सोलन एम्पावरमेंट और डेवलपमेंट संस्था ने नशे के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए डीसी सोलन के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। समाजसेवी डॉ. राजेश कश्यप की अध्यक्षता में दिए गए इस ज्ञापन में स्कूल एडमिशन से लेकर सरकारी नौकरी तक डोप टेस्ट अनिवार्य करने की मांग की गई है।इस प्रस्ताव ने समाज को आईना दिखाने का काम किया है। एक ओर जहां यह पहल युवाओं को नशे से दूर रखने में मददगार हो सकती है, वहीं यह भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है—क्या समाज ऐसे बदलाव के लिए तैयार है? क्या नौकरी और शिक्षा में डोप टेस्ट को अनिवार्य करना सही रहेगा? अब सरकार के रुख का इंतजार है कि क्या यह क्रांतिकारी सुझाव नीति में जगह बनाएगा या फिर पुरानी लकीरों पर ही समाज चलता रहेगा।समाजसेवी डॉ. राजेश कश्यप ने बताया कि ज्ञापन में कहा गया है कि विशेष रूप से शिक्षकों के लिए यह नियम लागू होना चाहिए, क्योंकि वे ही विद्यार्थियों को सही मार्ग दिखाने वाले होते हैं। यदि कोई शिक्षक स्वयं नशे का आदी होगा तो वह छात्रों को क्या सिखाएगा? संस्था ने इस पहल को समाज सुधार के लिए जरूरी बताया और कहा कि यदि सरकार नशे पर कड़ा कानून बना रही है, तो इस नियम को भी उसमें शामिल किया जाना चाहिए। संस्था का मानना है कि इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि कोई युवक नशे का आदी है या नहीं, और यदि वह नशे में लिप्त पाया जाता है तो आवश्यक कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।बाइट समाजसेवी डॉ. राजेश कश्यप