Aameen Success Story: हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती है। मध्यप्रदेश के देवास जिले के रहने वाले आमीन पर यह लाइन सटीक बैठती है। दिव्यांग आमीन ने पैरों से लिखकर पटवारी की परीक्षा पास की है।
गरीब है आमीन का परिवार
देवास जिला मुख्यालय से करीब 55 किलोमीटर दूर सोनकच्छ तहसील की नगर परिषद पीपलरावां में आमीन अपने परिवार के साथ रहता है। जन्म से ही दोनों हाथ नहीं होने के चलते वह दिव्यांग है। उसने अपनी पढ़ाई को लेकर कभी हार नहीं मानी और हौसला रखते हुए आगे बढ़ता गया।
पटवारी की परीक्षा पास की
वहीं, हाल ही में आए पटवारी परीक्षा परिणाम में कई अभ्यर्थियों ने सफलता प्राप्त की है। इनमें एक ऐसा अभ्यर्थी भी है, जिसने हाथों से नहीं, पैरों से परीक्षा दी और सफलता पाई। आमीन मंसूरी के दोनों हाथ नहीं है। 30 वर्षीय आमीन के पिता इकबाल मंसूरी टेलरिंग का काम करते हैं। आर्थिक स्थिति भी कमजोर है। जन्म से ही आमीन के दोनों हाथ नहीं है, लेकिन उसने कभी इसे अपनी कमजोरी नहीं माना।
पैरों से लिखना सीखा
आमीन ने पैरों से लिखना सीखा और इसे अपनी ताकत बनाया। कम्प्यूटर भी पैरों से चलाना सीखा। 2012 में कक्षा 11वीं में अध्ययन के दौरान उसने सोलर कूकर का प्रोजेक्ट बनाया था, जो राष्ट्रीय स्तर पर चयनित हुआ। आमीन को इसके लिए पुरस्कृत किया गया। 12वीं तक की पढ़ाई शासकीय स्कूल से की और इंदौर से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद पटवारी की परीक्षा का फॉर्म भरा। उसने पैरों से परीक्षा दी और दिव्यांग श्रेणी की मेरिट सूची में जिले में पहला स्थान प्राप्त किया।
हर दिन 12 घंटे की पढ़ाई
आमीन मंसूरी ने हर दिन करीब 12 घंटे पढ़ाई की है। सफलता का श्रेय पिता और परिवार को दिया है। उसके चयन पर परिवार के साथ ही गांववालों ने भी खुशी जताई है। गांव के लोग परिवार को बधाई देने आ रहे हैं।