एक कमरे में रह कर की पढ़ाई, किताब के लिए होती थी लड़ाई, अब तीनों भाई बहन एक साथ बने PCS अधिकारी

हर साल लाखों युवा सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी करते हैं, उनमें से आधे से कम ही इन परीक्षाओं में बैठ पाते हैं. बाद में सलेक्शन तो इतनों का ही हो पाता है जिन्हें उंगलियों पर गिना जा सके. ऐसे में एक जिले से दो उम्मीदवारों का चयन हो जाना भी जिले के लिए बड़ी बात होती है. मगर जम्मू के एक जिले नहीं बल्कि एक घर से तीन भाई बहनों ने इस परीक्षा में बाजी मार ली है.

जम्मू कश्मीर के तीन भाई बहनों का हुआ चयन

इंडियन एक्सप्रेस के अरुन शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक़, ऐसा अनोखा कमाल करने वाले ये तीनों भाई बहन जम्मू के डोडा ज़िले के रहने वाले हैं. इन तीनों ने जम्मू-कश्मीर का सिविल सर्विस इग्ज़ाम (JKCSE) क्लियर किया है. इनमें सबसे बड़ी बहन हैं हुमा वानी, उनसे छोटी हैं इफ़रा अंजुम वानी और सबसे छोटे भाई हैं सुहैल. रिपोर्ट के अनुसार इफ़रा और सुहैल ने पहले ही प्रयास में इस परीक्षा को क्लियर कर लिया, वहीं हुमा को इसे क्लियर करने में दो बार प्रयास करना पड़ा. खास बात ये है कि इन तीनों की रैंक 150 के अंदर है. इससे भी खास बात ये है कि ये तीनों भाई-बहन अपने परिवार में पहले ऐसे हैं जिनकी सरकारी नौकरी लगी है.

साधारण परिवार से आते हैं तीनों

इनके पिता मुनीर अहमद वानी मज़दूरी कॉन्ट्रेक्टर का काम करते हैं और मां गृहणी हैं. इनका बचपन जम्मू के कहारा और किश्तवर शहर में बीता लेकिन बच्चों की पढ़ाई के लिए अहमद वानी 2010 में डोडा के बाहु फ़ोर्ट के पास रहने लगे. ये एक अस्थायी कॉलोनी है जो सड़क से पांच किलोमीटर दूर है. यहां तीन कमरे हैं जिसमें पांच लोगों का परिवार रहता है. ऐसे में महमानों के आने पर संख्या और बढ़ जाती थी. और महमानों का आना जाना लगा ही रहता था. सर्दियों में घर में 10-12 लोग और गर्मियों में 6-8 लोग रहते थे. इस हाल में भी पंद्रह-बीस हज़ार महीना कमाने वाले अहमद वानी ने अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. और न ही बच्चों ने कभी मेहनत से मुंह मोड़ा.

एक ही किताब से सबने की पढ़ाई

रिपोर्ट के मुताबिक सुहेल ने 2019 में गवर्नमेंट MAM कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. हुमा और इफ़रा ने 2020 में IGNOU से पॉलिटिकल साइंस में MA किया. फिर 2021 में तीनों ने तय किया कि सिविल परिक्षा की तैयारी करेंगे. इफरा ने इंडियन एक्सप्रेस को अपने संघर्ष और सफलता के बारे में बताया कि, “उनके पास कोई मोबाइल फ़ोन नहीं था. हर विषय में केवल एक किताब होती थी, जिससे तीनों पढ़ते थे. ऐसी स्थिति में हुमा और सुहेल के बीच हमेशा एक किताब से पढ़ने के लिए लड़ाई होती रहती थी. बाद में इफरा ही उनके बीच सुलह करवाती थी.”

हुमा कहती हैं कि क्या पढ़ना है और कैसे पढ़ना है, इस बारे में भी कोई आइडिया नहीं था. सुहैल पुलिस सेवा में शामिल होना चाहते हैं क्योंकि उसका कहना है कि पुलिस की नौकरी में शक्ति और जिम्मेदारी दोनों आती है. उनकी सोच है कि वह जम्मू-कश्मीर में ड्रग्स के ख़तरे के ख़िलाफ़ काम करें. वहीं, दोनों बहनें एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस में शामिल होना चाहती हैं और समाज के पिछड़े लोगों के लिए कुछ अच्छा काम करना चाहती हैं.