चालदा महासू महाराज अब द्राविल से आगे निकल चुके हैं, लेकिन उनके साथ उमड़ती आस्था की लहर थमने का नाम नहीं ले रही। जैसे-जैसे महाराज आगे बढ़ रहे हैं, भक्तों की संख्या कम होने की बजाय और बढ़ती जा रही है। हर आंख उनकी एक झलक पाने को आतुर है, हर मन में श्रद्धा और विश्वास का भाव उमड़ रहा है।
रास्तों पर ढोल-नगाड़ों की गूंज है, भक्त नाचते-गाते अपने आराध्य का स्वागत कर रहे हैं। कहीं जयकारे हैं, कहीं हाथ जुड़े हुए हैं, तो कहीं आंखें अपने आप नम हो जाती हैं। चालदा महासू महाराज के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के चेहरे पर अद्भुत संतोष और भक्ति की चमक दिखाई दे रही है।
महाराज दिव्य आभूषणों से सुसज्जित हैं। उनके अलौकिक स्वरूप को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वयं देवत्व धरती पर उतर आया हो। आभूषणों की झलक के साथ-साथ भक्तों के मन में आस्था और विश्वास और गहरा होता जा रहा है।
हर कदम पर श्रद्धालु सिर झुकाकर नमन कर रहे हैं, मन ही मन सुख-शांति और कल्याण की कामना कर रहे हैं। चालदा महासू महाराज की यह यात्रा केवल एक मार्ग नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और भक्ति का जीवंत उत्सव बन चुकी है, जिसमें पूरा जनमानस भाव-विभोर होकर सहभागी बन रहा है।