सनी देओल के बेटे राजवीर देओल ने हाल ही में फिल्म ‘दोनों’ से बॉलीवुड में एंट्री मारी है। सनी देओल ने बेटे की फिल्म को लेकर बातें करते हुए नेपोटिज्म जैसे मुद्दा पर भी बातें कीं। उन्होंने कहा कि काफी समय तक तो उन्हें इस शब्द का मतलब ही पता नहीं था। उन्होंने कहा- जो असफल होते हैं वो लोग ही इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं।
लल्लनटॉप से बातचीत में सनी देओल ने कहा कि काफी समय तक तो उन्हें इस वर्ड नेपोटिजम का मतलब ही पता नहीं था। उन्होंने कहा, ‘पहले मैं सोचता था कि इसका मतलब क्या है? फिर जब पता लगा तो सोचने लगा कि अगर एक पिता अपने बच्चे के लिए नहीं करेगा तो कौन करेगा?’ उन्होंने कहा- एक्टिंग हो या फिर कोई और भी इंडस्ट्री, हर पिता यही सोचता है कि वो अपने बच्चे की जिंदगी को कैसे आरामदेह बनाए।’
‘नेपोटिजम शब्द का कोई अर्थ नहीं’
सनी ने इसे लेकर कुछ और बातें कहीं। उन्होंने कहा- नेपोटिज्म शब्द ज्यादातर वो लोग इस्तेमाल करते हैं जिन्हें किसी वजह से लाइफ में सक्सेस न मिली हो। वो अपनी निराशा जताने के लिए इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं, जबकि नेपोटिजम शब्द का कोई अर्थ नहीं है।’
‘आज मैं, बॉबी या अभय जो कुछ हैं वो हमारी अपनी पहचान है’
उन्होंने अपने परिवार को लेकर बातें करते हुए कहा, ‘मेरे पिता (धर्मेन्द्र) ने अपनी पहचान खुद बनाई। आज मैं, बॉबी या अभय जो कुछ हैं वो हमारी अपनी पहचान है। हालांकि मुझे पता है कि पिता होने का मतलब क्या है और उसका दर्द भी समझता हूं, लेकिन राजवीर की जर्नी उसकी अपनी जर्नी है।’
सूरज बड़जात्या के बेटे अवनीश बड़जात्या की पहली फिल्म
बता दें कि सनी देओल ने बड़े बेटे करण देओल को ‘पल पल दिल के पास’ से बॉलीवुड में कदम रखा था और अब राजवीर ने फिल्म ‘दोनों’ के साथ अपनी शुरुआत की है। इस फिल्म का निर्देशन सूरज बड़जात्या के बेटे अवनीश बड़जात्या ने किया है, जो उनकी डेब्यू फिल्म है।