धरती से लाखों किलोमीटर दूर, अंधेरे अंतरिक्ष में तैरती एक महिला, जिसे नहीं पता था कि वह ज़िंदा वापस लौटेगी या नहीं! सुनिता विलियम्स, जिन्होंने अब तक 300 से ज्यादा दिन अंतरिक्ष में बिताए हैं, इस बार एक डरावने और खतरनाक मिशन से गुज़र रही थीं। जब उनकी वापसी का समय आया, तो स्पेसक्राफ्ट में ऐसी तकनीकी खराबी आ गई, जिसने सभी वैज्ञानिकों की धड़कनें रोक दीं! स्पेसएक्स का स्टारलाइनर कैप्सूल, जो उन्हें वापस धरती पर लाने वाला था, अचानक अनियंत्रित होने लगा।
जैसे-जैसे समय बीत रहा था, उनके ऑक्सीजन और ऊर्जा के स्रोत सीमित होते जा रहे थे। अगर लैंडिंग में ज़रा भी चूक होती, तो अंतरिक्ष में भटकने या कैप्सूल के टुकड़े-टुकड़े होने का ख़तरा था! धरती पर बैठे वैज्ञानिकों की साँसे थम चुकी थीं, और सुनिता खुद भी इस अनिश्चितता के बीच हिम्मत जुटा रही थीं। लेकिन नासा की कड़ी मेहनत और उनकी खुद की दृढ़ इच्छाशक्ति ने इस नामुमकिन को मुमकिन बना दिया।आखिरकार, कई घंटों की सिहरनभरी जद्दोजहद के बाद, वह धरती पर सफलतापूर्वक उतर आईं! इस भयावह सफर ने साबित कर दिया कि सुनिता विलियम्स सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री नहीं, बल्कि मौत को मात देने वाली योद्धा हैं! सुनिता विलियम्स, जो भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री हैं उन्होंने इस ऐतिहासिक मिशन के जरिए अमेरिका का नाम रोशन किया। हालांकि, उनके पिता अहमदाबाद, भारत से हैं, इसलिए इस सफलता पर भारत को भी गर्व है। उनकी हिम्मत और साहस ने न केवल अमेरिका बल्कि भारत के युवाओं को भी प्रेरित किया है, खासकर उन लड़कियों को जो अंतरिक्ष में जाने का सपना देखती हैं।