Teacher’s Day: वो 5 लोग जो गरीब बच्चों को दे रहे मुफ्त शिक्षा, कर रहे हैं उनका भविष्य उज्ज्वल करने की कोशिश

हम किसी जरूरतमंद की मदद करने के लिए उसे पैसे देते हैं, खाना खिलाते हैं लेकिन इन सबसे बड़ा है शिक्षा का दान. ऐसे लोग जिन्होंने शिक्षा पाने के लिए परिश्रम किया हो उन्हें शिक्षा का असली महत्व अच्छे से पता होता है. शिक्षक दिवस के मौके पर हम आपके लिए ऐसे ही कुछ होनहार लोगों की कहानियां लाए हैं, जिन्होंने अपने ज्ञान को सिर्फ खुद तक नहीं रखा बल्कि उसे दूसरों में बांटने का जिम्मा भी उठाया.

तो चलिए जानते हैं उन लोगों की कहानी जो जरूरतमंद बच्चों में शिक्षा की अलख जगा कर उन्हें ज्ञान बांट रहे हैं:

1. फिरोजाबाद के मुकेश पिथौरा

5 peoples teaching poor children for freeNews 18

फिरोजाबाद के मुकेश पिथौरा गरीब और असहाय बच्चों के लिए अपने समय और जीवन को समर्पित कर रहे हैं. मुकेश आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. खुद एक गरीब परिवार से आने वाले मुकेश ने कई समस्याओं का सामना करते हुए शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने देखा कि कई गरीब बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं क्योंकि उनके पास शिक्षा प्राप्त करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं.

उन्होंने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए निर्णय किया कि वह फ्री में शिक्षा प्रदान करेंगे. वे फिरोजाबाद जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले गरीब और असहाय बच्चों के लिए शिक्षा क्लासेस आयोजित करते हैं, और इसके लिए कोई भी शुल्क नहीं लेते हैं.

2. ट्रैफिक कांस्टेबल अरूप मुखर्जी

ट्रैफिक कांस्टेबल अरूप मुखर्जी ने 1999 में कोलकाता पुलिस फोर्स ज्वाइन की. उन्होंने अपने बचपन का सपना पूरा करने के लिए बचत करना शुरू किया. उन्होंने 6 साल की उम्र में ही एक स्कूल खोलने का सपना देखा था. 43 साल के अरूप सिर्फ ट्रैफिक सिग्नल पर अपनी ड्यूटी ही नहीं करते, बल्कि उस समय बेहद गरीब आदिवासी समुदाय के बच्चों के पुनर्स्थापित भी कर रहे हैं.

अरूप इस समुदाय के लोगों को अपने बच्चों को शिक्षा के लिए खुद के द्वारा स्थापित बोर्डिंग स्कूल भेजने के लिए मनाते हैं. मुखर्जी का पुंचा नबादिशा मॉडल स्कूल 126 सबर बच्चों के रहना, हर दिन पर्याप्त भोजन और मुफ्त में बुनियादी शिक्षा प्रदान करता है.

मुखर्जी का स्कूल 2011 में बन गया. कोलकाता से लगभग 280 किलोमीटर दूर पुंचा गांव में स्कूल के लिए 2.5 लाख रुपये का प्रारंभिक फंड उनकी अपनी बचत से था. उन्होंने बाकी क़र्ज़ भी लिया और एक दान की हुई भूमि पर इस स्कूल का निर्माण किया. अरूप अपनी सैलरी का 20 हज़ार स्कूल के लिए खर्च करते हैं. उनके परिवार का गुज़ारा उनकी पास मौजूद खेती से होता है. अरूप किसी रियल हीरो से कम नहीं है.

3. राजस्थान के डॉ भारत सरन

राजस्थान के डॉ भारत सरन ’50 ग्रामीणों’ के नाम से एक कोचिंग इंस्टिट्यूट चला रहे हैं जिसमें वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से संबंधित मेडिकल छात्रों को फ्री में शिक्षा दे रहे हैं. इस कोचिंग सेंटर में वह कक्षा 11वीं के 25 पिछड़े छात्र और 12 वीं के 25 छात्रों को मुफ्त शिक्षा देते हैं. डॉ सरन ने इस संबंध में कहा था कि, “मैं पिछले 7 सालों से ’50 ग्रामीणों’ को चला रहा हूं. यह दूरदराज के गांवों में सरकारी स्कूलों के मेडिकल छात्रों के लिए एक नि: शुल्क कोचिंग संस्थान है. यह संस्थान हर साल 50 छात्रों को कोचिंग देता है, जिसमें 25 छात्र 11वीं के और 25 छात्र 12 वीं के होते है.”

पिछले सात वर्षों में यहां से शिक्षा प्राप्त करने वाले 140 छात्रों ने परीक्षा में प्रवेश लिया. चयन अनुपात 100 प्रतिशत है क्योंकि प्रत्येक छात्र विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में उत्तीर्ण होता है. इनके संस्थान से 30 से अधिक छात्रों ने एमबीबीएस पास किया है, पांच एम्स जा रहे हैं, कुछ पशु चिकित्सा में हैं, और कुछ आयुर्वेद के क्षेत्र में गए हैं.

4. बिजनौर के कांस्टेबल विकास कुमार

बिजनौर पुलिस में तैनात कांस्टेबल विकास कुमार देश के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के प्रयास में जुटे हुए हैं. अपनी ड्यूटी से समय निकालकर वो गरीब बच्चों को मुफ्त पढ़ा भी रहे हैं. कांस्टेबल विकास पुलिस में भर्ती होने से पहले ही गरीब बच्चों के भविष्य को सवांरने का काम कर रहे हैं. वे अपने गांव में साल 2014 से गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देते आए हैं. तब उनकी उम्र 18 साल की थी. उनके पास वो गरीब बच्चे पढ़ने आते हैं, जिनके पैरेंट्स उन्हें गरीबी की वजह से पढ़ा नहीं पा रहे हैं. ऐसे में विकास ने उन्हें शिक्षित करने की जिम्मेदारी उठाई है.

5. गोंडा के मो. जाफर

उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के सिपाही मो. जाफर ड्यूटी खत्म करने के बाद रोज गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं. मो. जाफर चचरी पुलिस चौकी के बगल में हर रोज एक पेड़ के नीचे पुलिस सर की पाठशाला चलाते हैं. यहां वह बच्चों को बिना फीस लिए पढ़ाते हैं.

पुलिस सर की इस पाठशाला में कक्षा 1 से 10 तक के बच्चे ट्यूशन पढ़ने आते हैं. एक घंटे की इस क्लास में बच्चों को गणित, साइंस समेत लगभग सभी विषय पढ़ाए जाते हैं. इसी पाठशाला में नवोदय स्कूल में एडमिशन लेने की तैयारी करने वाले भी बच्चे ट्यूशन पढ़ते है. जाफर साइंस ग्रेजुएट हैं और उनका सपना था कि वह सिविल सर्विसेज में जाएं लेकिन उनका ये सपना पूरा न हो पाया.

भले ही मो. जाफर का आईएएस और आईपीएस बनने का सपना नहीं पूरा हो पाया लेकिन वह चाहते हैं कि उनके पढ़ाए इन बच्चों में से कोई ये सपना पूरा करे. उनका कहना है कि उनके इस प्रयास से अगर कोई भी बच्चा कामयाब हो गया तो वह समझेंगे कि उनकी ख्वाहिश पूरी हो गई.