीब लोग बहुत प्रभावित हो रहे हैं।

इनका कहना कि कि इस लैब में प्रतिदिन औसतन 10 हजार मरीज अपना निःशुल्क टैस्ट करवाते थे परंतु अब मरीजों को निजी लैब में टैस्ट करवाने के लिए मोटी रकम अदा करनी पड़ रही है। सूत्रों के मुताबिक क्रसना लैब का यह भुगतान बीते अप्रैल माह से देय है। दरअसल, सरकारी अस्पतालों में तय बजट से अधिक परीक्षण हो चुके हैं। इनके बिल नेशनल हैल्थ मिशन को भेजे गए, क्रसना लैब के अधीन प्रदेश भर में जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, लैब प्रबंधन उन्हें वेतन दे पाने की स्थिति में नहीं है।

प्रेम ठाकुर ने बताया कि क्रसना लैब के बंद होने से प्रदेश भर में 650 संस्थानों में सेवाएं ठप हुई हैं। इस समय समूचे प्रदेश में 1800 कर्मचारी क्रसना लैब के साथ जुड़े हुए हैं। इन कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करने का संकट गहरा गया है।उन्होंने बताया कि पूर्व भाजपा सरकार ने क्रसना लैब में 142 टैस्ट निःशुल्क करने सुविधा दी गई थी। प्रदेश सरकार को इस बारे गंभीरता से विचार करना चाहिए व एनएचएम के साथ प्रभावी ढंग से इस मामले को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। ताकि सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क लैब की सुविधा बहाल हो सके।