भारत की सबसे कठिन परिक्षाओं में से एक है, यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन (UPSC) की परीक्षा. हर साल लाखों अभ्यर्थी सिविल्स निकालने का ख्वाब देखते हैं. कुछ छात्र तो खुद को पूरी तरह से दुनिया से अलग करके, रात-दिन एक करके पढ़ाई करते हैं. कड़ी मेहनत करने के बावजूद कुछ ही छात्रों का UPSC का ख्वाब पूरा होता है. UPSC के लिए बहुत से परिक्षार्थी अपनी लाखों की नौकरी, आरामदायक लाइफ़स्टाइल भी छोड़ देते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है तृप्ति भट्ट (IPS Trupti Bhatt Success Story) की.
एपीजे अब्दुल कलाम से मिलने के बाद लाइफ़ बदल गई
कुछ लेखों के मुताबिक उत्तराखंड के अल्मोड़ा से हैं IPS तृप्ति भट्ट. शिक्षक परिवार में जन्मी तृप्ति चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं. जब वो 9th क्लास में थीं तब उन्हें पूर्व राष्ट्रपति और भारत के ‘मिसाइल मैन’ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से मिलने का मौका मिला. कलाम साहब ने तृप्ति को हाथ से लिखी हुई एक चिट्ठी दी थी. इस चिट्ठी ने तृप्ति को बहुत प्रेरित किया.
स्कूल की पढ़ाई खत्म करके की इंजीनियरिंग की पढ़ाई
नवभारत टाइम्स के लेख की मानें तो तृप्ति ने शुरुआती स्कूल की शिक्षा बियरशेबा स्कूल प्राप्त की. वहीं 12वीं की पढ़ाई केन्द्रीय विद्यालय से की. 12वीं के बाद उन्होंने पंतनगर विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. 2010 में इंजीनियरिंग पासआउट करने के बाद उन्हें कई प्राइवेट कंपनियों से जॉब ऑफर्स मिले.
ठुकराईं कई सरकारी नौकरियां
सरकारी नौकरी का सपना लगभग देश का हर दूसरा छात्र देखता है लेकिन तृप्ति को समाज के लिए कुछ करना था. मैकेनिकल इंजीनियर तृप्ति ने इसरो समेत 6 सरकारी नौकरियां पास कर लीं. लेकिन उनका लक्ष्य था UPSC. सिविल सर्वेंट बनने के लिए उन्होंने कई गवर्मेंट जॉब्स अस्वीकार कर दिए.
पहले अटेम्पट में ही ले आईं AIR 165
एक इंटरव्यू में तृप्ति ने बताया कि उन्होंने NTPC की नौकरी जॉइन की और साथ ही सिविल्स की तैयारी भी शुरू कर दी.
IPS तृप्ति भट्ट ने 2013 में पहली बार UPSC की परीक्षा दी. पहले अटेम्प्ट में ही उन्होंने सफ़लता के झंडे गाड़ दिए. उन्हें IPS के पद पर सेलेक्ट किया गया.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तृप्ति भट्ट नेशनल लेवल मैराथॉन गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी हैं.